केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही शुरू, बदरीनाथ हाइवे अवरुद्ध; 1200 यात्रियों को रोका
केदारनाथ पैदल मार्ग पर आवाजाही शुरू हो गई है। गौरीकुंड से केदारनाथ धाम के लिए लगभग 400 यात्री रवाना हुए हैं। वहीं बदरीनाथ हाईवे भी अवरुद्ध है।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Fri, 12 Jul 2019 09:14 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। केदारनाथ पैदल मार्ग पर तीर्थयात्रियों की दुश्वारियां बरकरार हैं। शुक्रवार दोपहर एसडीआरएफ और पुलिस की मदद से यात्रा सुचारु कर दी गई, लेकिन तीर्थयात्रियों की संख्या कम रही। इस रूट पर जानमाल का जोखिम टालने के लिए सुरक्षा के इंतजाम किए गए हैं। ड्रोन से भी स्थिति पर नजर रखी जा रही है। यात्रा शुरू करने से पहले बीते रोज केदारनाथ से लौटते वक्त पड़ावों पर रोके गए यात्रियों को सुरक्षित गौरीकुंड पहुंचाया गया। वहीं, भारी बारिश के चलते लामबगड़ में सड़क पर मलबा आने से हाईवे अवरुद्ध हो गया है। सुरक्षा की दृष्टि से यात्रियों को बदरीनाथ, पांडुकेश्वर, गोविंदघाट और जोशीमठ में यात्रा पड़ावों में रोका गया है। सड़क बंद होने के चलते बदरीनाथ में 1200 यात्री रोके गए हैं।
एक घायल तीर्थयात्री ने दम तोड़ासोलह किलोमीटर के केदारनाथ पैदल ट्रैक पर भीमबली और लिनचोली के बीच वीरवार दोपहर पहाड़ी से पत्थर गिरने के साथ ही भूस्खलन हुआ था। एहतियात के बाद भी एक घोड़ा संचालक और 16 तीर्थयात्री इसकी चपेट में आ गए थे। घोड़े और उसके संचालक की मौके पर ही मौत हो गई थी, जबकि 16 तीर्थयात्री घायल हो गए थे। इनमें गंभीर रूप से घायल दो तीर्थयात्रियों में से एक ने शुक्रवार को दम तोड़ दिया। मृतक की शिनाख्त 59 वर्षीय ज्ञानचंद के रूप में हुई है। मृतक कहां का रहने वाला था, यह पता नहीं चल पाया है। गंभीर रूप से घायल दूसरे तीर्थयात्री चमोली निवासी शुभम नेगी को देर शाम गौरीकुंड से गुप्तकाशी सरकारी अस्पताल लाया गया।
स्लाइडिंग जोन के निकट एसडीआरएफ का कैंपयात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए भीमबली और लिनचोली के मध्य स्लाइडिंग जोन के निकट एसडीआरएफ और पुलिस का कैंप लगाया गया है। ड्रोन के साथ ही एक प्रशिक्षित कर्मचारी भी इस दल के साथ तैनात किया गया है। यह दल चौबीसों घंटे स्लाइडिंग के संभावित खतरों पर निगाह बनाए रखेगा। स्लाइडिंग की वजह से यहां पर पैदल मार्ग की चौड़ाई साढ़े तीन मीटर से घटकर अब एक मीटर रह गई है। पहाड़ी से गिरे मलबे से यह बाकी का हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। यहां पर पैदल रास्ते के ठीक नीचे करीब दो सौ मीटर गहरी खाई है।
दोपहर साढ़े बारह बजे यात्रा शुरू
