दून अस्पताल में फिर खड़ा हुआ ऑपरेशन पर संकट Dehradun News
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को लगा अव्यवस्थाओं का मर्ज दूर होता नहीं दिख रहा है। अस्पताल की ओटी में लगी ऑटोक्लेव मशीन अचानक खराब हो गई।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 23 Oct 2019 05:53 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल को लगा अव्यवस्थाओं का मर्ज दूर होता नहीं दिख रहा है। यहां कब क्या हो जाए, कहा नहीं जा सकता। मंगलवार सुबह अस्पताल की ओटी में लगी ऑटोक्लेव मशीन अचानक खराब हो गई। ऐसे में जिन मरीजों के ऑपरेशन होने थे, उन्हें आगे की तारीख दी गई है। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि बुधवार तक समस्या दूर कर ली जाएगी। हालांकि, मशीन रिपेयर करने वाली कंपनी का लंबित भुगतान व पुराने अनुभव बताते हैं कि मरीजों की फजीहत होना तय है।
बता दें,अस्पताल में रोजाना 10 से 12 ऑपरेशन होते हैं। जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह अचानक एक ऑटोक्लेव खराब हो गया। जिससे करीब पांच मरीजों को ऑपरेशन की दूसरी डेट देनी पड़ी। केवल एक ऑटोक्लेव के ही चलने के कारण ऑपरेशन में ज्यादा समय लगा। यहां ध्यान देने वाली बात यह कि हाल फिलहाल अस्पताल की ओटी में कई बार मशीनें खराब होने से मरीजों को परेशानी हुई है। चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने बताया कि तकनीशियन को बुलाकर मशीन ठीक कराई जा रही है। बुधवार तक दिक्कत दूर हो जाएगी। कुछेक ऑपरेशन ही टालने पड़े हैं।
कंपनी का लाखों का बकाया होने से दिक्कत
जिस कंपनी से अस्पताल की मशीनों की मरम्मत कराई जाती है, उस कंपनी का लाखों रुपया बकाया है। पिछली बार भी कंपनी ने मशीनों को ठीक करने से हाथ खड़े कर दिए थे। जिस वजह से दिक्कत का सामना करना पड़ा था। इस बार कंपनी तकनीशियनों को भेजने में आनाकानी कर रही है। चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि भुगतान के लिए प्राचार्य को पत्र लिखा गया है।
दून अस्पताल में अब मरीज को मिलेगा आइसीडी कोड
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती हर मरीज का अब इंटरनेशनल कोड ऑफ डिजीज (आइसीडी) कोड जनरेट किया जाएगा। अस्पताल प्रबंधन की ओर से सभी विभागाध्यक्ष को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। भर्ती मरीज के डिस्चार्ज पेपर पर आइसीडी कोड डाला जाएगा, जो रिकॉर्ड रूम को उपलब्ध कराना होगा। इसमें हर बीमारी का अलग कोड होगा। डाटा संकलित कर हर बीमारी से पीडि़त मरीजों की संख्या आदि केंद्र सरकार को उपलब्ध कराया जाएगा।
बता दें, प्रदेश के तमाम मेडिकल कॉलेज में अब मरीज का एक कोड जनरेट किया जाएगा। जो कि मरीज को हुई बीमारी के हिसाब से डलेगा। ऐसे में बीमारियों और मरीजों के बारे में आवश्यक जानकारी और डाटा स्वास्थ्य विभाग को आसानी से मिल जाएगा। जानकारी के अनुसार मरीज के डिस्चार्ज पेपर में कोड डालना अनिवार्य होगा। इसके बाद ये पेपर रिकॉर्ड रूम को उपलब्ध करा दिए जाएंगे। जहां पूरे अस्पताल का डाटा तैयार किया जाएगा। रिकॉर्ड में हर मरीज की एंट्री होगी, उसके आगे जो बीमारी मरीज को है उसका कोड डाल दिया जाएगा।
क्या है आइसीडी कोडिंगकेंद्र सरकार की ओर से सभी मेडिकल कॉलेज को आइसीडी कोडिंग सिस्टम की बुकलेट उपलब्ध कराई गई है। इस सिस्टम में हर बीमारी का अलग कोड होता है। जो कि सभी मेडिकल कॉलेज अस्पताल को उपलब्ध कराए गए हैं। ये पूरे देश में लागू है। जैसे-जैसे बीमारियों और मरीजों का डाटा अपडेट होगा, वैसे-वैसे बीमारियों के बारे में जानकारी उपलब्ध होती रहेगी। इससे ये पता लगाना आसान है कि किस राज्य में किस तरह की बीमारियों से कितने लोग पीड़ित हैं। इससे नीति निर्धारण में भी मदद मिलेगी।
