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Covid 19 Vaccination: फौरी राहत, उत्तराखंड को मिलीं कोवैक्सीन की 40 हजार डोज मिली

Covid 19 Vaccination कोरोनारोधी वैक्सीन के संकट के बीच उत्तराखंड को फौरी राहत मिली है। प्रदेश को कोवैक्सीन की 40 हजार डोज मिली है। इसमें से नौ हजार कोवैक्सीन दून के हिस्से आई और अब कई दिनों के बाद शहर के केंद्रों पर टीकाकरण हो पाएगा।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 11 Jul 2021 11:05 AM (IST)
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फौरी राहत, उत्तराखंड को मिलीं कोवैक्सीन की 40 हजार डोज मिली।
जागरण संवाददाता, देहरादून। Covid 19 Vaccination कोरोनारोधी वैक्सीन के संकट के बीच उत्तराखंड को फौरी राहत मिली है। प्रदेश को कोवैक्सीन की 40 हजार डोज मिली है। इसमें से नौ हजार कोवैक्सीन दून के हिस्से आई और अब कई दिनों के बाद शहर के केंद्रों पर टीकाकरण हो पाएगा। हालांकि, इस समय कोविशील्ड की मांग सर्वाधिक है। क्योंकि वर्तमान में दूसरी डोज का समय आ चुका है। ऐसे में जल्द कोविशील्ड की पर्याप्त उपलब्धता जरूरी है।

दून की बात करें तो वर्तमान में कोविशील्ड की 1640 डोज ही बची हैं। वहीं, कोवैक्सीन की 11 हजार 820 डोज उपलब्ध हैं। वैक्सीन की उपलब्धता के मुताबिक स्वास्थ्य विभाग ने स्लाट जारी कर दिए हैं। जिले में रविवार को 8320 डोज लगाई जाएगी। इसमें कोविशील्ड की महज 1300 डोज शामिल हैं। जैसे-जैसे कोविशील्ड की दूसरी डोज की तिथि निकट आ रही है, संबंधित लोग डोज के लिए इधर-उधर भटकने को विवश हैं।

रविवार को इस तरह होगा टीकाकरण

पहली डोज

18-44 आयुवर्ग

कोविशील्ड, चार केंद्रों में 500 डोज (चकराता)

कोवैक्सीन, 20 केंद्रों में 2850 डोज

दूसरी डोज

18-44 आयुवर्ग

कैवैक्सीन, एक केंद्र पर 200 डोज (रायपुर)

45 व अधिक आयुवर्ग (केवल दूसरी डोज)

कोविशील्ड, छह केंद्रों पर 800 डोज (विकासनगर और चकराता)

कोवैक्सीन, 37 केंद्रों पर 3970 डोज (रायपुर, डोईवाला, सहसपुर, विकासनगर, कालसी)

कांवड़ यात्रा से कोरोना फैला तो रूलक जाएगा कोर्ट

रूरल लिटिगेशन एंड एंटाइटलमेंट केंद्र (रूलक) के संस्थापक पद्मश्री अवधेश कौशल ने कांवड़ यात्रा की संभावना तलाशने की सरकार की मंशा पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि यदि कांवड़ यात्रा के चलते प्रदेश के किसी व्यक्ति को कोरोना हुआ तो कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। यदि कोरोना से किसी व्यक्ति की मृत्यु होती है तो मुख्यमंत्री के खिलाफ हत्या का केस दर्ज करवाया जाएगा।

शनिवार को जारी प्रेस बयान में पद्मश्री अवधेश कौशल ने कहा कि कांवड़ यात्री न तो मास्क पहनेंगे, न ही अन्य नियमों का पालन करेंगे। 72 घंटे पूर्व कोरोना की निगेटिव रिपोर्ट लेकर आना तो और भी मुश्किल होगा। इसके साथ उन्होंने कटाक्ष किया कि हमारे अधिकारी अब स्टील फ्रेम नहीं, बल्कि प्लास्टिक फ्रेम बनकर रह गए हैं। वे वही भाषा बोलते हैं, जो राजनीतिक मालिक सुनना चाहते हैं। यही कारण है कि अधिकारियों के सुर भी कांवड़ यात्रा पर बदले दिख रहे हैं।

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