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महिला दिवस: बेटियों ने संघर्षों से लड़कर लिखी सफलता की कहानी

हर जगह महिलाओं का दबदबा कायम हो रहा है। यहां तक कि पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्र में महिलाओं को देखकर नयेपन का एहसास हो रहा है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 08 Mar 2019 08:25 PM (IST)
महिला दिवस: बेटियों ने संघर्षों से लड़कर लिखी सफलता की कहानी
देहरादून, जेएनएन। आज हर क्षेत्र में महिलाओं की मौजूदगी को पहचान मिल रही है। शारीरिक श्रम हो या बौद्धिक कौशल की बात या उनके अनोखे हुनर की। हर जगह उनका दबदबा कायम हो रहा है। यहां तक कि पुरुषों के दबदबे वाले क्षेत्र में महिलाओं को देखकर नयेपन का एहसास हो रहा है। यह संदेश भी मिल रहा है कि अब मानसिक बाधाएं टूट रही हैं और बेटियों की सफलता की कहानी को हर कोई कह रहा है।

युवाओं को लोक संस्कृति संस्कृति से जोडऩे का रहीं काम 

लोक संस्कृति की अनमोल विरासत को संजोने वाली पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित हो चुकी जागर गायिका बसंती बिष्ट परिचय की मोहताज नहीं। उन्हें नंदा देवी के जागर गायन में पुरुषों का एकाधिकार खत्म करने के लिए जाना जाता है। इसी के साथ बसंती कार्यशाला के माध्यम से युवाओं को भी इस संस्कृति से जोडऩे का काम कर रही है। 

वह बचपन से ही संगीत प्रेमी थीं। मगर कभी उनकी प्रतिभा को पंख नहीं मिल पाए। शादी के बाद पति रणजीत सिंह के प्रोत्साहित करने पर 40 साल की उम्र में उन्होंने मंच पर अपनी पहली प्रस्तुति दी थी। उनका सपना है कि राज्य में लोक कलाकारों को सम्मान मिले, जिससे इस लोक कलाओं को अगली पीढ़ी तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए राज्य स्तर पर संगीत कला केंद्रों को बढ़ावा मिले। जिससे युवाओं को पुरानी पंरपा का बखूबी ज्ञान मिल सके। वह कहती हैं कि हमारे युवाओं में प्रतिभा की कमी नहीं है, बस उन्हें सही मार्गदर्शन की जरूरत है। इसके लिए अच्छे प्रशिक्षकों की भी जरूरत है। 

पहाड़ों से मिली पहचान और सम्मान 

बचपन से ही उन्हें चुनौतियों से प्यार और पहाड़ों से लगाव था। इसी लगाव ने बछेंद्री पाल को पहली भारतीय महिला पर्वतारोही के रूप में पहचान दिलाई। वह एवरेस्ट फतेह करने वाली पहली भारतीय महिला भी बनीं। उन्हें हाल ही में भारत सरकार ने पद्मभूषण पुरस्कार से सम्मानित किया है। जिसे उन्होंने महिला शक्ति को समर्पित किया है।

बछेंद्री ने 12 वर्ष की छोटी उम्र से  पर्वतारोहण की शुरुआत की थी। 1984 में भारत का चौथा एवरेस्ट अभियान शुरू हुआ। जिसमें बछेंद्री समेत सात महिलाओं व 11 पुरुषों की टीम ने हिस्सा लिया। एवरेस्ट फतेह करने वाली दुनिया की 5वीं व भारत की पहली महिला बनीं। उन्होंने 1994 में गंगा नदी में हरिद्वार से कलकत्ता तक 2,500 किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व भी किया। हिमालय के गलियारे में में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए काराकोरम पर्वत श्रृंखला पर समाप्त होने वाला 4,000 किमी लंबा अभियान भी उन्होंने पूरा किया, जिसे इस दुर्गम क्षेत्र में प्रथम महिला अभियान माना जाता है। 

