बेटियों ने कड़ी मेहनत एवं संघर्ष के बूते लिखी कामयाबी की नई इबारत, पढ़िए पूरी खबर
बेटियां देहरादून के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर का नाम रोशन कर रही हैं। खेल प्रतिभा की धनी जौनसार की बेटियों ने कड़ी मेहनत व संघर्ष के बूते कामयाबी की नई इबारत लिखी है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 30 Sep 2019 08:03 PM (IST)
देहरादून, चंदराम राजगुरु। 'मेरी बेटी-मेरी पहचान, बेटा-बेटी एक समान' जैसे संदेश के साथ गांव की बेटियां देहरादून जिले के जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर का नाम रोशन कर रही हैं। खेल प्रतिभा की धनी जौनसार की बेटियों ने कड़ी मेहनत व संघर्ष के बूते कामयाबी की नई इबारत लिखी है। क्षेत्र की पहली महिला क्रिकेटर रणजी चैंपियन संगीता और राज्य ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता जूडो चैंपियन सोनाक्षी ने राष्ट्रीय फलक पर बड़ी पहचान बनाई है। बेटियों की इस उपलब्धि पर परिजनों समेत समूचे क्षेत्र को नाज है। लोगों का कहना है कि इससे गांव की अन्य बेटियों को भी आगे बढ़ने की प्रेरणा मिलेगी।
'मंजिलें उन्हीं को मिलती हैं, सपनों में जिनके जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है', इस उक्ति को चकराता ब्लॉक के सुदूरवर्ती लाखामंडल क्षेत्र के धौरा-पुडिया निवासी गरीब किसान की होनहार बेटी ने कड़ी मेहनत एवं संघर्ष के बूते चरितार्थ कर दिखाया। गांव के खेत-खलियान से क्रिकेट की शुरुआत करनी वाली जौनसार की पहली महिला युवा क्रिकेटर संगीता ने स्टेट व नेशनल चैंपियनशिप में बेहतरीन खेल का प्रदर्शन कर राष्ट्रीय फलक पर पहचान बनाई है। संगीता के पिता मंगल सिंह व मां दिलमा देवी गांव में खेतीबाड़ी का काम करते हैं।
खेती-किसानी से परिवार का गुजारा चलाने वाले इस किसान परिवार की प्रतिभावान बेटी ने सीमित संसाधनों के बावजूद क्रिकेट में बड़ा मुकाम हासिल किया है। संगीता अपने सपनों को पूरा करने के लिए कड़ा संघर्ष कर रही है। देहरादून स्थित जेएसआर एकेडमी के कोच उपेंद्र सिंह रावत से क्रिकेट की बारीकियां सीखने के बाद संगीता ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। कुछ समय पहले उसका चयन चंडीगढ़ में संपन्न हुई टी-20 प्रीमियर क्रिकेट लीग के लिए हुआ। उत्तराखंड से रणजी ट्रॉफी चैंपियन संगीता ने इसी वर्ष 19 से 28 मार्च तक अगरतल्ला (त्रिपुरा) में आयोजित रणजी ट्रॉफी में प्रतिभाग कर उत्तराखंड महिला क्रिकेट टीम से आलरांउडर की भूमिका निभाई। अप्रैल 2019 को नोएडा में हुई टी-20 क्रिकेट सीरीज में भी जौनसार की बेटी ने बेहतर खेल का प्रदर्शन किया।
अब संगीता का सपना भारतीय टीम से अंतरराष्ट्रीय महिला क्रिकेटर बनना है। इसके लिए वह दिन-रात कड़ी मेहनत कर रही है। फिलहाल संगीता अक्टूबर में होने वाले रणजी ट्रॉफी मैच की तैयारी में जुटी है। संगीता ने बताया कि परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उसे आगे बढ़ने में काफी मुश्किलें आ रही हैं। लिहाजा सरकार को चाहिए कि वह खेल के क्षेत्र में गरीब प्रतिभावान खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने के लिए सहयोग करे।
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स्वर्ण पदक विजेता सोनीक्षी ने लहराया परचमबावर क्षेत्र के ग्राम कूणा निवासी राज्य ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता जूडो चैंपियन सोनाक्षी पंवार ने अपनी प्रतिभा से कम उम्र में बड़ा मुकाम हासिल किया है। जौनसार की बेटियों के लिए मिसाल बनी सोनाक्षी ने स्टेट व नेशनल जूडो चैंपियनशिप में प्रतिभाग कर कई अवार्ड जीते। सोनाक्षी ने कुछ समय पहले ऊधमसिंहनगर में संपन्न हुई चतुर्थ राज्य ओलंपिक जूडो प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन कर गोल्ड मेडल जीता। सोनाक्षी के पिता नेपाल सिंह पंवार एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) में तैनात हैं, जबकि माता दुर्गा पंवार गृहणी हैं। सोनाक्षी ने जूडो के सभी दांव-पेच और नियमों की जानकारी कोच भगत सिंह राय से हासिल की। जूडो चैंपियन सोनाक्षी को उनकी इस उपलब्धि के लिए मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कालसी में आयोजित एक समारोह में सम्मानित भी किया।
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