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उत्तराखंड में हर महीने डेढ़ से दो करोड़ ठग लेते हैं साइबर ठग, बचना चाहते हैं तो इन बातों का रखें ध्यान

डिजिटल दुनिया के दौर में हम जितनी तेजी से तरक्की कर रहे हैं उतनी ही तेजी से साइबर अपराध में बढ़ोतरी हो रही है। तकनीकी के इस दौर में व्यक्ति की निर्भरता इंटरनेट पर ही टिकी है जिससे साइबर अपराधियों का काम आसान हो जाता है।

By Raksha PanthriEdited By: Updated: Mon, 28 Jun 2021 02:19 PM (IST)
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उत्तराखंड में हर महीने डेढ़ से दो करोड़ ठग लेते हैं साइबर ठग।
सोबन सिंह गुसांई, देहरादून। डिजिटल दुनिया के दौर में हम जितनी तेजी से तरक्की कर रहे हैं, उतनी ही तेजी से साइबर अपराध में बढ़ोतरी हो रही है। तकनीकी के इस दौर में व्यक्ति की निर्भरता इंटरनेट पर ही टिकी है, जिससे साइबर अपराधियों का काम आसान हो जाता है। उत्तराखंड की ही बात करें तो यहां साइबर ठग हर महीने डेढ़ से दो करोड़ रुपये की ठगी कर जाते हैं।

साइबर ठगों का ठगने का पैटर्न पुराना ही है, लेकिन कभी-कभी हम अपनी गलतियों के कारण ही खून पसीने की कमाई रकम लुटा देते हैं। हैरानी की बात यह है कि पढ़े लिखे लोग भी ठगी के शिकार हो रहे हैं। स्पेशल टास्क फोर्स के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि साइबर क्राइम के प्रति आम जनमानस को जागरूक होना पड़ेगा तभी इस अपराध पर रोक लग सकेगी।

इस तरह हो अधिकतर ठगी

बैंक का अधिकारी बनकर एटीएम कार्ड का पिन और ओटीपी लेना

ठगी का यह काफी पुराना और आम तरीका है। आपको फोन करके ठग खाते की तमाम जानकारियां ले लेते हैं। साथ ही पिन नंबर या ओटीपी भी जान जाते हैं। इसके बाद आपके खाते से पैसा निकाल लेते हैं।

लाटरी निकलने और केवाईसी अपडेट के नाम पर

इसमें ठग ईमेल के जरिये आपको एक, दो या पांच करोड़ रुपये की लाटरी निकलने का दावा करते हैं। अमूमन हर किसी के पास इस संबंध में मेल आते रहते हैं। रातोंरात करोड़ों की लाटरी लगने के लालच में लोग फंस जाते हैं।

फेसबुक से दोस्ती की आड़ में

अगर आप किसी अपरिचित से फेसबुक या दोस्ती वाले किसी ऐप से दोस्ती करते हैं तो तय मानिए कि किसी बड़े आर्थिक संकट में फंस सकते हैं। आपको कोई ब्लैकमेल भी कर सकता है।

सरकारी योजना के नाम पर

विभिन्न सरकारी योजनाओं के नाम पर फर्जी बेवसाइट बनाई जाती हैं और आमजन को फंसाने का काम किया जाता है।

आनलाइन सामान बेचने-खरीदने के नाम पर

विभिन्न माध्यमों से आपका नंबर लेकर ठग सामान बेचने या खरीदने के लिए फोन करते हैं। फिर एक लिंक भेजकर कहते हैं कि इससे हम आपको आनलाइन पेमेंट कर रहे हैं। जैसे ही आप लिंक पर क्लिक करते हैं, आपके पैसे निकाल लिए जाते हैं।

विदेशों में नौकरी दिलाने का लालच देकर

आप नौकरी के लिए जिन बेवसाइट के पास अपना बायोडाटा देते हैं उनसे आपका डाटा ले लिया जाता है। फिर फोन या ईमेल से आपसे संपर्क किया जाता है। जो विदेशों में नौकरी के लालच में फंस जाता है, उससे लाखों रुपये ठग लिए जाते हैं।

इन बातों का रखें ध्यान

बैंक कभी आनलाइन केवाईसी नहीं करते।

अंजान व्यक्ति के भेजे गए लिंक पर क्लिक न करें।

बैंक खाते की जानकारी किसी को भी न दें।

ठगी का शिकार होने पर नजदीकी थाने में शिकायत करें। बैंक खाता या एटीएम कार्ड तुरंत बंद करवाएं।

इंटरनेट पर मौजूद हर बात पर विश्वास न करें।

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