Dehradun Air Pollution: कूड़ा जलाने और धूल-मिट्टी से दून में छाये 'बादल', सांस के मरीजों के लिए बना खतरा
उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव डा. पराग मधुकर धकाते ने बताया कि इन दिनों वाहनाें उद्योग और अन्य माध्यमों से निकलने वाला प्रदूषण हवा में ही घूमता रहता है। जो कि समय पर छंट नहीं पा रहा है और एक्यूआइ का स्तर बढ़ गया है। इसके अलावा खुले में कूड़ा जलाने और निर्माण कार्यों के कारण जगह-जगह धूल-मिट्टी के गुबार उठ रहे हैं।
जागरण संवाददाता, देहरादून। आमतौर पर स्वच्छ वायु के लिए जाना जाने वाला दून अब शीर्ष प्रदूषित शहरों की सूची में शामिल होने को अग्रसर है। दून में हवा की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित हो रही है। दून में वायु प्रदूषण की स्थिति दीपावली की रात के समान ही बनी हुई है। पिछले कुछ दिनों से एक्यूआइ ढाई से तीन सौ के आसपास बना हुआ है।
दून में अक्सर ''बादल'' भी मंडरा रहे हैं, जो कि वायुमंडल में तैर रहा प्रदूषण है। फिलहाल मौसम पूरी तरह शुष्क है और बादल-वर्षा जैसे हालात नहीं हैं। खराब होती आबोहवा के लिए खुले में कूड़ा जलाए जाने और निर्माण कार्यों को जिम्मेदार माना जा रहा है। जबकि, जिम्मेदार महकमा मौन बना हुआ है।
दून की आबोहवा इन दिनों सांस के रोगियों को डरा रही है। दीवपावली में दून की आबोहवा प्रदूषित होने के बाद बीच में दो दिन गुणवत्ता में सुधार आया था, लेकिन पिछले करीब सप्ताहभर से हवा बेहद खराब हो गई है। मंगलवार को दून का एक्यूआइ ढाई सौ के आसपास था। जबकि, रविवार को यह 300 के पार पहुंच गया था।
हालांकि, यह आंकड़े औसत हैं और किसी समय एक्यूआइ इससे काफी ऊपर भी पहुंच रहा है। इसके अलावा उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आंकड़े दून विवि क्षेत्र के हैं, शहर के मुख्य क्षेत्रों में स्थिति और खराब होने की आशंका है।
कान्वेंट रोड पर सड़क किनारे जलाया जा रहा कूड़ा। जागरण
इसे भी पढ़ें-पिता ने सिर-आंखाें पर रखा, सीए बनकर नाम कमाना चाहती थी इकलौती बेटी कामाक्षी दून के घाटी में स्थित होने के कारण यहां हवा में फैले पीएम-2.5 के कण समेत अन्य नुकसानदायक गैसें वातावरण में तैरती रहती हैं। यहां प्रदूषण को छंटने में अधिक समय लगता है। ऐसे में अगले कुछ दिन वायु की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद कम है। सर्दियों में वायु प्रदूषण को छंटने में लगता है अधिक समयसर्दियों में वायु प्रदूषण बहुत लंबे समय तक बना रहता है। साथ ही दीपावली के दौरान आतिशबाजी के कारण प्रदूषण का स्तर बेहद ऊपर पहुंच जाता है। ऐसे में गर्मियों की तुलना में सर्दियों में सांस के रोगियों को खतरा बढ़ जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार ठंडी हवा सघन होती है और गर्म हवा की तुलना में धीमी गति से चलती है। ठंडी हवा का घनत्व प्रदूषण को फंसा लेता है और दून जाने में अधिक समय लगता है। सांस के रोगियों के लिए खतरनाक हुई दून की आबोहवादून अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डा. अनुराग अग्रवाल का कहना है कि दीपावली के दौरान आतिशबाजी से वायु की गुणवत्ता बुरी तरह प्रभावित होती है। जिससे सांस के रोगियों