सीताराम येचुरी बोले, गणतंत्र को बचाना है तो भाजपा को सत्ता से हटाना होगा
भाकपा मार्क्सवादी के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि भाजपा को सत्ता से बाहर करना जरूरी है।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Wed, 30 Jan 2019 08:22 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राष्ट्रीय महासचिव सीताराम येचुरी ने आगामी लोकसभा चुनाव की तुलना महाभारत से की। उन्होंने कहा कि यह चुनाव मोदी बनाम जनता है। हमारी कोशिश यह होनी चाहिए, भाजपा विरोधी वोट बंटे नहीं। अगर गणतंत्र को बचाना है तो भाजपा को सत्ता से बाहर का रास्ता दिखाना होगा। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार चमकते भारत का नारा दे रही है, तरसता भारत उसे दिखाई नहीं दे रहा। देश को नेता नहीं नीति चाहिए।
माकपा की उत्तराखंड राज्य कमेटी की तरफ से नगर निगम सभागार में 'घृणा की राजनीति और उसका प्रतिरोध ' विषय पर आयोजित सेमिनार में येचुरी ने कहा कि कौरवों को भी इस बात का अहंकार था कि हम 100 हैं। पांच पांडव हमारा क्या बिगाड़ लेंगे, लेकिन उनका क्या हश्र हुआ, यह बताने की जरूरत नहीं है। उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा कि कौरवों में आज दुर्योधन और दुश्शासन के अलावा आपको कितने लोगों के नाम याद हैं। बार-बार यह बात कही जा रही है कि मोदी का विकल्प नहीं है। जब वाजपेयी पीएम थे, तब भी यही बात कही गई, पर उनकेबाद मनमोहन सिंह ने लगातार दस साल सरकार चलाई।
सत्तापक्ष पर चुटकी लेते उन्होंने कहा कि चुनाव नजदीक देख अब कुछ नए जुमले तलाशे जाएंगे। ताज्जुब देखिए कि पांच साल सत्ता में रहते राम मंदिर पर चुप रहे और अब फिर वही राग अलाप रहे हैं। वह मंदिर बनाना नहीं, बल्कि इसे भुनाना चाहते हैं। माकपा केंद्रीय कमेटी के सदस्य बीजू कृष्णन ने कहा कि यह वक्त हिंदू-मुस्लिम के विवाद में पडऩे का नहीं, बल्कि देश की प्रगति के ब्लू प्रिंट पर काम करने का है। कार्यक्रम के बाद येचुरी ने माकपा के कांवली रोड स्थित प्रांतीय कार्यालय का भी उद्घाटन किया। इस दौरान वरिष्ठ नेता बची राम कंसवाल, प्रांतीय सचिव राजेंद्र सिंह नेगी, भाकपा के प्रांतीय सचिव समर भंडारी, सीटू के जिला महामंत्री लेखराज आदि मौजूद रहे।
आर्थिक आजादी, समाजवाद की स्थापना जरूरी
येचुरी ने कहा कि देश महात्मा गांधी की पुण्यतिथि मना रहा है। जिस घृणा और नफरत के कारण उनकी हत्या की गई, देश में आज फिर वही माहौल तैयार किया जा रहा है। संविधान सभा के पहले भाषण में डॉ. भीमराव आंबेडकर ने कहा था कि हमें हमारे राजनीतिक प्रजातंत्र को एक सामाजिक प्रजातंत्र भी बनाना होगा। सामाजिक प्रजातंत्र एक ऐसी जीवन पद्धति है जो स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को जीवन के सिद्धांतों के रूप में स्वीकार करती है। येचुरी ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना में 'हम भारत के लोग' क्यों लिखा गया? हम में ह का मतलब ङ्क्षहदू और म का मतलब मुसलमान है। देश में जब तक आर्थिक आजादी और समाजवाद की स्थापना नहीं होगी, असंतोष रहेगा और साम्प्रदायिक व फिरकापरस्त ताकतें इसका फायदा उठाती रहेंगी।
देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास
येचुरी ने कहा कि कभी 1920 के दशक में यह सवाल उठा था कि आजाद हिंदुस्तान का चरित्र क्या होगा। तब एक वर्ग ने धर्म के आधार पर द्विराष्ट्र के सिद्धांत को लागू करने की वकालत की गई। इसी का दुष्परिणाम बंटवारे के रूप में दिखा। पाकिस्तान इस्लामिक देश बन गया पर एक वर्ग की हिंदू राष्ट्र की इच्छा दबी रह गई। वह अब उसी सिद्धांत को आगे बढ़ा रहे हैं। इसी क्रम में संवैधानिक संस्थाओं को एक-एक कर कमजोर किया जा रहा है। आरक्षण तो दे दिया, पर नौकरियां कहां
येचुरी ने कहा कि केंद्र सरकार तमाम सरकारी संस्थानों का निजीकरण कर रही है। ऐसे में अब सरकारी क्षेत्र में रोजगार के सीमित ही अवसर बचे हैं। नौकरियां प्राइवेट सेक्टर में हैं। आरक्षण अगर लागू करना ही है तो निजी क्षेत्र को भी इसके दायरे में लिया जाए। यह भी पढ़ें: आय की गारंटी के वायदे से कांग्रेसी खुश, सरकार के खिलाफ तैयार होगी चार्जशीट
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