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Uttarakhand में वन प्रकार को लेकर सामने आएगी सही तस्वीर, 10 वर्षीय कार्ययोजना में प्रकार पर विशेष जोर

उत्तराखंड के जंगलों में किस क्षेत्र में कौन से वन कितने क्षेत्रफल में हैं इसे लेकर अब तस्वीर साफ होगी। वन प्रभागों की 10 वर्षीय कार्ययोजना में वन प्रकार स्पष्ट करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इससे वन प्रबंधन व संरक्षण के लिए सही ढंग से योजना बनेगी और फिर इसके अनुरूप ही कार्य होगा।किसी भी वन प्रभाग के लिए उसकी 10 वर्षीय कार्ययोजना सबसे महत्वपूर्ण होती है।

By kedar duttEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 02 Sep 2023 03:06 PM (IST)
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Uttarakhand में 10 वर्षीय कार्ययोजना में वन प्रकार पर विशेष जोर
राज्य ब्यूरो, देहरादून। उत्तराखंड के जंगलों में किस क्षेत्र में कौन से वन कितने क्षेत्रफल में हैं, इसे लेकर अब तस्वीर साफ होगी। वन प्रभागों की 10 वर्षीय कार्ययोजना में वन प्रकार स्पष्ट करने पर विशेष जोर दिया जा रहा है। इससे वन प्रबंधन व संरक्षण के लिए सही ढंग से योजना बनेगी और फिर इसके अनुरूप ही कार्य होगा।

किसी भी वन प्रभाग के लिए उसकी 10 वर्षीय कार्ययोजना सबसे महत्वपूर्ण होती है। यह ऐसा अभिलेख होता है, जिसमें संबंधित वन प्रभाग से जुड़ी हर छोटी-बड़ी जानकारी समाहित होती है। इसके आधार पर ही वहां वनों के संरक्षण-संवर्द्धन के कार्य होते हैं। कार्ययोजना का सबसे अहम बिंदु वन प्रकार है। यह दर्शाता है कि वन प्रभाग के किस हिस्से में कितने क्षेत्रफल में एक ही प्रजाति के वन और कितने में मिश्रित अथवा अन्य हैं।

वन प्रकार पर केंद्रित किया गया विशेष ध्यान

राज्य के जंगलों में अभी तक साल, चीड़, देवदार, स्प्रूस, फर, उतीस, बांज समेत 43 प्रजातियों के वन प्रकार चिह्नित हैं। हालिया वर्षों तक वन प्रभागों की 10 वर्षीय कार्ययोजना में वन प्रकार को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा था। कुछेक जगह तो अंदाज से ही वन प्रकार के क्षेत्रफल अंकित कर दिए जा रहे थे। अब जबकि अधिकांश वन प्रभागों की कार्ययोजना खत्म होने को है तो वन प्रकार पर विशेष ध्यान केंद्रित किया गया है।

प्रबंधन व संरक्षण को लेकर बन पाएगी प्रभावी योजना

मुख्य वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के अनुसार वन प्रभागों में वन प्रकार को लेकर स्पष्टता होने पर ही प्रबंधन व संरक्षण को प्रभावी योजना बन पाएगी। बदली परिस्थितियों में यह आवश्यक भी है। ऐसे में सभी प्रभागों से नवीन तकनीकी का समावेश करते हुए वन प्रकार व क्षेत्रफल का सही ब्योरा उपलब्ध कराने को कहा गया है। उन्होंने बताया कि प्रभाग जो सूचना उपलब्ध कराएंगे, उसे क्रास चेक भी कराया जाएगा।

अंतिम चरण में पांच प्रभागों की कार्ययोजना 

मुख्य वन संरक्षक चतुर्वेदी ने बताया कि पांच वन प्रभागों पिथौरागढ़, चंपावत, पौड़ी गढ़वाल, मसूरी व अपर यमुना की 10 वर्षीय कार्ययोजना बनाने का कार्य अंतिम चरण में है। जल्द ही इन्हें फाइनल कर एक माह के भीतर केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय के समक्ष इनका प्रस्तुतीकरण दिया जाएगा।

केंद्र से अनुमोदन मिलने के बाद ही कार्ययोजना अस्तित्व में आएंगी। उन्होंने बताया कि अन्य प्रभागों की कार्ययोजना भी जल्द तैयार करने को कदम उठाए जा रहे हैं।

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