Coronavirus: कोरोना के अभी तक के मामलों में 57 फीसद महाराष्ट्र से लौटे लोग
अभी तक की स्थिति का विश्लेषण करें तो कोरोना संक्रमित सर्वाधिक लौटे महाराष्ट्र से लौटे हैं। यह संख्या कुल मरीजों का 57 फीसद है। इसके बाद दूसरा नंबर दिल्ली का है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 01 Jun 2020 09:14 AM (IST)
देहरादून, सुकांत ममगाईं। लाकडाउन-3 में मिली छूट के बाद सैकड़ों की संख्या में प्रवासी उत्तराखंड लौटे हैं। जिनकी आमद बढ़ने के साथ ही संक्रमितों का ग्राफ भी तेजी से बढ़ता चला गया। अभी तक की स्थिति का विश्लेषण करें तो कोरोना संक्रमित सर्वाधिक लौटे महाराष्ट्र से लौटे हैं। यह संख्या कुल मरीजों का 57 फीसद है। इसके बाद दूसरा नंबर दिल्ली का है। अभी तक के मरीजों में देश की राजधानी दिल्ली से लौटे 11 फीसद लोग शामिल हैं।
उत्तराखंड में प्रवासियों के लौटने के साथ कोरोना के मामले कई गुणा रफ्तार से बढ़े हैं। कुछ समय पहले तक कोरोना के खिलाफ छिड़ी जंग में जीत के करीब पहुंच चुका राज्य दोबारा मुसीबतों से घिर गया है। विभिन्न राज्यों से वापस लौटे तमाम प्रवासी न सिर्फ कोरोना के कैरियर बनकर आए, बल्कि पिछले लंबे समय से सुकून महसूस कर रहे आमजन को भी दहशत में डाल दिया है। प्रदेश में दिन-प्रतिदिन हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं। स्थिति यह कि पिछले आठ दिन के भीतर साढ़े 600 से अधिक मामले सामने आ चुके हैं। अभी तक आए मामलों में तकरीबन 78 फीसद प्रवासी हैं।इनमें ज्यादातर लोग महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उप्र व गुजरात आदि से लौटे हैं। सर्वाधिक संख्या महाराष्ट्र से लौटे लोगों की है।
मरीजों के ग्राफ से चुनौतियों का अंबारबहरहाल जिस तेजी से मरीजों का ग्राफ बढ़ा है उसने कई स्तर पर चुनौतियां पैदा कर दी हैं। प्रयोगशालाओं में जिस तरह का बैकलॉग अभी है, मरीजों की यह संख्या और बढ़नी स्वाभाविक है। जिम्मेदार यह दावा कर रहे हैं कि कोरोना की रोकथाम के लिए प्रभावी कदम उठाए जा रहे हैं। पर संक्रमण की रोकथाम के लिए सिस्टम की तैयारियां फिलवक्त ना साबित हो रही हैं।
दो से आठ जून तक सील हुआ बमियाला गांवकेंद्र सरकार ने भले ही अनलॉक-1 को लेकर गाइडलाइन जारी कर दी हो। लेकिन, नारायणबगड़ ब्लॉक के दूरस्थ गांव बमियाला गांव के ग्रामीणों ने दो से आठ जून तक गांव में पूर्ण लॉकडाउन कर सीमाओं को सील कर दिया है। गांव में सीमित का गठन करने के साथ ही अनुमति से ही आने जाने का निर्णय लिया है।
आठ दिन में आए कोरोना के 73 फीसद मामले कोरोना के लिहाज से उत्तराखंड में बीते आठ दिन काफी भारी साबित हुए हैं। अभी तक के कुल मामलों में करीब 73 फीसद इन आठ दिन में सामने आए हैं। इस दौरान जिस तेजी से कोरोना का ग्राफ बढ़ा है उसने कई चिंताओं को जन्म दे दिया है। आने वाले दिनों में भी मामले बढ़ते की रफ्तार यदि यही रही तो स्थिति भयावह हो सकती है। हालात यह कि मई मध्य तक जहां प्रदेश में मरीजों का सैकड़ा पूरा हुआ था माह अंत तक यह 900 के पार पहुंच गया है।
उत्तराखंड में कोरोना का पहला मामला पंद्रह मार्च को सामने आया था। शैक्षणिक टूर से विदेश से लौटा इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन सेवा अकादमी का एक प्रशिक्षु आइएफएस कोरोना संक्रमित पाया गया था। इसके बाद यहां पर मरीजों की संख्या बढ़ती ही गई। ऐसा नहीं कि कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए सरकारी मशीनरी ने प्रभावी कदम नहीं उठाए। अन्य राज्यों की तरह उत्तराखंड में भी लॉकडाउन के नियमों का सख्ती से पालन कराया गया।
यह भी पढ़ें: Lockdown: आम लोगों के लिए बने हैं नियम-कानून, शायद जनप्रतिनिधियों के लिए नहीं वहीं संक्रमित मरीजों की पहचान के लिए सैंपलिंग व अन्य जांच सुविधाओं का दायरा भी बढ़ाया गया। लेकिन इन सब इंतजामों पर प्रवासियों ने एक झटके में पानी फेर दिया है। इसका परिणाम यह कि विभिन्न राज्यों की तरह ही प्रदेश में भी वायरस पिछले कुछ वक्त से न सिर्फ तेजी से पैर पसार रहा है, बल्कि हर दिन बड़ी संख्या में संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं। यही नहीं मृत्यु दर में भी अब इजाफा होने लगा है। साथ ही संक्रमण दर भी लगातार बढ़ता जा रहा है।
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