दैनिक जागरण का 'मिशन एक करोड़ पौधे' अभियान हुआ शुरू
दैनिक जागरण पर्यावरण संरक्षण के तहत आज से 'मिशन एक करोड़ पौधे' अभियान का शुभारंभ कर दिया। धरा को हरा भरा रखने का यह पुनीत कार्य सिर्फ सरकार का ही नहीं, हमारा भी है।
देहरादून, [जेएनएन]: सामाजिक सरोकारों की दिशा में दैनिक जागरण ने एक बड़ा कदम और बढ़ाया है। यह कदम है मिशन एक करोड़ पौधे। जागरण वन विभाग व तमाम संगठनों के साथ मिलकर इस मानसून सत्र में उत्तराखंड में एक करोड़ पौधे रोपेगा।
आज बीजापुर अतिथि गृह स्थित मुख्यमंत्री आवास परिसर में मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पौधारोपण कर मिशन का शुभारंभ किया। मुख्यमंत्री ने जागरण की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि यह सुखद बात है कि जागरण परिवार सामाजिक सरोकारों को निभाने में आगे रहता है। इस दौरान वन मंत्री दिनेश अग्रवाल, भगवानपुर विधायक ममता राकेश, मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेंद्र अग्रवाल, राजीव जैन, प्रमुख मुख्य वन संरक्षक आरके महाजन, सूचना महानिदेशक, प्रमुख वन संरक्षक जयराज, शिवालिक वृत्त के वन संरक्षक भुवन चंद्र आदि ने भी पौधारोपण किया।
शहरीकरण की तेज रफ्तार
तेजी से विकसित होते शहर और खाली होते गांव इस पहाड़ी प्रदेश की सबसे बड़ी चुनौती है। शहरों पर बढ़ता आबादी का दबाव का नतीजा ही है कि वर्ष 2000 में राजधानी बनने के बाद देहरादून में जनसंख्या 40 फीसद बढ़ी तो हरियाली में भी इतनी ही कमी दर्ज की गई। हरिद्वार हो या ऊधमसिंहनगर स्थिति कमोबेश ऐसी ही है।
वायु प्रदूषण
हालांकि औद्योगिक प्रदूषण के मामले में उत्तराखंड राहत की सांस ले सकता है, बावजूद इसके वायु प्रदूषण को लेकर स्थिति सुकूनदायक नहीं है। देहरादून का उदाहरण लें तो बीते 15 साल के दौरान यहां वाहनों की संख्या 300 फीसद की दर से बढ़कर पांच लाख पार कर गई। दून के दिल घंटाघर को लें इस साल जनवरी से मार्च तक के आंकड़े बताते हैं कि वायु प्रदूषण (श्वसनीय ठोस निलंबित कण) का ग्राफ 203.24 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर तक पहुंच गया है, जबकि यह 100 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से अधिक नहीं होना चाहिए।
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भस्म होती हरियाली
वनों को सर्वाधिक नुकसान आग से भी हो रहा है। वन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो औसतन प्रत्येक वर्ष 1113 हेक्टेयर जंगल खाक हो जाता है, लेकिन इस वर्ष यह आंकड़ा चार हजार हे. से भी ज्यादा रहा। लंबे समय बाद आग पांच हजार फीट की ऊंचाई से ऊपर जा पहुंची।
दून में छह हजार हे. भूमि कटाव की जद में
यदि देहरादून जिले पर नजर दौड़ाएं तो हर साल बरसात में आने वाली बाढ़ से 550 टन माटी बह जाती है। जिले छह हजार हेक्टेयर कृषि भूमि है भू-कटाव की जद में है।
107 बिलियन रुपये की पर्यावरणीय सेवा
देश के फेफड़े माने जाने वाले उत्तराखंड के जंगलों से मिलने वाली सेवा यूं तो अमूल्य है, लेकिन एक अनुमान के अनुसार हर साल हमारे जंगल देश को 107 बिलियन रुपये की पर्यावरणीय सेवा देते हैं। यहां कार्बन संचयन प्रति हेक्टेयर करीब 116.88 टन है।