जान के जोखिम को देखते हुए वीरवार को पड़ावों पर रोकी गई केदारनाथ की यात्रा शुक्रवार दोपहर साढ़े बारह बजे शुरू कर दी गई। हालांकि, एसडीआरएफ और पुलिस की टीम ने केदारनाथ धाम से लौट रहे 770 तीर्थयात्रियों को लिनचोली तक लाने का क्रम सुबह ही शुरू कर दिया था। लेकिन, केदारनाथ जाने वालों को भीमबली से आगे नहीं जाने दिया जा रहा था। स्लाइडिंग जोन में मलबा हटाने के बाद दोपहर यात्रा सुचारु कर दी गई। चार सौ से अधिक यात्रियों को पुलिस व एसडीआरएफ टीम ने स्लाइडिंग जोन पार करवाया।ड्रोन की भी ली जा रही है मदद
रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि यात्रियों की सुरक्षा के लिए ड्रोन की मदद ली जा रही है। इससे पहाड़ी की स्थिति पर नजर रखी जा रही है, ताकि कोई पत्थर या मलबा ऊपर से गिरता है तो तत्काल वायलैस से यहां तैनात पुलिस व एसडीआरएफ टीम को बताया जा सके। इस पर यात्रियों की तत्काल आवाजाही रोक दी जाएगी। डीएम ने बताया कि लिनचोली से ऊपर कोहरा काफी घना है, जिससे तीर्थयात्रियों को आवाजाही में दिक्कत पेश आ रही है। पुलिस और एसडीआरएफ की टीम मौके पर स्थिति को देखते हुए आवाजाही करवा रही है। बदरीनाथ हाइवे मलबा आने से बाधित
भारी बारिश के चलते लामबगड़ में सड़क पर मलबा आने से हाईवे अवरुद्ध हो गया है। सुरक्षा की दृष्टि से यात्रियों को बदरीनाथ, पांडुकेश्वर, गोविंदघाट और जोशीमठ में यात्रा पड़ावों में रोका गया है। सड़क बंद होने के चलते बदरीनाथ में 1200 यात्री रोके गए हैं। जबकि बदरीनाथ जाने वाले 300 यात्री सड़क खुलने का इंतजार कर रहे हैं। एसडीएम जोशीमठ अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि लगातार हो रही बारिश के चलते हाईवे खोलने का काम शुरू नहीं हो पा रहा है।चमोली जिले में सुबह से ही रुक रुककर बारिश हो रही है। पांडुकेश्वर व बदरीनाथ धाम में दोपहर बाद झमाझम बारिश हुई। बारिश के चलते ऋषिकेश बदरीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर लामबगड़ भूस्खलन जोन में पहाड़ी से मलबा व बोल्डर आने के चलते शाम को साढ़े चार बजे हाईवे अवरुद्ध हो गया था। हालांकि प्रशासन की ओर से यहां पर जेसीबी मशीन के अलावा मजदूरों को भी तैनात किया गया है। मगर बारिश थमने का नाम नहीं ले रही है। पहाड़ी से रुक रुककर पत्थर व मलबा गिर रहा है।
इससे हाइवे को खोलने का काम अभी शुरू नहीं हो पाया है। सड़क बंद होने के कारण बदरीनाथ धाम से वापस आने वाले करीब 1200 यात्री धाम में ही रुके हुए हैं। जो यात्री बदरीनाथ धाम से नीचे आ गए थे उन्हें लामबगड़ में रोका गया है। जबकि धाम जाने वाले 300 के करीब यात्रियों को जोशीमठ, गोङ्क्षवदघाट व पांडुकेश्वर में रोका गया है। जोशीमठ में उपजिलाधिकारी अनिल कुमार चन्याल ने बताया कि हाईवे खोलने के लिए बारिश बंद होने का इंतजार करना पड़ रहा है। क्योंकि बारिश के दौरान लगातार पहाड़ी से पत्थर व मलबा गिर रहा है।प्रदेश में 30 संपर्क मार्ग अवरुद्ध, चारधाम हाईवे खुले