को परेशानी हो सकती है। प्रदूषण अस्थमा के दौरे को ट्रिगर कर सकता है। प्रदूषण से सांस लेने में कठिनाई होती है, खासकर फिजिकल एक्टिविटी के दौरान। लंबे समय तक प्रदूषण के संपर्क में रहने से फेफड़े खराब हो सकते हैं। इम्यून सिस्टम भी कमजोर होता है, जिससे इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। खुले में कूड़ा जलाने वालों पर भी नकेल नहींदून की आबोहवा खराब करने वालों पर भी नकेल नहीं कसी जा रही है। सार्वजनिक स्थलों से लेकर अपने परिसर में भी विभिन्न क्षेत्रों में कूड़ा जलाने की शिकायतें मिल रही हैं। कोई अपने प्लाट में पत्ते और झाड़ियां जला रहा है तो कोई सड़क किनारे ही कूड़ा एकत्रित कर आग लगा देता है। यही नहीं, नदी-नालों के किनारे पड़े कूड़े के ढेर पर भी रोजाना आग लगा दी जाती है। पुराने डंप कूड़े को भी धीरे-धीरे जलाकर कम किया जा रहा है। हालांकि, उप नगर आयुक्त गोपाल राम बिनवाल की ओर से खुले में कूड़ा फेंकने वालों और जलाने पर अभियान चलाकर कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।ग्रामीण क्षेत्र से बताया जा रहा दून शहर के प्रदूषण का हालउत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से देहरादून की हवा का हाल रोजाना बताया जाता है। हालांकि, उनके आंकड़ों से शहर में वायु प्रदूषण का पता नहीं चलता। दरअसल, बोर्ड ने बंजारावाला जैसे ग्रामीण क्षेत्र में स्थित दून विश्वविद्यालय में वायु प्रदूषण मापने के लिए उपकरण लगाए हैं। जबकि, इस क्षेत्र में न तो कोई औद्योगिक गतिविधि होती है और न ही यहां यातायात का ही अधिक दबाव है। इसे भी पढ़ें-तेज रफ्तार का शौक लगा रहा जिंदगी पर 'ब्रेक', प्रदेश में ओवरस्पीड से 78 प्रतिशत दुर्घटनाएं घटीं इधर, घंटाघर, प्रिंस चौक, आइएसबीटी, चकराता रोड समेत तमाम व्यस्ततम मार्गों व शहर के केंद्र में प्रदूषण मापने की कोई व्यवस्था नहीं है। जाहिर है घंटाघर समेत अन्य मुख्य क्षेत्रों में प्रदूषण दून विवि से अधिक होगा। अब यदि दून विवि क्षेत्र में ही एक्यूआइ ढाई सौ से तीन सौ दर्ज किया जा रहा है तो घंटाघर पर इसका क्या हाल होगा सोचने योग्य है। दून में मौसम शुष्क, आसमान में बादल नहींदून में पिछले काफी समय से मौसम शुष्क बना हुआ है और वर्षा नहीं हुई है। यह भी कारण है कि धूल के कण वातावरण में तैर रहे हैं। हालांकि, आसमान में बादल छाने जैसी स्थिति भी बन रही है, लेकिन यह प्रदूषण के कण बताए जा रहे हैं।मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक बिक्रम सिंह के अनुसार, देहरादून में फिलहाल मौसम शुष्क बना रहने का पूर्वानुमान है। आसमान साफ रहने और चटख धूप खिलने के आसार हैं। सुबह के समय धुंध छाई रह सकती है। दून में बीते पांच दिन में औसत एक्यूआइ
(एक्यूआइ 200 से अधिक होने पर स्वास्थ्य के लिए बेहद खराब माना जाता है।)
एक्यूआइ के मुताबिक हवा का हाल
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दिनांक |
एक्यूआइ |
12 नवंबर | 248 |
11 नवंबर | 270 |
10 नवंबर | 306 |
नौ नवंबर | 267 |
आठ नवंबर | 206 |
- शून्य से 50, अच्छा
- 51 से 100, संतोषजनक
- 101 से 200, मध्यम
- 201 से 300, बुरी
- 301 से 400 बहुत बुरी
- 401 व अधिक, अति गंभीर