बिना किसी खरीद के जारी कर दिया 52 करोड़ का फर्जी बिल, एक किया गिरफ्तार
52 करोड़ रुपये के फर्जी बिल के आधार पर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लेने का बड़ा मामला पकड़ में आया है। इस मामले में देहरादून की जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम ने मुजफ्फरनगर निवासी अनुकूल बिंदल को गिरफ्तार किया।
By Raksha PanthriEdited By: Updated: Sun, 05 Sep 2021 01:29 PM (IST)
जागरण संवाददाता, देहरादून। बिना किसी खरीद के 52 करोड़ रुपये के फर्जी बिल के आधार पर आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) का लाभ लेने का बड़ा मामला पकड़ में आया है। इस मामले में देहरादून की जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम ने मुजफ्फरनगर निवासी अनुकूल बिंदल को गिरफ्तार किया। आरोपित को सीजेएम कोर्ट मेरठ में पेश करने के बाद 14 दिन की न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया।
डायरेक्टोरेट जनरल जीएसटी इंटेलीजेंस (डीजीजीआइ) की देहरादून यूनिट के मुताबिक मुजफ्फरनगर निवासी आरोपित अनुकूल बिंदल ने अपने घर पर ही फर्जी फर्म खोल रखी थी। वह वर्ष 2018 से उत्तराखंड व मेरठ की 22 फर्मों को फर्जी बिल जारी कर रहा था। क्योंकि वास्तव में किसी तरह की खरीद-बिक्री की ही नहीं जा रही थी।ये सभी फर्म स्टील, आयरन, स्क्रैप से संबंधित हैं। फर्जी बिलों के जरिये संबंधित फर्म आइटीसी का लाभ प्राप्त कर रही थीं। इस तरह फर्मों ने फर्जी बिलों के आधार पर 9.38 करोड़ रुपये की चपत लगा दी थी। शुरुआती छानबीन के बाद मामला पकड़ में आने के बाद जीएसटी इंटेलीजेंस के सहायक निदेशक पंकज मिश्रा के नेतृत्व में टीम ने मुजफ्फरनगर स्थित फर्म पर छापा मारा।
पता चला कि वास्तव में कोई फर्म है ही नहीं और यह काम आरोपित बिंदल निजी कंप्यूटर के जरिये घर में बैठकर कर रहा है। विभागीय सूत्रों के मुताबिक अनुकूल बिंदल की गिरफ्तारी के बाद जल्द कुछ और व्यक्तियों पर शिकंजा कस सकता है। अब तक की जांच में जीएसटी इंटेलीजेंस के अधिकारियों को पता चला है कि 22 फर्मों को अन्य फर्म से भी फर्जी बिल प्राप्त हो रहे थे।यह भी पढ़ें- देहरादून : खुद को जीवन बीमा लोकपाल अधिकारी बताकर ठगे 10 लाख रुपये
कई मोबाइल व बैंक खातों की जानकारी मिली मुजफ्फरनगर में की गई छापेमारी में जीएसटी इंटेलीजेंस की टीम को आरोपित के घर से कई मोबाइल फोन व बैंक खातों की जानकारी मिली। साथ ही कई ब्लैंक चेक व आय-व्यय के रिकार्ड भी मिले। विभाग ने सभी रिकार्ड व सामान जब्त कर लिए हैं। अब बैंक ट्रांजेक्शन की जानकारी जुटाकर देखा जाएगा कि उत्तराखंड व मेरठ की फर्मों के अलावा आरोपित के तार कहां तक जुड़े हैं।
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