22 ब्लॉकों और 15 विस क्षेत्रों में नहीं हैं डिग्री कॉलेज, पढ़िए पूरी खबर
उत्तराखंड में सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने को लेकर सियासी दांवपेच पर अब छात्रों का संकट भारी पड़ता दिख रहा है।
By Edited By: Updated: Tue, 29 Oct 2019 08:42 PM (IST)
देहरादून, राज्य ब्यूरो। सरकारी डिग्री कॉलेज खोलने को लेकर सियासी दांवपेच पर अब छात्रों का संकट भारी पड़ता दिख रहा है। माननीयों की ओर से ब्लॉकों और विधानसभा क्षेत्रों में नए डिग्री कॉलेज खोलने की पुरजोर पैरवी के चलते सरकार ने उच्च शिक्षा महकमे को प्रस्ताव तैयार करने को कहा है। 20 ब्लॉकों और 15 विधानसभा क्षेत्रों में डिग्री कॉलेज नहीं हैं। दूसरी ओर 200 से कम छात्रसंख्या वाले डिग्री कॉलेजों को नजदीकी कॉलेजों में मर्ज करने पर भी शासन स्तर पर मंथन चल रहा है।
क्वालिटी एजुकेशन बनाम क्वांटिटी एजुकेशन की इस जंग में माननीयों के हाथों मायूसी लगने के संकेत हैं। प्रदेश में सरकारी डिग्री कॉलेजों की संख्या 104 का आंकड़ा पार कर चुकी है। बावजूद इसके हकीकत ये है कि गुणवत्ता के मामले में उच्च शिक्षा हाशिये पर है। कॉलेजों में न्यूनतम 180 दिन पढ़ाई नहीं हो पा रही है तो शिक्षकों के साथ ही लाइब्रेरी, लेबोरेट्री जैसी जरूरी सुविधाओं का टोटा बना हुआ है। इस बदहाली को सुधारने में कॉलेजों की बड़ी तादाद खुद बड़ा रोड़ा बन गई है।
उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक बड़ी संख्या में नए डिग्री कॉलेज सियासी खींचतान और माननीयों के दबाव में ऐसे स्थानों पर खोले गए हैं, जहां उनकी जरूरत नहीं थी। माननीय फिर इतिहास दोहराने की कवायद में जुटे तो सरकार ने भी परीक्षण कराने पर हामी भर दी। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ धन सिंह रावत ने उच्च शिक्षा निदेशक से ऐसे ब्लॉकों और विधानसभा क्षेत्रों का ब्योरा तलब किया है, जहां डिग्री कॉलेज नहीं हैं। प्रदेश में 22 ब्लॉकों और 15 विधानसभा क्षेत्रों में एक भी सरकारी डिग्री कॉलेज नहीं है। इन क्षेत्रों में कॉलेज खोलने की संभावनाओं को खंगालते हुए महकमा प्रस्ताव तैयार कर रहा है।
यह भी पढ़ें: नियमित शिक्षकों ने हाईकोर्ट में केविएट दाखिल की, पढ़िए पूरी खबरदूसरी ओर से राज्य में जिन सरकारी कॉलेजों में छात्रसंख्या 200 से कम है, उन्हें बंद कर नजदीकी डिग्री कॉलेजों में मर्ज करने के निर्देश भी दिए गए हैं। उच्च शिक्षा महकमा इस मामले में भी रिपोर्ट तैयार कर रहा है। हालांकि कॉलेज बंद करने के संवेदनशील मामले को देखते हुए महकमे के स्तर पर भी सावधानी बरती जा रही है। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ धन सिंह रावत ने कहा कि कॉलेज बंद करने या मर्ज करने के मामले में जल्दबाजी में कोई फैसला नहीं लिया जाएगा।
यह भी पढ़ें: इंजीनियरिंग की छात्राओं के लिए खुशखबरी, मिलेगी हजारों की स्कॉलरशिप प्राचार्यों को प्रतिकूल प्रविष्टि की चेतावनी मुख्यमंत्री डैशबोर्ड में सरकारी डिग्री कॉलेजों में उच्च शिक्षा ग्रहण करने के बाद रोजगार प्राप्त करने वाले छात्र-छात्राओं के बारे में ब्योरा कॉलेजों को जुटाना होगा। इसकी जानकारी सीएम डैशबोर्ड में देनी होगी। ऐसा नहीं होने पर कॉलेजों के प्राचार्यों को प्रतिकूल प्रविष्टि देने के निर्देश उच्च शिक्षा सचिव अशोक कुमार ने दिए हैं।
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