बारिश और भूस्खलन की वजह से प्रदेश में 30 संपर्क मार्ग अवरुद्ध हैं। चमोली में 8, टिहरी में एक, पौड़ी में दो, नैनीताल में 5, बागेश्वर में 7, चंपावत में एक, पिथौरागढ़ में 6 मार्ग बाधित हैं। बदरीनाथ हाईवे देर शाम बाधित हो गया। यमुनोत्री और गंगोत्री हाईवे सुचारु हैं।मानसरोवर यात्रा मार्ग चार घंटे बाधितपिथौरागढ़: गुरु वार की रात की बारिश से मलबा आने से कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग लगभग चार घंटे बंद रहा। इसके चलते आठवां कैलास मानसरोवर यात्रा दल एक घंटे फंसा रहा। दारमा और चौंदास घाटी का तीसरे दिन भी शेष जगत से सम्पर्क कटा रहा। मुनस्यारी के वनिक गांव में हुए भूस्खलन से मकानों को खतरा पैदा हो गया है। पांच जिलों में बारिश का अनुमानराज्य मौसम केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार अगले चौबीस घंटों के अंतराल में पांच जिलों देहरादून, पौड़ी, नैनीताल, हरिद्वार और ऊधमसिंहनगर में भारी बारिश के आसार हैं।चेतावनी रेखा के पास बह रही गंगापिछले चौबीस घंटों के दौरान हुई बारिश से नदी-नालों का जलस्तर बढ़ गया है। हरिद्वार में गंगा का चेतावनी रेखा के आसपास बह रही है। सुबह गंगा का जल स्तर 291.40 मीटर रेकार्ड किया गया। यहां चेतावनी रेखा 292 मीटर और खतरे का निशान 293 मीटर पर है। देहरादून में झमाझम बरसे मेघदेहरादून व आसपास के इलाकों में बीते रोज दोपहर में आसमान में मेघ गरजे भी और झमाझम बरसे भी। करीब घंटे भर तक हुई बारिश से दून की अधिकांश सड़कें तालाब में तब्दील हो गई। कुछ जगह लोगों के घरों व दुकानों में भी बरसात का पानी घुसा है। इतना जरूर कि बारिश के चलते लोगों को गरमी व उमस से राहत मिली है।दून में अधिकतम व न्यूनतम तापमान क्रमश: 31.6 व 25.4 डिग्री सेल्सियस रिकार्ड किया गया। शाम को भी आसमान में बादलों की आमद बनी रही। मसूरी में भी मौसम के तेवर बिगड़े हुए हैं। ऋषिकेश, हरिद्वार, रुड़की, विकासनगर व आसपास के मैदानी इलाकों में भी बारिश की बौछार पड़ी। आने वाले एक-दो दिन भी बारिश होने के आसार बने हुए हैं।दून की सड़कें बनी तालाबदून भी गुरुवार को घंटेभर तक तेज बारिश हुई। बारिश के कारण अधिकांश सड़कें तालाब बन गई। सर्वे चौक, आर्यनगर, दिलाराम चौक, घंटाघर, दर्शनलाल चौक, लैंसडौन चौक, सुभाष रोड, नेहरु कॉलोनी, हरिद्वार रोड, भगत सिंह कॉलोनी, डालनवाला, प्रिंस चौक, रेलवे स्टेशन, आढ़त बाजार, पटेलनगर, आइएसबीटी, क्लेमेनटाउन, सुभाषनगर, ओगलभट्टा, कारगी, देहराखास आदि जगह जलभराव होने से लोगों को मुसीबत का सामना करना पड़ा। कुछ जगह लोगों के घरों व दुकानों में भी बारिश का पानी घुस गया। रिस्पना व बिंदाल में का भी जल स्तर बढ़ गया है।