देहरादून जू में प्लास्टिक कचरे के निदान को अपनाया गया यह तरीका, जानिए
देश-दुनिया में पर्यावरण के लिए खतरे का सबब बने प्लास्टिक कचरे से पार पाने को उत्तराखंड के देहरादून जू में ऐसी तकनीक अपनाई गई जिससे जू को आय भी होने लगी है।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 03 Oct 2018 08:56 AM (IST)
देहरादून, [केदार दत्त]: देश-दुनिया में पर्यावरण के लिए खतरे का सबब बने प्लास्टिक कचरे से पार पाने को उत्तराखंड के देहरादून जू में अपनाई गई थ्री आर यानी रिड्यूस, रीसाइकिल व रीयूज की नायाब पहल रंग ला रही है। इसके बूते यह चिड़ियाघर न सिर्फ प्लास्टिक कचरे से मुक्त हुआ है, बल्कि आय के दरवाजे भी खुले हैं। पानी की बोतल जू के अंदर ले जाने पर आपको 10 रुपये जमा करने होंगे। यदि लौटते समय बोतल साथ न लाए तो जुर्माना।
देहरादून में मसूरी मार्ग पर मालसी में 25 हेक्टेयर क्षेत्र में फैला है देहरादून जू। जू के निदेशक एवं मुख्य वन संरक्षक पीके पात्रो ने जब पर्यावरण संरक्षण के लिए कमर कसी तो यह नायाब पहल सामने आई। वह बताते हैं कि प्लास्टिक कचरे की मार से यह चिडिय़ाघर भी त्रस्त था। सैलानियों द्वारा पानी की खाली बोतलें, पॉलीथिन समेत अन्य सामग्री यहां-वहां फेंक दी जाती थी। वह भी तब जबकि जू में प्लास्टिक, पॉलीथिन पर बैन है। इस समस्या के निदान के लिए सामने आया थ्री-आर का विचार। हालांकि, रिड्यूस यानी कूड़े में कमी लाने की व्यवस्थाएं बनाई गईं थी, लेकिन यह प्रभावी नहीं हो पा रही थीं। लिहाजा, इसमें रीसाइकिल व रीयूज को शामिल किया गया और इसके बेहतर नतीजे सामने आए हैं।
सालभर के भीतर ही खाली प्लास्टिक की बोतलों से तैयार 60 हजार रुपये मूल्य का चूरा बेचा जा चुका है। यही नहीं, प्लास्टिक की खाली बोतलों का इस्तेमाल सजावट के साथ ही विभिन्न सजावटी आकृतियां बनाने में किया गया है। इससे चिड़ियाघर की खूबसूरती में चार चांद लगे हैं। यह है थ्री आर पहल
रिड्यूस: जू में आने वाले सैलानी यदि अपने साथ प्लास्टिक की पानी की बोतल ले जाना चाहते हैं तो उनसे 10 रुपये जमा कराए जाते हैं। वापसी में खाली बोतल जमा कराने पर उन्हें यह राशि लौटा दी जाती है। यदि कोई ऐसा नहीं करता है राशि नहीं लौटाई जाती है। जू के भीतर छोड़ दी गई बोतल शाम को जू का स्टाफ एकत्र करता है। जो कर्मचारी जितनी खाली बोतलें लेकर आता है, उसे बदले में प्रति बोतल 10 रुपये दिए जाते हैं। इससे प्लास्टिक कचरे को एकत्र करने में मदद मिली। रीसाइकिल: प्लास्टिक की बोतलों को रीसाइकिल करने के मद्देनजर जू में सालभर पहले पेट बोटल क्रशिंग मशीन लगाई गई। प्लास्टिक की खाली बोतलों को मशीन में डालकर चूरा तैयार कर लिया जाता है। फिर इसे 15 से 17 रुपये प्रति किलो के हिसाब से बेचा जाता है।
रीयूज: चिड़ियाघर में प्लास्टिक बोतलों के साथ ही पॉलीथिन, थर्मोकोल समेत अन्य अनुपयोगी सामग्री का उपयोग जू की खूबसूरती बढ़ाने में किया गया है। जू का सर्पबाड़ा हो कैक्टस गार्डन या फिर अन्य क्षेत्र, वहां प्लास्टिक की बोतलों से आकृतियां तैयार कर इन्हें सीमेंट के खाली कट्टों का जाल बनाकर ढका जाता है और फिर मजबूती के लिए सीमेंट की हल्की लेयर इन पर डाली जाती है। इसके बाद कलर किया जाता है। अब सोवेनियर बनाने की तैयारी
जू के निदेशक पात्रो के मुताबिक हमने प्लास्टिक कचरे को एक संसाधन के रूप में लिया है। इसके अच्छे नतीजों को देखते हुए अब प्लास्टिक बोतलों से सोवेनियर बनाने की तैयारी है। वह बताते हैं कि जू में सालभर में छह लाख से ज्यादा सैलानी आते हैं। सैलानियों द्वारा छोड़ी जाने वाली प्लास्टिक की बोतलों से सोवेनियर बनाए जाएंगे और यह कार्य महिला समूहों अथवा स्वयं सहायता समूहों को दिया जाएगा, ताकि रोजगार सृजन भी हो सके। यह भी पढ़ें: प्लास्टिक कचरे पर पेप्सी और नेस्ले को नोटिस
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