Coronavirus: इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के 70 प्रशिक्षु आइएफएस रहेंगे निगरानी में
आइजीएनएफए के एक प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अकादमी में रह रहे सभी 70 प्रशिक्षु अधिकारियों की निगरानी बढ़ा दी गई है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 16 Mar 2020 09:57 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी (आइजीएनएफए) के एक प्रशिक्षु आइएफएस अधिकारी में कोरोना वायरस के संक्रमण की पुष्टि होने के बाद अकादमी में रह रहे सभी 70 प्रशिक्षु अधिकारियों की निगरानी बढ़ा दी गई है। ये अधिकारी अपने-अपने हॉस्टल में रहेंगे। ये न तो किसी के सीधे संपर्क में आएंगे और न ही कोई अन्य इनसे संपर्क करेगा। इसके लिए जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने प्रशिक्षु अधिकारियों के हॉस्टल को कोरेंटाइन व आइसोलेशन जोन में तब्दील कर दिया है।
जिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि आइसोलेशन जोन का हॉस्टल उन अधिकारियों का बनाया गया है, जो स्पेन का दौरा कर लौटे हैं। ऐसे छह अधिकारियों के सैंपल लिए गए थे। जिसमें एक का सैंपल पॉजिटिव होने पर उन्हें चिकित्सीय दल की निगरानी में अस्पताल के आइसोलेशन वार्ड में रखा गया है। शेष पांच अधिकारी हॉस्टल में ही आइशोलेशन जोन में रहेंगे। इसके अलावा अन्य प्रशिक्षु अधिकारी सेल्फ कोरेंटाइन (स्वेच्छा से पृथक रूप से) जोन में रहेंगे। सेल्फ कोरेंटाइन की यह अवधि 14 दिन के लिए तय की गई है।
हॉस्टल के ब्लॉक के तय किए जोन
- कोरेंटाइन: ए से ई ब्लॉक व एफ ब्लॉक का पश्चिमी विंग।
- आइसोलेशन: एफ ब्लॉक का पूर्वी विंग।
आदेश का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी अकादमी प्रशासन कीजिलाधिकारी डॉ. आशीष श्रीवास्तव ने बताया कि कोरेंटाइन व आइसोलेशन जोन का अनुपालन कराने की जिम्मेदारी अकादमी प्रशासन को सौंपी गई है। साथ ही कहा गया है कि आदेश का अनुपालन तत्काल सुनिश्चित कराया जाए।
आइएफएस प्रशिक्षुओं की कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में जुटा स्वास्थ्य महकमाइंदिरा गांधी राष्ट्रीय वन अकादमी के प्रशिक्षु आइएफएस में कोरोना की पुष्टि होने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। स्वास्थ्य विभाग अब इनकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग में जुटा है। जिसके लिए प्रशिक्षुओं से जानकारी ली जा रही है।आइडीएसपी के राज्य नोडल अधिकारी डॉ. पंकज ने बताया कि कोरोना पीड़ित प्रशिक्षु के साथ ही अकादमी के कई अन्य प्रशिक्षु हाल ही में फिनलैंड, स्पेन व रूस आदि देशों के शैक्षिक भ्रमण से लौटे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन की गाइडलाइन के अनुसार उन्हीं लोगों के सैंपल लिए जाते हैं, जिनमें किसी तरह के लक्षण दिखें। स्वास्थ्य विभाग ने जिन छह लोगों के सैंपल लिए हैं, उन्हें सर्दी-जुकाम, गले में खराश आदि की दिक्कत थी। किसी अन्य प्रशिक्षु को अभी ऐसी कोई शिकायत नहीं है। पर एहतियातन इन सभी को सर्विलांस पर रखा गया है। इनकी नियमित स्वास्थ्य जांच की जा रही है। इसके अलावा विभागीय अधिकारी इस बात की भी जानकारी जुटा रहे हैं कि दिल्ली से दून तक प्रशिक्षु किन-किन लोगों के संपर्क में आए। इसके अलावा दून पहुंचने के बाद किस-किसके संपर्क में रहे। इनकी कॉन्टेक्ट ट्रेसिंग की जा रही है। ताकि कोई अन्य व्यक्ति भी अगर संक्रमित हुआ है तो उसे भी आइसोलेट कर उपचार दिया जा सके। यदि दिल्ली से दून के रास्ते में कोई इनके संपर्क में आया तो संबंधित क्षेत्र के स्वास्थ्य अधिकारी को इसकी जानकारी दी जाएगी।
यह भी पढ़ें: Coronavirus: ऋषिकेश में कोरोना आशंकित विदेशी महिला सहित तीन लोग एम्स में भर्ती28 दिन की निगरानी अवधि: स्वास्थ्य विभाग के अनुसार कोरोना में पहले 14 दिन में संक्रमण का सबसे अधिक जोखिम रहता है। इसलिए विदेश से आए या कोरोना पीड़ित के संपर्क में आए लोगों पर 14 दिन तक कड़ी निगरानी रखी जाती है। उसके अगले 14 दिन में डॉक्टर उनके संपर्क में रहते हैं और बुखार, जुकाम व खांसी आदि के संबंध में अपडेट लेते रहते हैं। यानी कुल मिलाकर 28 दिन की निगरानी अवधि रहती है।
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