जानलेवा साबित होने लगी राजधानी की सड़कें, अफसरों ने मूंदी आंख
देहरादून की सड़कों पर हर दिन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, मंत्री और दूसरे अधिकारी आवाजाही करते हैं, लेकिन इन गड्ढों पर नजर पड़ने के बाद नेता और अफसर मुंह फेर रहे हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Tue, 18 Sep 2018 04:13 PM (IST)
देहरादून, [जेएनएन]: राजधानी की सड़कों पर गड्ढे जानलेवा साबित होने लगे हैं। हाईवे से लेकर शहर की मुख्य सड़कों पर गड्ढों की भरमार है। बावजूद इसके जिम्मेदार विभाग और अधिकारी समस्या के निदान को गंभीर नहीं दिख रहे हैं। पहले बारिश और अब धूल के गुबार उड़ने से गड्ढे दुर्घटना का कारण बनने लगे हैं। स्थिति यह है कि कई जगह अभी तक पैचवर्क भी शुरू नहीं हुआ है। इससे पूरी व्यवस्था पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
राजधानी की सड़कों पर हर दिन मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव, मंत्री और दूसरे अधिकारी आवाजाही करते हैं। मगर, इन गड्ढों पर नजर पड़ने के बाद नेता और अफसर मुंह फेर रहे हैं। यही कारण है कि पिछले ढाई माह से जनता गड्ढों वाली सड़क पर सफर कर रही है। इस दिशा में लोक निर्माण विभाग, जिला प्रशासन से लेकर शासन तक के अफसर सिर्फ हवाई आदेश देते आ रहे हैं। स्थिति यह है कि शहर के हरिद्वार, चकराता, सहारनपुर हाईवे से लेकर अन्य सड़कों पर गड्ढे ही गड्ढे नजर आ रहे हैं। गड्ढों से हर दिन हादसे हो रहे हैं। गड्ढे भरने के नाम लगाई गई ईंटें टूटने और उखड़ने लगी हैं।
दो साल में चार मुकदमे
राजधानी की सड़कों पर गड्ढों को लेकर लोक निर्माण विभाग पर दो साल में तीन मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। 2017 में पहले आइएसबीटी के पास गड्ढे में एक व्यक्ति की गिरने से मौत हुई थी। इसके बाद राजपुर रोड पर दो युवतियों की गड्ढों के चलते मौत हुई। इस पर भी मुकदमा दर्ज हुआ। लेकिन विभाग फिर भी सुधरता नजर नहीं आ रहा है। एक मुकदमा सोमवार को राजपुर थाने में दर्ज किया गया।
बोले अधिकारी
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।- जिलाधिकारी एसए मुरूगेशन का कहना है कि लोनिवि को गड्ढे भरने के निर्देश पूर्व में दिए गए हैं। सरकार ने भी इन्वेस्टर समिट से पहले सड़कों को सुरक्षित करने के आदेश दिए हैं। बारिश थमने के बाद अब तेजी से काम कराया जाएगा।
- अधीक्षक अभियंता आरसी अग्रवाल का कहना है कि लगातार बारिश के चलते सड़कों का पैचवर्क कठिन हो गया था। सभी खंडों को तेजी से काम करने के निर्देश दिए गए हैं। एक सप्ताह के भीतर सड़कें सुरक्षित कर ली जाएगी।