नाले में गिरी युवतीदून अस्पताल चौक पर एक युवती को सरकारी सिस्टम की लापरवाही का खामियाजा भुगतना पड़ा। यहां नए ओपीडी ब्लॉक के पास नाली का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। यहां अत्याधिक जलभराव होने से युवती को नाली का अंदाज नहीं लग सका और वह इसमें गिर पड़ी। उसका मोबाइल व चप्पल भी बह गए। वहां काम कर रहे मजदूरों ने घर जाने के लिए उसे अपनी चप्पल दी।केदारनाथ पैदल मार्ग पर पत्थर गिरे, एक की मौतमानसून के सक्रिय होने के साथ ही केदारनाथ पैदल ट्रैक पर सफर जोखिम भरा होता जा रहा है। गुरुवार को यहां पहाड़ी से गिरे पत्थरों की चपेट में आकर एक घोड़े और उसके संचालक की मौत हो गई, जबकि 16 तीर्थयात्री चोटिल हो गए। इनमें दो को गंभीर चोटें आई हैं। मौसम की खराबी की वजह से इन्हें हेली रेस्क्यू नहीं किया जा सका। दोनों को पालकी से गौरीकुंड लाया जा रहा है। इधर, सुरक्षा के लिहाज से यात्रियों को विभिन्न पैदल पड़ावों पर रोक दिया गया है। यहां रुक-रुक कर बारिश का दौर जारी है। तीर्थयात्रियों को केदारनाथ धाम तक पहुंचने के लिए गौरीकुंड से 16 किलोमीटर का सफर पैदल तय करना होता है। पिछले महीने तक इस ट्रेक पर पहाड़ी से हिमस्खलन का खतरा बना हुआ था तो अब हर वक्त पत्थरों के गिरने की आशंका बनी रहती है। खासकर बारिश वाले दिन यहां सफर ज्यादा जोखिम भरा हो जाता है। बुधवार मध्य रात्रि से ही केदारघाटी में बारिश का क्रम चल रहा था। भीमबली और लिनचोली के बीच भूस्खलन होने पर जिला प्रशासन ने दोपहर ढाई बजे यात्रा आधा घंटे के लिए रोक दी थी। तीन बजे इसे फिर से चालू कर दिया गया। करीब चार बजे लिनचोली और भीमबली के बीच अचानक पहाड़ी से पत्थर गिरने लगे। यह देख तीर्थयात्रियों में अफरा-तफरी मच गई। दोनों तरफ खड़े यात्री पत्थर गिरने का सिलसिला थमने का इंतजार करने लगे। तभी एक घोड़ा संचालक, उसका घोड़ा और 16 तीर्थयात्री पत्थरों की चपेट में आ गए। घोड़े और उसके संचालक ने वहीं दम तोड़ दिया। उसकी शिनाख्त प्रदीप (30)पुत्र बसंत निवासी नागनाथ, चमोली के रूप में हुई। वह मूल रूप से नेपाल का रहने वाला था। घायल यात्रियों को राज्य आपदा प्रतिवादन बल (एसडीआरएफ) और पुलिस की टीम ने लिनचोली और भीमबली में प्राथमिक उपचार दिलवाया। दो यात्रियों को गंभीर चोटें आई हैं। कोहरे के कारण इन दोनों को हेली रेस्क्यू नहीं किया जा सका। दोनों के सिर और पैरों में चोटें आई हैं। रुद्रप्रयाग के जिलाधिकारी मंगेश घिल्डियाल ने बताया कि गुरुवार को इस घटनाक्रम के बाद केदारनाथ जा रहे और दर्शन कर धाम से लौट रहे तीर्थयात्रियों को सुरक्षा की दृष्टि से विभिन्न पड़ावों पर रोक दिया गया। शुक्रवार को मौसम साफ रहने की स्थिति में यात्रा सुचारू कर दी जाएगी।यह भी पढ़ें: आफत की बारिश: केदारनाथ पैदल ट्रैक पर पत्थर गिरे, एक की मौत; 16 तीर्थयात्री घायलयह भी पढ़ें: उत्तराखंड में मूसलाधार बारिश दौर जारी, गंगोत्री हाईवे बंद; अगले पांच दिन पड़ेंगे भारी
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