कोरोना ने रोके परिवहन समझौते पर कदम, उत्तराखंड-यूपी के बीच परिसंपत्तियों का मसला है लंबित
उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिवहन समझौते पर कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से कदम आगे नहीं बढ़ पाए हैं। इस समझौते के तहत उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड की चार परिसंपत्तियों की एवज में तकरीबन 250 करोड़ का भुगतान करना है।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Fri, 07 May 2021 11:00 PM (IST)
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के बीच परिवहन समझौते पर कोरोना महामारी के कारण दो वर्षों से कदम आगे नहीं बढ़ पाए हैं। इस समझौते के तहत उत्तर प्रदेश को उत्तराखंड की चार परिसंपत्तियों की एवज में तकरीबन 250 करोड़ का भुगतान करना है। इसके अलावा दोनों राज्यों के सीमांत मार्गों पर निजी व्यवसायिक वाहनों को परिमट दिए जाने की बात भी शामिल है।
राज्य गठन के तीन साल बाद यानी वर्ष 2003 में उत्तराखंड परिवहन निगम का गठन हुआ। इस दौरान उत्तर प्रदेश परिवहन निगम ने उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश और दिल्ली के कुल चार स्थानों की संपत्ति में हिस्सा देने पर हामी भरी थी। तकरीबन 18 साल गुजरने के बाद भी निगम की परिसंपत्तियों का अभी तक बंटवारा नहीं हो पाया है। वर्ष 2019 में समझौता तो हुआ, लेकिन यह कागजों से बाहर नहीं निकला। इसे देखते हुए वर्ष 2019 अंत में उत्तराखंड परिवहन निगम की एक कर्मचारी यूनियन में कोर्ट में याचिका भी दायर की थी। इस पर बीते वर्ष कोर्ट ने केंद्र से दोनों प्रदेशों के परिवहन निगम को आपस में बैठकर इसका हल निकालने को कहा था।
परिवहन निगम ने इसके लिए 250 करोड़ रुपये की मांग की। जिस पर उत्तर प्रदेश राजी नहीं था। केंद्र ने मार्च अंत में दोनों राज्यों की फिर बैठक बुलाई लेकिन तब तक पूरे देश में लाकडाउन लग गया था। तब से इस पर बात आगे नहीं बढ़ पाई। वहीं, एक अन्य प्रकरण में यह बातें सामने आई कि दोनों राज्यों के सीमांत क्षेत्रों में कई मार्ग ऐसे हैं, जिनका कुछ किमी का हिस्सा उत्तर प्रदेश और कुछ किमी उत्तराखंड से होकर गुजर कर वापस मूल प्रदेश में आ जाता है। इन पर संबंधित प्रदेश द्वारा परमिट जारी होता है। ऐसे परमिट धारक जब दूसरे प्रदेश की सीमा से होकर गुजरते हैं तो उनका चालान कट जाता है। इस पर व्यावसायिक वाहन चालक कई बार आपत्ति भी जता चुके हैं।
राज्य परिवहन प्राधिकरण ने इस पर कुछ समय पहले यह निर्णय लिया था कि ऐसे मार्ग, जिनके दोनों छोर उत्तराखंड में है और उत्तर प्रदेश में आने वाला हिस्सा 16 किमी से कम है। ऐसे मार्गों पर परमिट और टैक्स की शर्तों पर छूट देने के संबंध में उत्तर प्रदेश से वार्ता की जाएगी। इस पर भी अप्रैल 2020 में वार्ता होनी प्रस्तावित थी। लाकडाउन के कारण यह भी नहीं हो पाई। अब कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर चल रही है। इस समय फोकस कोरोना से जंग पर है। इस कारण फिलहाल उपरोक्त विषयों पर चर्चा ही नहीं हो पाई है।
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