उत्तराखंड के 91 आइटीआइ में 30 ट्रेड की 8384 सीटों पर तीन दौर की काउंसलिंग के बाद मात्र 2630 सीटों पर ही दाखिले हो पाए हैं। 5754 सीटें अभी तक रिक्त पड़ी हैं। इन रिक्त सीटों पर जिला स्तरीय काउंसलिंग बुधवार से प्रारंभ कर दी गई। इसके बाद स्पाट काउंसलिंग कराई जाएगी। फिर भी अगर सीटें रिक्त रह गईं तो पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।
By Ashok KumarEdited By: riya.pandeyUpdated: Fri, 01 Sep 2023 08:26 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून : प्रदेश के 91 औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) में 30 ट्रेड की 8,384 सीटों पर तीन दौर की काउंसलिंग के बाद मात्र 2630 सीटों पर ही दाखिले हो पाए हैं। 5,754 सीटें अभी तक रिक्त पड़ी हैं। इन रिक्त सीटों पर जिला स्तरीय काउंसलिंग बुधवार से प्रारंभ कर दी गई है। इसके बाद स्पाट काउंसलिंग कराई जाएगी। फिर भी अगर सीटें रिक्त रह गईं तो पहले आओ पहले पाओ के आधार पर प्रवेश दिया जाएगा।
इस साल इंजीनियरिंग और पालीटेक्निक से ज्यादा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान (आइटीआइ) के विभिन्न तकनीकी ट्रेडों के लिए आवेदन प्राप्त हुए थे। उम्मीद थी कि सभी सीटों पर प्रवेश हो जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
838 सीटों में से केवल 126 प्रवेश
निरंजनपुर आइटीआइ के प्रधानाचार्य मनमोहन कुड़ियाल ने बताया कि तीन दौर की काउंसलिंग पूरी हो चुकी है। इस दौरान केवल 2630 छात्र-छात्राओं ने ही प्रवेश लिया है। सबसे अधिक सामान्य वर्ग से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) की 838 में से केवल 126 सीटों ही भर पाई हैं। इसी तरह अनुसूचित जाति की 1593 में से 722 और ओबीसी की 1174 में से 623 सीटों पर ही आवेदन हुआ।
तकनीकी शिक्षा निदेशालय को लिखा गया पत्र
सामान्य वर्ग से आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) वर्ग की रिक्त सीटों को सामान्य वर्ग के छात्रों से भरने को लेकर तकनीकी
शिक्षा निदेशालय को पत्र लिखा गया है। इसके अलावा पहले आओ पहले पाओ के आधार पर सितंबर दूसरे पखवाड़े में भी आवेदन करने वाले युवाओं को आइटीआइ में प्रवेश दिया जाएगा, ताकि अधिक से अधिक छात्र औद्योगिक प्रशिक्षण प्राप्त कर सकें।
ये है सीटों का विवरण
श्रेणी, सीटों की संख्या
सामान्य जाति, 4444
अनुसूचित जाति, 1593
ओबीसी, 1174
ईडब्ल्यूएस, 838
अनूसूचित जनजाति, 335
सीटें रिक्त रहने का ये है कारण
जिन छात्र-छात्राओं ने आइटीआइ में प्रवेश के लिए आवेदन किया था, उन्हें पहली च्वाइस के आधार पर ट्रेड और मनपंसद
आइटीआइ आवंटित नहीं हुई। ऐसे में छात्रों ने दूसरी और तीसरी च्वाइस की आवंटित सीट में प्रवेश ही नहीं लिया, जिससे यह सीटें रिक्त रह गईं।
कई आवेदन करने वाले छात्र-छात्राओं ने आइटीआइ के बजाय अन्य उच्च शिक्षा संस्थानों में प्रवेश ले लिया। ऐसे छात्र काउंसलिंग के लिए पहुंचे ही नहीं।
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