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coronavirus: शासन का आदेश नहीं मान रहे निजी स्कूल, शिक्षक बोले- कोरोना सिर्फ बच्चों के लिए

जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और दून के निजी स्कूल ऐसे नाजुक वक्त में भी मनमानी पर उतारू हैं।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 18 Mar 2020 01:59 PM (IST)
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coronavirus: शासन का आदेश नहीं मान रहे निजी स्कूल, शिक्षक बोले- कोरोना सिर्फ बच्चों के लिए
देहरादून, जेएनएन। देश-दुनिया में जानलेवा कोरोना वायरस का प्रकोप बढ़ता जा रहा है और दून के निजी स्कूल ऐसे नाजुक वक्त में भी मनमानी पर उतारू हैं। शासन के सख्त आदेश के बाद भी शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों को स्कूल बुलाया जा रहा है। भय के साये में स्कूल पहुंच रहे शिक्षकों और कर्मचारियों में इसको लेकर आक्रोश भी है, लेकिन नौकरी जाने के डर से वह कुछ बोल नहीं पा रहे। 

देश में कोरोना वायरस के मरीज लगातार बढ़ते जा रहे हैं। बीते दिनों दून में भी एक व्यक्ति इस वायरस से संक्रमित पाया गया। जिसके बाद शासन और प्रशासन ने सुरक्षा के मद्देनजर कई एहतियाती कदम उठाए हैं। इसी क्रम में 31 मार्च तक कक्षा एक से आठवीं तक के निजी और सरकारी स्कूल बंद करने और बोर्ड परीक्षा में ड्यूटी नहीं कर रहे शिक्षकों को छुट्टी देने का आदेश दिया गया था, लेकिन कुछ निजी स्कूलों के प्रबंधन के कान पर जूं नहीं रेंग रही। 

मंगलवार को मसूरी रोड स्थित एक निजी स्कूल ने उन शिक्षकों और कर्मचारियों को भी बुला लिया, जिनकी परीक्षा में ड्यूटी नहीं थी। इसी तरह डालनवाला स्थित दो निजी स्कूलों में भी छुट्टी के बावजूद स्कूल प्रबंधन ने कर्मचारियों को बुलाया था। पटेलनगर में भी एक निजी स्कूल के आदेश पर अधिकांश शिक्षक स्कूल पहुंचे। साफ है कि इन स्कूलों को न तो शासन के आदेश की फिक्र है और न ही शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के स्वास्थ्य की। वहीं, विभागीय अधिकारियों का कहना है कि इस तरह की शिकायतें मिलते ही जांच के बाद सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

'कोरोना सिर्फ बच्चों के लिए है' 

नाम न बताने की शर्त पर पटेलनगर के एक निजी स्कूल की शिक्षिका ने कहा कि हमें सिर्फ स्कूल प्रबंधक के आदेशानुसार कार्य करना पड़ता है। शायद स्कूल प्रबंधक यह मान रहे हैं कि कोरोना सिर्फ बच्चों के लिए है। इसलिए उन्हें छुट्टी दे दी और शिक्षकों को मन मुताबिक बुला रहे हैं। 

मुख्य शिक्षाधिकारी आशा रानी पैन्युली ने बताया कि इस संबंध में विभाग सतर्क है। पूर्व में भी निजी स्कूल खुलने और शिक्षकों को बुलाने की शिकायतें मिली थीं। अधिकारी मौके पर गए, लेकिन स्कूल बंद मिले। सभी स्कूलों को आदेश का पालन करने को कहा गया है। विभागीय जांच में जो स्कूल आदेश की अवहेलना करता पाया गया, उसपर सख्त कार्रवाई की जाएगी। 

नेशनल एसोसिएशन ऑफ पैरेंट्स फॉर स्टूडेंट राइट्स के अध्यक्ष आरिफ खान ने बताया कि निजी स्कूल कभी भी अभिभावक और शिक्षकों के हित में निर्णय नहीं लेते। शासन के आदेश के बावजूद कई स्कूल परीक्षा में ड्यूटी न देने वाले शिक्षकों को भी बुला रहे हैं। कई शिक्षकों ने इस बारे में संगठन से मौखिक शिकायत की है। निजी स्कूलों की इस मनमानी के खिलाफ विभाग और शासन स्तर पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए। 

केवि एफआरआइ में कक्षा सेक्शन बंद का विरोध शुरू 

केंद्रीय विद्यालय एफआरआइ में कक्षा छह के एक सेक्शन को बंद करने के फरमान का अभिभावकों ने विरोध शुरू कर दिया है। अभिभावकों ने कहा कि जल्द ही इस संबंध में मानव संसाधन मंत्री से मिलेंगे। साथ ही दून में सड़कों पर उतरकर विरोध जताएंगे। 

एक ओर मानव संसाधन मंत्री डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक हर ब्लॉक में केवि खोलने की बात कह रहे हैं। वहीं, 1964 में स्थापित केवि एफआरआइ को एफआरआइ बंद करने की तैयारी कर रहा है। केवि एफआरआइ अभिावक संघ के अध्यक्ष विजय गिरी गोस्वामी ने बताया कि एफआरआइ से विद्यालय को बजट जारी होता है। तीन साल पहले भी सेक्शन बंद करने की तैयारी की जा रही थी।

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लेकिन अभिभावकों के आंदोलन के के जरिये केंद्र तक लड़ाई लड़ी। अब एक बार फिर से एफआरआइ कक्षा छह के एक सेक्शन को बंद कने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने कहा कि एफआरआइ की ओर से इस तरह के निर्णय के बाद कक्षा छह में प्रवेश लेने वाले छात्रों के सामने परेशानी खड़ी हो जाएगी। उन्होंने कहा कि एफआरआइ बजट न होने का बहाना बनाकर धीरे-धीरे  विद्यालय को बंद करने की तैयारी कर रहा है। जिसका सड़कों पर उतरकर विरोध किया जाएगा। 

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2016 में मिला उत्कृष्ट विद्यालय का अवॉर्ड 

केवि एफआरआइ को स्वच्छ भारत के तहत 2016 में केंद्र सरकार की ओर से उत्कृष्ट विद्यालय का पुरस्कार दिया। इसके अलावा विद्यालय से पासआउट छात्र-छात्राएं विभिन्न क्षेत्रों में विद्यालय का नाम रोशन कर रहे हैं। 

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