हरिद्वार में अनुमति के बगैर किया गया रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट, मुकदमा दर्ज
अनुमति के बगैर रानीपुर मोड़ स्थित एक निजी पैथॉलोजी लैब में कोरोना का रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट किए जाने को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Sun, 09 Aug 2020 12:34 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। हरिद्वार में प्रशासन की अनुमति के बगैर रानीपुर मोड़ स्थित एक निजी पैथॉलोजी लैब में कोरोना का रैपिड एंटी बॉडी टेस्ट किए जाने को प्रशासन ने गंभीरता से लिया है। एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने संबंधित लैब के बारे में जिलाधिकारी सी रविशंकर को रिपोर्ट भेजी। जिसके बाद शनिवार शाम को स्वास्थ्य विभाग ने लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया है। वहीं, लैब संचालक ने जानबूझकर द्वेषपूर्ण कार्रवाई करने का आरोप लगाते हुए कोर्ट की शरण लेने की बात कही है।
एसडीएम गोपाल सिंह चौहान ने ऐसे 27 निजी लैबों की जांच की। इस दौरान रानीपुर मोड़ स्थित एक पैथोलॉजी लैब की ओर से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की अनुमति बगैर कोरोना के एंटी बॉडी सैंपल लिए जाने की बात सामने आई। जांच पड़ताल में लैब संचालक इस संबंध में जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की अनुमति संबंधी दस्तावेज नहीं दिखा पाया, जिसके बाद सीएमओ डॉ. शंभूनाथ झा के निर्देश पर शनिवार को जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. गुरनाम सिंह ने ज्वालापुर कोतवाली पहुंचकर तहरीर दी।
इसमें बताया कि विभाग की एक टीम ने चंद्राचार्य चौक के पास सुपर कॉम्पलेक्स में स्थित रवि डायनोग्स्टिक लैब का निरीक्षण किया था। निरीक्षण के दौरान ओपीडी रजिस्टर की जांच करने पर यह पता चला है कि 21 जुलाई के बाद लैब में कई लोगों की कोरोना जांच की गई है, जबकि शासन की अनुमति के बिना प्राइवेट लैब इसकी जांच नहीं कर सकती हैं। पुलिस ने डॉक्टर गुरनाम सिंह की तहरीर पर रवि डायनोग्स्टिक लैब के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया। ज्वालापुर कोतवाली प्रभारी प्रवीण कोश्यारी ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
वहीं, पैथोलॉजोजी लैब के संचालक डॉ. रविकांत का कहना है कि कार्रवाई गलत की गई है। कार्रवाई करने वालों को कानून का ज्ञान नहीं है। लैब पर कोई भी कोरोना एंटीजेंट टेस्ट नहीं होता है। यह जानकारी दे दी गई थी। हम नियमानुसार आईसीएमआर की गाइडलाइन के तहत अनुमति प्राप्त लैब के लिए केवल कलेक्शन सेंटर के रूप में कार्य कर रहे हैं। यह जानकारी देने के बाद भी हमारे के खिलाफ जानबूझकर द्वेषपूर्ण कार्रवाई की गई है। इसके खिलाफ हम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएंगे।
कोरोना मरीज ने एक्सपायरी दवा देने का लगाया आरोप
गढ़वाल मंडल विकास निगम (जीएमवीएन) उत्तरकाशी के गेस्ट हाउस में बनाए गए कोविड केयर सेंटर में भर्ती कोरोना संक्रमित मरीज ने स्वास्थ्य व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं। मरीज ने एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर डाली है। वायरल हो चुके वीडियो में मरीज ने यह दावा किया है कि उन्हें जो दवा दी गई है, वह जून 2020 में एक्सपायर हो चुकी है। वहीं, मामले का संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी मयूर दीक्षित ने सीएमएस के नेतृत्व में गठित कमेटी को 48 घंटे में जांच कर रिपोर्ट देने के आदेश दिए हैं।
कोरोना मरीज के वायरल वीडियो और डीएम की सख्ती के चलते स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है। मरीज एक नामी कंपनी का क्वालिटी कंट्रोलर भी है, इसके चलते मामला हाई प्रोफाइल हो गया है। कोरोना मरीज ने अपने वीडियो में दावा किया है कि उन्हें कोरोना के उपचार के लिए एजिथ्रोमाइसिन एंटीबायोटिक दवा दी गई, जो एक्सपायर हो चुकी थी। वो तो शुक्र है कि उन्होंने दवा लेने से पहले एक्सपायरी डेट चेक कर ली वरना जान पर बन आती। मरीज ने कहा कि वो हमेशा एक्सपायरी डेट देखकर दवा लेते हैं। लेकिन, कई मरीज ऐसे ही दवा ले लेते हैं। ऐसे में दवा तबीयत सुधारने के बजाय बिगाड़ सकती है।
यह भी पढ़ें: कोरोना संक्रमित होने की जानकारी छिपाने पर चिकित्सक पिता-पुत्र पर मुकदमा, नीट की काउंसलिंग में हुए थे शामिलउत्तरकाशी के मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. डीपी जोशी ने बताया कि जिला अस्पताल से वितरित की जाने वाली दवा का एक्सपायरी होना संभव नहीं है। जो दवा पहले मंगाई जाती है, उसे पहले ही वितरित किया जाता है। फिर भी मामले में जांच की जा रही है कि गलती कहां से हुई है।
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