उत्तराखंड में महज 1.49 फीसद है कोरोना की मृत्यु दर, डरने की नहीं सतर्कता की जरूरत
कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक है। इसके बावजूद इससे डरने की जरूरत नहीं है। इससे बचने के लिए ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 11 May 2020 04:45 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक है। इसके बावजूद इससे डरने की जरूरत नहीं है। इससे बचने के लिए ध्यान दिए जाने की जरूरत है। उत्तराखंड के आंकड़े देखें तो कोरोना का संक्रमण भले ही चिंताजनक है, लेकिन इससे अभी तक केवल एक मौत हुई है।
कोरोना को लेकर लोग घबराए हुए हैं। पर यह समय भयभीत होने का नहीं, बल्कि सावधान रहने का है। अभी तक की स्थिति का आकलन करें तो तकरीबन 68 प्रतिशत मरीज इस बीमारी से ठीक भी हो चुके हैं। एक बात और भी ध्यान देने वाली है। यह मरीज औसतन 16 दिन अस्पताल में भर्ती रहे हैं, जबकि हाल में कैंसर पीड़ित एक बुजुर्ग ने मात्र पांच दिन में इस बीमारी को मात दी। यही नहीं नौ माह का एक बच्चा छह दिन में ठीक होकर अस्पताल से डिस्चार्ज हो गया। इनमें अधिकांश को आइसीयू या वेंटिलेटर की भी आवश्यकता नहीं पड़ी है। कोरोना की मृत्यु दर महज 1.49 फीसद है।यदि पिछले कुछ वषों के आंकड़े देखें तो डेंगू व स्वाइन फ्लू ने कई लोगों की जान लील ली है। वर्ष 2017 से अब तक स्वाइन फ्लू से 29 लोगों की मौत हो चुकी है। इसके अलावा डेंगू ने भी बीते चार साल में जमकर कोहराम मचाया है।
अज्ञात बीमारी ने लील ली जान
हार्ट अटैक, ब्रेन स्ट्रोक, अस्थमा अटैक, किडनी फेल्योर, निमोनिया आदि के कारण तो लोग जान गंवाते ही हैं, बीते साल हरिद्वार में एक अज्ञात बीमारी ने भी कोहराम मचाया। इस कारण 18 लोगों की जान गई और 500 से अधिक बुखार की चपेट में थे। वहीं पिछले साल गैरसैंण के मटकोट गांव में भी एकाएक छह लोगों की मौत हुई थी। इनमें सिरदर्द, बुखार, कमजोरी आदि की शिकायत बताई गई थी। स्वास्थ्य विभाग ने किसी अज्ञात बीमारी की बात से इंकार किया था, पर यह गुत्थी अब भी अनसुलझी है।
बच्चे, बुजुर्ग बरतें एहतियातवरिष्ठ फिजीशियन डॉ. केपी जोशी का मानना है कि देश में कोरोना वायरस कुछ कमजोर है। स्थान, वातावरण या अन्य किसी कारण से भी किसी सेल (वायरस, बैक्टीरिया से लेकर इंसान तक) के डीएनए और आरएनए में बदलाव होता है। देश में भी कोरोना की मृत्यु दर 3.32 फीसद है।बेहद जरूरी हैं ये बातें
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