CUET व समर्थ पोर्टल बनें गरीबों के प्रवेश में रोड़ा, गढ़वाल विवि के अलावा 8 अन्य कालेजों में 7,540 सीटें रिक्त
अशासकीय विद्यालयों में कामन यूनिवर्सिटी इंट्रेस टेस्ट (सीयूईटी) यूजी और सरकारी महाविद्यालयों में समर्थ पोर्टल के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन की अनिवार्यता से इस बार गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार के हजारों छात्र-छात्राएं बेहद कम फीस पर स्नातक की पढ़ाई से वंचित रह गए हैं। पहली बार सरकारी कालेजों में 60 से 65 प्रतिशत और अशासकीय कालेज में 35-40 प्रतिशत प्रवेश हुए हैं।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 08:47 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : अशासकीय विद्यालयों में कामन यूनिवर्सिटी इंट्रेस टेस्ट (सीयूईटी) यूजी और सरकारी महाविद्यालयों में समर्थ पोर्टल के माध्यम से प्रवेश के लिए आवेदन की अनिवार्यता से इस बार गरीब व मध्यमवर्गीय परिवार के हजारों छात्र-छात्राएं बेहद कम फीस पर स्नातक की पढ़ाई से वंचित रह गए हैं।
पहली बार सरकारी कालेजों में 60 से 65 प्रतिशत और अशासकीय कालेज में 35-40 प्रतिशत प्रवेश हुए हैं। वहीं सरकारी और अशासकीय कालेज में प्रवेश से वंचित छात्र-छात्राएं महंगी फीस में निजी विवि का रुख कर रहे हैं। ऐसे में अधिकांश निजी विवि में इस बार अगस्त माह में सीटें फुल हो चुकी हैं।
उत्तराखंड में सीयूईटी व समर्थ पोर्टल का प्रयोग असफल
एनएसयूआइ की पहले दिन से ही मांग थी कि उत्तराखंड में सीयूईटी और समर्थ पोर्टल का प्रयोग सफल नहीं होगा। समस्त गढ़वाल के जनपदों के 80 प्रतिशत छात्र राजकीय महाविद्यालयों और देहरादून में गढ़वाल विवि से संबद्ध डीएवी समेत चार कालेज में कम फीस में पढ़ाई करते थे।एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष विकास नेगी के अनुसार, सरकार की अनदेखी के कारण दोनों प्रकार के कालेज के दरवाजे गरीब छात्रों के लिए बंद हो गए और निजी कालेज चांदी काट रहे हैं। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने आंदोलन कर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि रिक्त सीटों पर मेरिट के आधार पर प्रवेश दिए जाएं। साथ ही प्रवेश में उत्तराखंड के छात्रों को पचास प्रतिशत आरक्षण दिया जाए।
डीएवी पीजी कालेज के अध्यक्ष दयाल सिंह बिष्ट के अनुसार, उत्तराखंड की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए सीयूईटी यहां सफल नहीं हो सकता है। हजारों गरीब छात्र गांवों में रहते हैं जो फार्म भरने के बाद भी सीयूईटी प्रवेश परीक्षा इसलिए नहीं दे पाए क्योंकि परीक्षा केंद्र दो सौ तीन सौ किलोमीटर दूर बनाया गया था। भारी वर्षा भी एक बड़ा कारण कम दाखिले का रहा है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।