उत्तराखंड में साइबर ठगों ने छह माह में ही ठग लिए 92 करोड़ रुपये, जानिए कैसे रखें अपने पैसे को सुरक्षित
साइबर ठगी के बढ़ते खतरे से सावधान रहें! इस लेख में हम आपको साइबर अपराधियों के नए तरीकों और उनसे बचने के उपायों के बारे में विस्तार से बताएंगे। पहले छोटी-छोटी धनराशि ठगने के मामले सामने आते थे लेकिन कुछ समय से साइबर ठग लोगों के खातों से करोड़ों रुपये गायब कर रहे हैं। जानें कि कैसे आप अपनी मेहनत की कमाई को साइबर ठगों से सुरक्षित रख सकते हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। साइबर ठगों का बढ़ता मकड़जाल नासूर बनता जा रहा है। साइबर ठग नए-नए तरीकों से भोले भाले लोगों को ठगी का शिकार बना रहे हैं। ठग लुभावने व मुनाफे का आफर देकर लोगों की वर्षों की कमाई पर सेंध लगा रहे हैं।
हाल यह है कि इस वर्ष जनवरी से जून केवल छह माह में साइबर ठगों ने 92 करोड़ की ठगी कर ली जबकि वर्ष 2023 में ठगी की धनराशि 117 करोड़ रुपये थी। ठगी की यह धनराशि क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से दुबई, कंबोडिया, पाकिस्तान व वियतनाम भेज रहे हैं, जिसे वापस लाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है।
ठगी की रकम रखने के लिए वह गिरोह के सदस्यों के माध्यम से भोले-भाले लोगों से आइडी लेकर उनके नाम से खाते खाेलते हैं। जब इन खातों में ठगी की रकम आ जाती है तो इसके बाद वह विदेश भेजी जाती है।
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साइबर क्राइम थाना देहरादून व हल्द्वानी में वर्ष 2024 में छह माह में अब तक 70 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं, जिसमें ठगों ने 30 करोड़ रुपये की ठगी की है। इनमें से केवल चार केस ऐसे हैं, जो 10 लाख से लेकर दो करोड़ रुपये तक की साइबर ठगी के हैं।
एनसीआरपी में बढ़ी शिकायतें
राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर वर्ष 2023 में साइबर ठगी की 17000 शिकायतें आई थी, इनमें 69 करोड़ रुपये की साइबर ठगी हुई। वहीं वर्ष 2024 में छह माह में 11 हजार साइबर ठगी की शिकायतें आ चुकी हैं, जिनमें से 62 करोड़ रुपये की ठगी हुई है।
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।10 प्रतिशत धनराशि ही आ पा रही है वापस
साइबर ठगी होने पर तत्काल यदि हेल्पलाइन नंबर 1930 पर सूचना दी तो तब भी 10 प्रतिशत धनराशि ही साइबर थाना पुलिस बचा पाती है। वर्ष 2023 में एक साल में केंद्र सरकार के ओर से जारी राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) 1930 पर 17000 साइबर ठगी की शिकायतें आई जिसमें ठगों ने 69 करोड़ रुपये की ठगी की। इसमें से केवल सात करोड़ रुपये ही बचाए जा सके। इसी तरह वर्ष 2024 में जनवरी से जून तक 11000 साइबर ठगी की शिकायतें सामने आई हैँ। इनमें साइबर ठगों ने 62 करोड़ रुपये की साइबर ठगी की है। इसमें से केवल 12.5 करोड़ रुपये ही बचाई जा सकी।इस तरह से हो रही साइबर ठगी
- - डिजीटल अरेस्ट
- - बैंकिंग व वित्तीय ठगी
- - निवेश के नाम पर ठगी
- - पार्सल के नाम पर
- - परिचित बनकर
- - फर्जी मुकदमे में फंसाने का डर
- - आवाज बदलकर ठगी
- - कुरियर में ड्रग्स होने की बात कहकर
ऐसे बचें
- केवाइसी अपडेट के लिए किसी भी अनुरोध को प्राप्त करने पर अपने बैंक या वित्तीय संस्थान से सत्यापन या सहायता के लिए संपर्क करें। यदि ठगों को बैंक खाते संबंधित कोई भी जानकारी न देने और ओटीपी साझा न करने के बाद भी आपके खाते से रुपये निकल जाते है तो अपने बैंक की शाखा से संपर्क करें 24 घंटे के अंदर इसकी शिकायत करने पर आपके रुपये खाते में रुपये वापस आ जाएंगे।
- निवेश के नाम यदि कोई फोन करता है तो इसकी सत्यता अच्छी तरह से जांच लें। यह पता कर लें कि आपकी धनराशि जिस कंपनी में निवेश के लिए लगाई जा रही है वह सेबी में रजिस्टर्ड है या नहीं।
- यदि कोई परिचित बनकर फोन करता है तो जिस फोन नंबर से आपको काल आई है उसे अच्छी से सत्यापित कर ले। काल करने वाले नंबर और खाते में रुपये जमा करने वाला मैसेज एक ही नंबर से आए तो सावधान हो जाएं। भूलकर भी कभी भी अनजान लिंक को क्लिक न करें। इसे नजरअंदाज कर दें ताकि ठगी न होने पाए।
- पार्सल के नाम पर यदि कोई फोन करता है तो यह समझ लें कि यदि आपने कोई पार्सल नहीं तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है। 92 अंक से शुरू होने वाले नंबर से आई काल को न उठाएं। यदि फोन उठा लिया और व्यक्ति डराता या धमकाता है तो नजदीकी पुलिस थाने में इसकी शिकायत करें।
- इन दिनों साइबर ठग वाट्सएप पर फोन कर परिचित के खिलाफ मुकदमा दर्ज करने की धमकी देते हैं। यदि इस तरह से कोई फोन आता है तो संबंधित से पहले बात कर लें। यदि किसी कारण उसका नंबर नहीं लग रहा है तो उसके दोस्तों से बात करें या जिस संस्थान में वह नौकरी करता है वहां पता करें।