Cyber Crime: कस्टमर केयर का नंबर ढूंढ़ बिल भुगतान के लिए फोन करना पड़ा भारी, खाता हुआ खाली
Cyber Crime बिजली के बिल का ऑनलाइन भुगतान ऊर्जा निगम तक नहीं पहुंचने पर एक उपभोक्ता को बैंक की कस्टमर केयर सर्विस को फोन करना महंगा पड़ गया। उपभोक्ता ने जिस नंबर पर फोन किया वह बैंक के बजाय साइबर ठग का निकला।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Wed, 20 Jan 2021 10:20 AM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। Cyber Crime बिजली के बिल का ऑनलाइन भुगतान ऊर्जा निगम तक नहीं पहुंचने पर एक उपभोक्ता को बैंक की कस्टमर केयर सर्विस को फोन करना महंगा पड़ गया। उपभोक्ता ने जिस नंबर पर फोन किया वह बैंक के बजाय साइबर ठग का निकला। उसने उपभोक्ता से उसके बैंक खाते की जानकारी लेकर 38,358 रुपये उड़ा दिए। पीड़ित ने इसकी शिकायत साइबर क्राइम पुलिस स्टेशन में की है।
साइबर क्राइम थाना पुलिस के अनुसार शिमला बाईपास निवासी पीड़ित ने बताया कि वह बिजली के बिल का भुगतान ऑनलाइन करते हैं। इस बार बिजली के बिल का भुगतान करने पर बैंक खाते से धनराशि कट गई, लेकिन उत्तराखंड पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (यूपीसीएल) की ओर से भुगतान संबंधी संदेश नहीं प्राप्त हुआ तो उन्होंने यूपीसीएल की कस्टमर केयर सर्विस पर फोन किया। वहां से बताया गया कि अभी बिल का भुगतान प्राप्त नहीं हुआ है, अधिक जानकारी के लिए संबंधित बैंक से संपर्क करें। इसपर पीड़ित ने इंटरनेट के माध्यम से बैंक की कस्टमर केयर सर्विस का नंबर ढूंढा और उस पर फोन किया। फोन रिसीव करने वाले शख्स ने उन्हें समस्या के समाधान का झांसा देकर एक लिंक भेजा और उसे खोलने को कहा। उक्त लिंक पर क्लिक करते ही पीडि़त के खाते से रुपये कट गए।
दूसरी तरफ, रत्नाकर बैंक लिमिटेड (आरबीएल) के क्रेडिट कार्ड से संबंधित समस्या दूर करने के नाम पर एक साइबर ठग ने खाताधारक के खाते से 14 हजार रुपये उड़ा दिए। पीड़ित ने साइबर थाने में दी गई शिकायत में बताया कि उन्हें एक व्यक्ति ने फोन कर खुद को आरबीएल का अधिकारी बताया। उसने क्रेडिट कार्ड संबंधी समस्या दूर करने के नाम पर क्रेडिट कार्ड की डिटेल पूछी और फिर उनके खाते से रुपये उड़ा दिए।
इसी तरह एक व्यक्ति को साइबर ठग ने अपना परिचित बताया और उनके बैंक खाते में रुपये डालने का झांसा देकर 32500 रुपये की चपत लगा दी। एमडीडीए कॉलोनी निवासी पीड़ित ने बताया कि उन्हें एक व्यक्ति का फोन आया था। जिसने कहा कि उनके खाते में कुछ रुपये भेज रहा है। इसके लिए उसने बार कोड स्कैन करने को कहा। बार कोड स्कैन करते ही पीड़ित के खाते से रुपये निकल गए।
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