महिलाओं को भी सपने देखने और उन्हें जीने का हक है 

13 जनवरी साल 2019 में दक्षिणी धु्रव पर तिरंगा फहराने वाली देश की पहली महिला आइपीएस अपर्णा कुमार ने जीवन में कई संघर्षों का सामना का सामना कर सफलता की इबारत लिखी है। एडवेंचर से लगाव के चलते उन्हें पर्वतारोहण से जुडऩे का मौका मिला। जिसमें उनके पतिने भी उनका भरपूर साथ दिया। अपर्णा का मानना है कि महिलाओं को भी सपने देखने का हक है और उन्हें पूरा करने का भी।

2002 बैच की आइपीएस अपर्णा कुमार महिला सशक्तीकरण की मिसाल बन चुकी हैं। वर्तमान में वह देहरादून के सीमद्वार स्थित भारत-तिब्बत सीमा पुलिस बल के फ्रंटियर हेडक्वार्टर में बतौर उप महानिरीक्षक तैनात हैं। बंगलुरू निवासी के बचपन में ही पिता का साया सिर से उठ गया था। स्वास्थ्य विभाग में कर्मचारी रहीं मां अश्विनी ने तमाम उतार चढ़ाव के बावजूद उनकी अच्छी परवरिश की। अपर्णा अब उत्तरी ध्रुव पर तिरंगा फहराने की तैयारी में हैं। इसके बाद वह उत्तरी अमेरिका के अलास्का में माउंट डेनाली चोटी का आरोहण भी करेंगी। 

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर छाने को हैं तैयार दून की उभरती हुई खिलाड़ी 

दून की उन्नति बिष्ट बैडमिंटन की उभरती हुई खिलाड़ी हैं। अपनी लगन, मेहनत और समर्पण से वह आने वाले अंतरराष्ट्रीय खेलों के लिए खुद को तैयार कर रही हैं। उनका बस एक ही सपना है कि वह खेल के माध्यम से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने देश का नाम रोशन करे। उनकी रैंकिंग भारत में अंडर-17 में तीसरे और अंडर-19 में आठवें नंबर पर हैं। 

उन्नति ने साल 2012 में राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में पर्दापण किया था। इसके बाद 2013 में आल इंडिया सब जूनियर मेजर रैंकिंग टूर्नामेंट में स्वर्ण पदक और 2014 में ऑल इंडिया सब जूनियर मेजर रैंकिंग टूर्नामेंट के मिक्स डबल्स में स्वर्ण पदक जीतकर उन्होंने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया। साल 2017 में म्यांमार में हुई एशियन बैडमिंटन चैंपियनशिप में उन्होंने अच्छा प्रदर्शन किया था। इसके बाद साल 2018 में महिला एकल में उत्तराखंड स्टेट चैंपियनशिप जीती। वहीं इसी साल जर्मनी में हुई जूनियर इंटरनेशनल बैडमिंटन चैंपियनशिपके लिए उनका चयन हुआ। उनका परिवार भी खेल के प्रति उनका झुकाव देखकर हमेशा उन्हें प्रेरित करते हैं।

बॉलीवुड में एंट्री को तैयार नौगांव की स्मृति

उत्तरकाशी जिले के नौगांव की स्मृति सिलवाल बॉलीवुड में एंट्री को तैयार है। छोटे से गांव से निकली इस प्रतिभा ने धीरे-धीरे ही सही, लेकिन मजबूती के साथ बॉलीवुड में कदम रखा है। स्मृति को बॉलीवुड में एक बड़े बैनर की फिल्म में सेकेंड लीड रोल ऑफर हुआ है। 

उन्होंने बताया कि कुछ ही दिनों में फिल्म फ्लोर पर चली जाएगी। इससे पहले वह शॉर्ट मूवी 'बेबी डॉन्ट गोÓ में काम कर चुकी हैं। इसके अलावा चैनल वी के रियलिटी टीवी शो मेगा मॉडल ग्लैडरैग्स में काम भी कर चुकी हैं। एक्टिंग निखारने के लिए वह थिएटर करती हैं। इसी के साथ जरूरतमंद बच्चों के लिए काम कर रही मुंबई की एक संस्था सोशल बिऑन्ड बाउन्ड्रीज से भी जुड़ी हैं। उन्हें अपने उत्तराखंड से बेहद लगाव है और वह उत्तराखंडी होने पर गर्व महसूस करती हैं।

