पीएम मोदी से उत्तराखंड के ग्रीन जोन में पर्यटन, एमएसएमई को राहत की पैरवी, जानिए मुख्य बिंदु
सीएम रावत ने कहा कि कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए पीएम मोदी ने सही समय पर साहसिक फैसला लिया।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 11 May 2020 10:43 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को विस्तार से राज्य के हालात बताए। साथ ही कंटेनमेंट जोन के बाहर आॢथक और ग्रीन जोन में सीमित पर्यटन गतिविधियों को अनुमति देने की पैरवी की। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस महामारी से होटल, रेस्टोरेंट तथा पर्यटन एवं परिवहन व्यवसाय सर्वाधिक प्रभावित हुआ है। राज्य में करीब ढाई लाख एमएसएमई उद्योगों से कई लाखों लोगों को रोजगार मिलता है। इन्हें राहत देने पर विचार किया जाना चाहिए।
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग के साथ ही प्रदेश सरकार अब कुछ ज्यादा छूट भी चाहती है, ताकि राज्य आजीविका के गहराते संकट से उबरकर वित्तीय व्यवस्था को पटरी पर ला सके। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्रियों की वीडियो कॉन्फ्रेंसिग में राज्य का पक्ष रखा। लॉकडाउन-एक से लेकर तीन तक राज्य की ओर से कोविड-19 की रोकथाम को उठाए गए कदमों की विस्तार से जानकारी देने के बाद मुख्यमंत्री ने एसडीआरएफ के बजट के इस्तेमाल का दायरा बढ़ाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि एसडीआरएफ की धनराशि से कोविड-19 के प्रबंधन तथा अवस्थापना सृजन से संबंधित समस्त खर्चे को मंजूरी मिलनी चाहिए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में आवासीय विद्यालयों को खोले जाने चाहिए। वित्तीय सीमितता और कर वसूली में आई कमी को देखते हुए राज्य की ऋण सीमा को जीडीपी का तीन प्रतिशत से चार प्रतिशत किया जाए। मुख्यमंत्री ने उद्योगों की भांति किसानों के लिए सिंगल विंडो सिस्टम की तरह पोर्टल तैयार करने की बात कही।
मनरेगा का दायरा बढ़े मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रदेश में श्रमिक कानूनों में सुधार किया गया है। खनन के चुगान में बड़ी संख्या में श्रमिकों की आवश्यकता है। इसके लिए एनजीटी से अनुमति प्रदान करने में प्राथमिकता देने की अपेक्षा की गई। मनरेगा के अंतर्गत मानक गतिविधियों में होम स्टे एवं अल्पावधि कृषि गतिविधियों को शामिल करने पर जोर देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि व्यक्तिगत लाभ की श्रेणी में पुरुष जॉब कार्ड धारक को फार्म उत्पादन प्रसंस्करण यूनिट का निर्माण करने की अनुमति मिलनी चाहिए। वर्तमान में यह व्यवस्था एनआरएलएम स्वयं सहायता समूह की महिलाओं के लिए लागू है।
नए राशनकार्ड की मिले मंजूरीउन्होंने बताया कि राज्य में काफी संख्या में प्रवासी आ रहे हैं जिनके पास कोई राशन कार्ड नहीं है। केंद्र सरकार बीती एक अप्रैल के बाद राशनकार्ड बनाने पर पाबंदी लगा चुकी है। ये लोग अत्यंत गरीब हैं। राज्य में इनकी संख्या करीब तीन लाख के आसपास है। इनके जीवनयापन का भी कोई तत्काल साधन नही है। अत: इनके राशन कार्ड बनाने अत्यंत आवश्यक हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि अब तक राज्य में 45 हजार प्रवासियों को वापस लाया गया है। इनका खर्च राज्य सरकार ने उठाया है। प्रवासियों के रोजगार को मुख्यमंत्री स्वरोजगार योजना पीएमईजीपी की तर्ज पर प्रारंभ की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि कोविड-19 की रोकथाम को राज्य में लगभग 500 डॉक्टरों की तैनाती की गई तथा इतने ही पैरामेडिकल स्टॉफ की व्यवस्था गई। 13 में से 11 जिलों में आईसीयू, वेंटिलेटर एवं बाईपैप की व्यवस्था तथा पैरामेडिकल स्टॉफ के प्रशिक्षण की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह, अपर मुख्य सचिव ओमप्रकाश, प्रमुख सचिव मनीषा पंवार, वित्त व आपदा प्रबंधन सचिव अमित नेगी मौजद रहे।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में प्रवासियों की वापसी सुखद, पर जांच और क्वारंटाइन की खल रही कमीमुख्य बिंदु
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- उद्योगों को सिंगल विंडो सिस्टम की तर्ज पर किसानों के लिए बने पोर्टल
- खनन चुगान को एनजीटी से अनुमति दिलाने को दी जाए प्राथमिकता
- मनरेगा में होम स्टे व अल्पावधि कृषि गतिविधियों को मिले इजाजत
- मनरेगा के पैटर्न पर शहरी क्षेत्रों में मजदूरों को के लिए बने नई योजना
- करों से आमदनी गिरने पर ऋण सीमा बढ़ाने का अनुरोध भी किया गया।
- प्रदेश में आवासीय विद्यालयों को खोलने पर दिया जोर
- प्रधानमंत्री ने 15 तक मांगी लॉकडाउन तीन के बाद की कार्ययोजना