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जूस और चाट की ठेलियों पर कोरोना संक्रमण को दावत, पढ़िए पूरी खबर

दून में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर शहरभर में जूस व चाट की ठेलियों पर खुलेआम संक्रमण को दावत दी जा रही है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 06 Jun 2020 10:44 AM (IST)
जूस और चाट की ठेलियों पर कोरोना संक्रमण को दावत, पढ़िए पूरी खबर
देहरादून, जेएनएन। एक ओर दून में कोरोना संक्रमितों का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है और दूसरी ओर शहरभर में जूस व चाट की ठेलियों पर खुलेआम संक्रमण को दावत दी जा रही है। इसको लेकर न तो प्रशासन फिक्रमंद नजर आ रहा है और न लोग ही सावधानी बरत रहे हैं। इन हालात में ये ठेलियां कभी भी संक्रमण का केंद्र बन सकती हैं।

खुले में बिकने वाली खाने-पीने की वस्तुओं का सेवन वैसे भी सेहत के लिए अच्छा नहीं होता। ..और इन हालात में तो ठेली-रेहड़ी पर कुछ भी खाना कोरोना संक्रमण को दावत देने जैसा है। बावजूद इसके दून के विभिन्न बाजारों में धड़ल्ले से ठेलियों पर जूस, चाट व ऐसी ही खाद्य सामग्रियों की बिक्री हो रही है। नियमों के विपरीत संचालित हो रही इन ठेलियों में न तो शारीरिक दूरी के नियम का पालन हो रहा है और न ही स्वास्थ्य मंत्रलय की अन्य गाइडलाइंस का। 

यह हाल तब है, जब निरंजनपुर सब्जी मंडी में पिछले दो हफ्तों में आए कोरोना संक्रमण के मामलों ने चिंता बढ़ा दी है। अगर जूस और चाट की ये ठेली-रेहड़ियां यूं ही संचालित होती रहीं तो कोरोना संक्रमण के मामले में दून के मुंबई बनने से इन्कार नहीं किया जा सकता। क्योंकि, अगर इन ठेली-रेहड़ियों से संक्रमण फैलना शुरू हुआ तो इसे काबू करना आसान नहीं होगा। इसलिए प्रशासन को चाहिए कि इस खतरे को टालने के लिए उचित कदम उठाए।

ऐसे फैल सकता है संक्रमण

  • ठेली और रेहड़ियों पर शारीरिक दूरी के नियम का पालन किसी भी हाल में सुनिश्चित नहीं किया जा सकता।
  • साफ-सफाई भी संतोषजनक नहीं होती। अक्सर इसको लेकर सवाल उठते रहते हैं।
  • इन विक्रेताओं के लिए रोजाना ठेली का सेनिटाइजेशन करना तो दूर धुलाई करना भी संभव नहीं।
  • आमतौर पर जूस की रेहड़ियों में दुकानदार एक ही गिलास को धुलकर बार-बार इस्तेमाल करते हैं।
  • गिलास को धुलने के लिए भी हर बार साफ पानी का इस्तेमाल नहीं किया जाता। एक ही पानी में दिनभर गिलासों की धुलाई होती रहती है।
  • यही हाल उन चाट की दुकानों का भी है, जहां प्लास्टिक या स्टील की प्लेटों का इस्तेमाल होता है।
  • अगर कोई संक्रमित इन ठेलों पर गया हो तो बर्तनों के जरिये संक्रमण अन्य लोगों के पहुंचने की प्रबल संभावना।
  • विक्रेता भी रोजाना सीधे तौर पर सैकड़ों लोगों के संपर्क में आते हैं। ऐसे में उनके भी संक्रमित होने से इन्कार नहीं किया जा सकता।
  • इसी तरह फास्ट फूड या अन्य खाने-पीने की वस्तुओं के सड़क किनारे लगने वाले ठेले भी संक्रमण का बड़ा अड्डा बन सकते हैं।
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डॉ. एनएस बिष्ट (वरिष्ठ फिजीशियन, जिला अस्पताल) का कहना हैं कि खुले में बिक रहे किसी भी पदार्थ को खाना या जूस पीना वैसे भी सेहत के लिहाज से सुरक्षित नहीं है। अगर कोरोनाकाल में कोई भी व्यक्ति ठेली-रेहड़ी से कुछ खा-पी रहा है तो यह बहुत ही घातक साबित हो सकता है। साथ ही यहां ग्राहक और विक्रेता सीधे एक-दूसरे के संपर्क में आते हैं। ऐसे में संक्रमण का खतरा दोगुना हो जाता है। ऐसे समय में लोगों को चाहिए कि खासतौर पर शारीरिक दूरी का पालन करें व साफ-सफाई रखें।

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