 उत्कृष्ट कार्यो के लिए महिला शक्तिका सम्मान

उत्तरांचल महिला एसोसिएशन की ओर से महिला दिवस के उपलक्ष्य में 17वें उमा शक्ति सम्मान का आयोजन किया गया। जिसमें विभिन्न क्षेत्रों में उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। गुरुवार को सर्वे चौक स्थित स्थित सभागार में मुख्य अतिथि के रूप में राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष विजया बड़थ्वाल, विधायकखजान दास ने शिरकत की। इस अवसर पर आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि आज हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी पहचान बना रही हैं। सेना, स्वास्थ्य, अभिनय, राजनीति, पुलिस आदि क्षेत्रों में महिलाएं मोर्चा संभाल रही हैं। कहा कि भले ही समाज बदल रहा हो, लेकिन फिर कहीं-कहीं आज भी बेटियों को स्वीकारा नहीं जा रहा। ऐसी मानसिकता को बदलने की जरूरत है। विधायक खजान दास ने कहा कि महिलाएं साक्षात शक्ति का रूप है। साथ ही उन्होंने बेटियों की शिक्षा पर जोर दिया। संस्था की अध्यक्ष साधना शर्मा और सचिव नीलिमा गर्ग ने सभी का आभार जताया। कार्यक्रम में गढ़वाली लोक गीतों पर कलाकारों ने शानदार प्रस्तुति दी। कथक नृत्यांगना इला पंत के निर्देश में कलाकारों ने सुंदर नृत्य के माध्यम से झांसी की रानी के अदम्य साहस की झलक पेश की। कलाकारों ने वंदेमातरम पर शास्त्रीय नृत्य और द्रोपदी नृत्य नाटिका की प्रस्तुति से समां बांध दिया।आर्य कन्या गुरुकुल की छात्राओं ने महिला शक्ति पर केंद्रित तलवार शो पेश किया। संचालन अर्चना शर्मा ने किया। इन्हें मिला सम्मान समाज सेवा के लिए कुसुम पंत, ममता बुहुगुणा, पत्रकार रेनू सकलानी, भारती सकलानी, शिक्षा के लिए सिम्मी गुप्ता, इंदू अग्रवाल, बबीता काला, चिकित्सा के लिए डॉ. किरन साधू, डॉ. कानू ओहरी, सामाजिक कार्य के लिए अंजना वाही, मंजू गोयल

महिला उत्थान के लिए कार्य करने पर चार को सम्मान

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में सबकी सहेली फाउंडेशन और आगाज फेडरेशन के संयुक्त तत्वावधान में गोर्खाली सुधार सभा में 'बैलेंस फॉर बेटर' कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसमें महिला उत्थान, सशक्तीकरण और उनके अधिकारों के लिए कार्य करने वाली चार महिलाओं को सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम में साइकोलॉजिस्ट डॉ. मुकुल शर्मा ने महिलाओं की काउंसलिंग कर उन्हें अपनी प्रतिभा को निखारने के लिए प्रेरित किया। लायंस क्लब हिमगिरी के सचिव जितेंद्र डंडोना ने वैश्विक स्तर पर चलाए जा रहे बैलेंस फॉर बेटर कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। कहा कि सभी को एकजुट होकर सामाजिक समरसता के लिए कार्य करना होगा। इस मौके पर विज्ञान एवं तकनीकी के क्षेत्र में हेस्को की वैज्ञानिक डॉ. किरन रावत, बैगेट कंसल्टेंसी की संस्थापक प्रिया गुलाटी, सामाजिक कार्य के लिए नीरू थापा और शराब बंदी के क्षेत्र में कार्य कर रहीं रीना वर्मा को सम्मानित किया गया। गोर्खाली सुधार सभा के अध्यक्ष पदम थापा, पूर्व युवा एवं खेलकूद राज्य मंत्री सुशील राठी की ओर से महिलाओं को स्मृति चिह्न व ट्रॉफी दी गई। इस मौके पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी पेश किए गए। इस दौरान डॉ. जसविंदर कौर, जेएस जस्सल, उत्तराखंड बैंकर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष जगमोहन मेंदीरत्ता, आइएएस अंजुला कार्की, करीर सोसायटी की अध्यक्ष डॉ. अमरजीत कौर, अपने सपने संस्था के अध्यक्ष अरुण कुमार यादव आदि ने भी अपने विचार रखे।

