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डेढ़ दशक बाद डीएवी कॉलेज को नैक ग्रेड मिलना तय

डीएवी पीजी कॉलेज में करीब 15 साल बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम का दौरा होगा।

By BhanuEdited By: Updated: Wed, 26 Jun 2019 01:39 PM (IST)
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डेढ़ दशक बाद डीएवी कॉलेज को नैक ग्रेड मिलना तय
देहरादून, जेएनएन। डीएवी पीजी कॉलेज में करीब 15 साल बाद विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की ओर से राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की टीम का दौरा होगा। टीम की ओर से दी जाने वाली ग्रेडिंग के लिए कॉलेज प्रशासन ने सभी जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर ली हैं। कॉलेज की ओर से एसएसआर की सेकेंड साइकिल एक्रेडिएशन अपलोड कर दी गई है। 

डीएवी कॉलेज में नैक समन्वयक डॉ. एचएस रंधावा ने बताया इससे पहले कॉलेज द्वारा आइआइक्यूए रिपोर्ट जमा की गई थी, जो नैक की ओर से 17 मई को स्वीकार कर ली गई। उसके बाद अगले चरण में कॉलेज प्रशासन की ओर से एसएसआर रिपोर्ट 45 दिन के अंदर जमा करनी थी। 

कॉलेज प्रशासन के सहयोग और नैक टीम की मेहनत के बाद रिपोर्ट को मंगलवार को 35 दिन में ही अपलोड कर दिया गया। अब केवल नैक टीम का आना शेष है। बताया कि डीएवी कॉलेज की नैक ग्रेडिंग 2004 में हुई थी। उसके बाद से महाविद्यालय प्रत्येक वर्ष एनुअल क्वालिटी एश्योरेंस रिपोर्ट (एक्यूएआर) भेजता रहा है। 

उन्होंने बताया कि 2018 के बाद नेट ने ग्रेडिंग के लिए बदलाव किए हैं। इसकेअनुसार 70 फीसद अंक के लिए कार्य महाविद्यालय द्वारा सपोर्टिंग दस्तावेज के साथ ऑनलाइन जमा करना होता है। 30 फीसद कार्य के लिए नैक टीम महाविद्यालय का दौरा करती है।

कॉलेज के प्राचार्य डॉ. अजय सक्सेना ने बताया कि नैक के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं। कॉलेज के विभिन्न विभाग, प्रयोगशाला, क्रीड़ा मैदान, पुस्तकालय आदि को व्यवस्थित किया गया है। वर्ष 2004 में नैक ग्रेडिंग के समय में महाविद्यालय नेट समन्वयक डॉ. अजय सक्सेना थे, जो वर्तमान में कॉलेज के प्राचार्य पद पर हैं। 

कॉलेज की ओर से इसलिए उम्मीद लगाई जा रही है कि महाविद्यालय को अच्छी ग्रेडिंग मिलेगी। एसएसआर रिपोर्ट जमा करने में डॉ. एसके सिंह, डॉ. प्रशांत सिंह डॉ. शिखा नगलिया, डॉ. विवेक त्यागी आदि उपस्थित रहे। साथ ही महाविद्यालय के शिक्षकों और शिक्षण कर्मचारियों का सहयोग रहा।

नैक ग्रेडिंग से होने वाले लाभ

वर्तमान समय में हर कॉलेज के लिए नैक ग्रेडिंग कराना अनिवार्य है। इसके होने से कॉलेज तथा शिक्षकों को को रूसा व यूजीसी से ग्रांट मिल सकेगी, जिससे छात्र, शिक्षक व महाविद्यालय का और विकास होगा।

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