डॉ. केके टम्टा (चिकित्सा अधीक्षक, दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल) का कहना है कि इंटरनेशनल कोड ऑफ डिजीज (आइसीडी) कोडिंग सिस्टम शुरू करने के सभी विभागाध्यक्षों को निर्देश जारी कर दिए गए हैं। हर भर्ती मरीज के डिस्चार्ज पेपर पर आइसीडी कोड डाला जाएगा। इसके बाद रिकॉर्ड रूम को उपलब्ध करा दिया जाएगा।कोरोनेशन अस्पताल की अव्यवस्थाएं देख चढ़ा डीएम का पाराजिलाधिकारी सी रविशंकर ने मंगलवार को कोरोनेशन अस्पताल का निरीक्षण किया। अस्पताल में अव्यवस्थाएं देख डीएम का पारा चढ़ गया। उन्होंने सीएमएस डॉ. बीसी रमोला को कड़ी फटकार लगाई। अस्पताल में सामने आई खामियों पर तत्काल कार्रवाई करते हुए पंद्रह दिन में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए है। वहीं, निरीक्षण के उपरांत उन्होंने कोरोनेशन व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय की प्रबंधन समिति की बैठक ली। जिसमें अस्पतालों की आय और व्यय की जानकारी उन्होंने ली।
डीएम ने निरीक्षण के दौरान पाया कि मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अपने अधीनस्थ चिकित्सा यूनिटों का निरीक्षण नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने कड़े लहजे में सीएमएस को अपने अधीनस्थ यूनिटों का निरीक्षण करते हुए दो सप्ताह के भीतर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इस दौरान पीपीपी मोड पर संचालित फोर्टिस और नेफ्रो यूनिट के एमयू दरों की सीएमएस सही जानकारी तक नहीं दे पाए। जिस पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई। अस्पताल के विभिन्न वार्डों, शौचालय व परिसर के चारों ओर गंदगी पर भी डीएम ने नाराजगी जताई है।
जन औषधि केंद्र की पंजिका में कांटछांटभारतीय जन औषधि केंद्र की पंजिका का अवलोकन करने पर डीएम ने पूछा की जेनेरिक दवा की ब्रिकी इतनी कम क्यों है। दवा पंजिका का निरीक्षण करने पर उसमें की गई कांटछांट पर उन्होंने कड़ी नाराजगी जताई।अर्ली डिस्एबिलिटी रूम बना शोपीसअर्ली डिस्एबिलिटी रूम (दिव्यांग बच्चों) के रहने व मनोरंजन कक्ष में जमी धूल देखकर जिलाधिकारी ने सवाल किया कि यह कब से नहीं खोला गया है। कहा कि अस्पताल में जब कोई सुविधा है, तो उसका सही ढंग से इस्तेमाल करें। उसे शोपीस बनाकर ना रखें। इस अवसर पर जिलाधिकारी ने शौचालय व परिसर के बाहर पानी की लीकेज को तत्काल ठीक करने के भी निर्देश दिए। साथ ही अनियमित पार्किंग, डिस्पले बोर्ड, परिसर में अस्त-व्यस्त पड़े सामान, दवा आदि व्यवस्थित करने के निर्देश दिए। उन्होंने आयुष्मान योजना, बीपीएल, दिव्यांगजन आदि के उपचार से संबंधित छूट स्पष्ट रूप से डिस्पले बोर्ड पर अंकित करने को कहा है।
यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में जल्द ही बनेगा मेडिकल डिवाइस पार्क, पढ़िए पूरी खबरमेडिकल ऑडिट में करा देना होगा पूरा विवरणप्रबंधन समिति की बैठक में जिलाधिकारी ने चिकित्सालय की मेडिकल ऑडिट करवाते हुए उसकी रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने मेडिकल ऑडिट में चिकित्सालय के पास मौजूद सभी तरह के संसाधनों का स्पष्ट विवरण दर्शाने को कहा है। अस्पताल परिसर में रेन वॉटर हार्वेस्टिंग कार्य को जल संस्थान के माध्यम से तीन दिन के भीतर तकनीकी जांच कराने और जांच में सही पाए जाने पर यथावत स्वीकृत माने जाने की बात कही।
यह भी पढ़ें: पौड़ी और रुद्रप्रयाग में 54 डॉक्टरों की सेवाएं होंगी समाप्त, जानिए वजहअगली बार चेतावनी नहीं कार्रवाई-डीएमजिलाधिकारी ने अस्पताल में सभी तरह के रिकॉर्ड अपडेट रखने व अस्पताल में नहीं मिलने वाली दवा बोर्ड में अंकित करने के भी निर्देश दिए। उन्होंने चेतावनी दी कि भविष्य में लापरवाही बरतने पर कार्रवाई की जाएगी। निरीक्षण के दौरान सदस्य प्रबंधन मुख्य कोषाधिकारी नरेंद्र सिंह, डॉ. केके सिंह आदि उपस्थित रहे।
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