महिला दिवस : बेटियों को भी  देने होंगे समान अधिकार

अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर मानवाधिकार एवं सामाजिक न्याय संगठन की ओर से महिला प्रतिभा सम्मान समारोह का आयोजन किया गया। जो देश की सुरक्षा में तत्पर और पुलवामा के शहीदों को समर्पित किया गया।

राजपुर रोड स्थित एक होटल में कार्यक्रम के दौरान विभिन्न क्षेत्रों में कार्य करने वाली महिलाओं को सम्मानित किया गया। इसमें एनसीसी गर्ल्‍स कैडेट को भी सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में उत्तराखंड विधि आयोग के अध्यक्ष राजेश टंडन ने कहा कि हमें बेटियों को भी समान अधिकार देने चाहिए। महिलाओं के लिए कई तरह की योजनाएं चल रही हैं। उन्हें भी अपने अधिकारों और कानून के प्रति जागरूक होने की जरूरत है। गढ़वाल मंडल वकास निगम के अध्यक्ष महावीर सिंह सिंह ने कहा कि महिलाओं से जुड़ी योजनाओं को जन-जन तक पहुंचाना होगा। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सचिन जैन ने हर किसी के जीवन में स्त्री सशक्त रूप से अपनी भूमिका निभा रही है। इस अवसर पर विशंभर नाथ बजाज, संगठन की प्रदेश अध्यक्ष मधु जैन, बीजेपी नेता, लच्छू गुप्ता ने भी अपने विचार रखे। इस दौरान सुनीता चंदेल, मेजर प्रेमलता वर्मा, रीता गोयल, बीना जैन, निशा शर्मा, नीलम शर्मा, सुमना सैमुअल, पुष्पा बड़थ्वाल आदि को भी सम्मानित किया गया। 

मातृ शक्ति को सशक्त बनाने को सरकार संकल्पबद्ध 

राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत और विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर प्रदेश की सभी महिलाओं को शुभकामनाएं दी हैं। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि यह दिवस महिलाओं के सशक्तीकरण और उनके अधिकार को समर्पित दिवस है। यह महिलाओं और बच्चियों के खूबसूरत सपनों, अनंत उड़ानों और असीमित शक्ति को समझने तथा आत्मसात करने का अवसर है। महिलाओं के सशक्तीकरण के लिए लैंगिक समानता और आर्थिक स्वावलंबन अत्यंत आवश्यक है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि प्राचीन काल से ही समाज में नारी का विशेष स्थान रहा है। पौराणिक ग्रंथों में नारी को पूज्यनीय एवं देवीतुल्य माना गया है। आज नारी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। उन्होंने यह सिद्ध कर दिया है कि शक्ति अथवा क्षमता से वह किसी से कम नहीं हैं। तीलू रौतेली, रामी बौराणी, टिंचरी माई और गौरा देवी जैसी कई महान नारियों ने देवभूमि का नाम रोशन किया है। उन्होंने का कि सरकार अपनी देवभूमि की समस्त मातृ शक्ति के विकास के लिए पूर्ण ईमानदारी और पारदर्शिता के साथ निरंतर अग्रसर है। उनके बेहतरीन भविष्य के लिए सरकार सुरक्षा, शिक्षा, समृद्धि और सशक्तीकरण जैसे क्षेत्रों में बहुत सारे सार्थक कदम उठा रही है। विधानसभा अध्यक्ष प्रेम चंद अग्रवाल ने अपने शुभकामना संदेश में कहा कि महिला शक्ति के बिना मानव जाति की कल्पना करना असंभव है। विभिन्न क्षेत्रों में पुरुषों के समान भागीदारी करती हुई महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और विभिन्न रूपों में देश का नेतृत्व भी कर रही हैं।

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