श्राइन बोर्ड को लेकर सरकार और तीर्थ पुरोहितों में गतिरोध जारी
विधानसभा में चारधाम श्राइन बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पास कर दिया गया है। इससे तीर्थ पुरोहित एवं हक हकूकधारी और भड़क गए हैं।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 06 Dec 2019 02:55 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। विधानसभा में चारधाम श्राइन बोर्ड के लिए 10 करोड़ रुपये का अनुपूरक बजट पास कर दिया गया है। इससे तीर्थ पुरोहित एवं हक हकूकधारी और भड़क गए हैं। तीर्थ पुरोहितों ने सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए आंदोलन का एलान किया है और चारों धामों समेत अन्य मंदिरों में धार्मिक अनुष्ठान न करने की चेतावनी दी है।
देवभूमि तीर्थ पुरोहित हक हकूकधारी महापंचायत के संयोजक सुरेश सेमवाल ने बताया कि महापंचायत के बुधवार के प्रदर्शन के बाद गुरुवार को उच्च शिक्षा राज्यमंत्री धन सिंह रावत की महापंचायत के साथ दूसरी बार वार्ता हुई, जिसमें गंगोत्री के विधायक गोपाल रावत, यमुनोत्री विधायक केदार सिंह रावत के साथ ही देवप्रयाग के विधायक विनोद कंडारी भी शामिल हुए।धन सिंह रावत ने कहा कि सरकार कोई भी कदम उठाने से पहले सभी का पक्ष सुनेगी और तभी कोई कदम उठाया जाएगा। जबकि विधानसभा में श्राइन बोर्ड के लिए 10 करोड़ का बजट भी पेश हो गया। तीर्थ पुरोहित हरीश डिमरी ने कहा कि सरकार उन्हें धोखा दे रही है। पक्ष सुनने की बात कहकर उन्हें शांत तो कराया जा रहा है, लेकिन सरकार जल्द से जल्द श्राइन बोर्ड का गठन करने पर उतारू है।
महापंचायत के प्रवक्ता बृजेश सती ने बताया कि गुरुवार शाम को आपात बैठक कर इसके विरोध में आंदोलन का एलान किया गया, जिसके तहत छह-सात दिसंबर से चारों धामों के तीर्थ पुरोहित और हक-हकूकधारी क्रमवार आंदोलन शुरू करेंगे। चार धामों के तीर्थ-पुरोहित हक-हकूकधारी सभी जिलों में ग्राम, ब्लॉक और जिला स्तर पर धरना-प्रदर्शन करेंगे।इसके बाद 18 दिसंबर को उत्तरकाशी और 20 को श्रीनगर में महारैली आयोजित की जाएगी। महापंचायत के अध्यक्ष कृष्णकांत कोठियाल ने कहा कि तीर्थ पुरोहित एवं हक-हकूकधारी राज्यभर में हस्ताक्षर अभियान भी चलाएंगे। इस अवसर पर उमेश सती, रमेश सती, विनोद डिमरी, भास्कर डिमरी, विनोद शुक्ला, लक्ष्मीनारायण, केशव तिवारी, पुरुषोत्तम उनियाल, लूशुन टोडरिया, जमुना प्रसाद, विनोद कोठियाल, रजनीकांत सेमवाल आदि उपस्थित थे।
नहीं उठने देंगे चल विग्रह डोलीतीर्थ पुरोहितों ने चेतावनी दी कि यात्राकाल में विरोध स्वरूप धार्मिक परंपराओं का पालन नहीं किया जाएगा। न तो चल विग्रह डोलियां उठेंगी और न ही अन्य धार्मिक अनुष्ठान किए जाएंगे। इसके अलावा, चारों धामों के व्यवसायिक प्रतिष्ठान भी बंद रखे जाएंगे और घोड़े-खच्चर वालों, डंडी-कंडी वालों से भी सरकार की मनमानी का विरोध में संचालन बंद रखने को कहा जाएगा।
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