देहरादून में 546 वाहनों की पार्किंग का रास्ता साफ, टेंडर आमंत्रित जल्द मिलेगी जाम से मुक्ति
देहरादून के जिलाधिकारी सविन बंसल शहर के यातायात प्रबंधन को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठा रहे हैं। उन्होंने शहर में पहली बार आटोमेटेड पार्किंग का खाका तैयार किया है और स्थान चिह्नित किए हैं। अब पार्किंग निर्माण के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए हैं। इस पहल से शहर में पार्किंग की समस्या का समाधान होगा और यातायात व्यवस्था में सुधार होगा।
जागरण संवाददाता, देहरादून। जिलाधिकारी (डीएम) सविन बंसल व्यवस्था सुधार की दिशा में जो कदम बढ़ा रहे हैं, उसे मंजिल तक पहुंचाने के लिए भी अथक प्रयास कर रहे हैं। शहर में यातायात प्रबंधन की कड़ी चुनौती को दूर करने के लिए भी जिलाधिकारी ने प्रयास शुरू किए थे।
उन्होंने शहर में पहली बार आटोमेटेड पार्किंग का खाका तैयार किया और स्थान चिह्नित किए। अब पार्किंग निर्माण के लिए टेंडर भी आमंत्रित कर लिए गए हैं। जिसमें 02 आटोमेटेड पार्किंग और एक सतही पार्किंग शामिल है। कुल मिलाकर पहले चरण में 546 वाहनों के लिए चार माह के भीतर पार्किंग तैयार कर दी जाएंगी।
पहली आटोमेटेड पार्किंग का निर्माण लैंसडाउन चौक से गांधी पार्क और परेड ग्राउंड के मध्य से गुजरने वाले मार्ग पर तैयार की जाएगी। वहीं, दूसरी पार्किंग का निर्माण लैंसडाउन चौक पर तिब्बती मार्केट सामने बहुद्देशीय खेल भवन के पास किया जाएगा। दूसरी तरफ सतही पार्किंग का निर्माण सर्वे चौक स्थित करनपुर पुलिस चौकी के पास काबुल हाउस की भूमि पर किया जाएगा।
जिलाधिकारी सविन बंसल के मुताबिक टेंडर आमंत्रित करने के साथ ही पूरी प्रक्रिया की शीघ्र पूरा कराकर निर्माण शुरू कराया जाएगा। तीनों पार्किंग परियोजनाओं का निर्माण चार माह के भीतर पूरा करा दिया जाएगा। इसके लिए कार्यदाई संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग के रायपुर खंड के अधिशासी अभियंता विनीत को कड़े निर्देश जारी किए गए हैं। इसके बाद शहर में अन्य स्थलों पर भी आटोमेटेड पार्किंग तैयार करने की योजना है।
पार्किंग परियोजनों का विवरण
- बहुद्देशीय खेल भवन के पास
- लागत, 4.96 करोड़ रुपए
- वाहन क्षमता, 132
- टेंडर खुलने की तिथि, 25 अक्टूबर
- गांधी पार्क और परेड ग्राउंड के मध्य
- लागत, 4.72 करोड़ रुपए
- वाहन क्षमता, 129
- टेंडर खुलने की तिथि, 25 अक्टूबर
- काबुल हाउस
- लागत, 2.63 करोड़ रुपए
- वाहन क्षमता, 285
- टेंडर खुलने की तिथि, 23 अक्टूबर
यह होती है आटोमेटेड मकैनिकल पार्किंग
आटोमेटेड कार पार्किंग सिस्टम एक यांत्रिक प्रणाली है। जिसे कम से कम उपलब्ध स्थान में बड़ी संख्या में कारों को पार्क करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह एक मल्टीस्टोरी गैरेज की तरह एक आटोमेटेड पार्किंग सिस्टम कारों को कई स्तरों पर लंबवत रूप से खड़ा करता है।
यह पार्किंग के लिए जगह को अधिकतम करने और भूमि के उपयोग को कम करने में मदद करता है। इपीएस कारों के परिवहन के लिए एक यांत्रिक प्रणाली से संचालित होता है और इसलिए ड्राइवरों की आवश्यकता समाप्त हो जाती है।
स्वचालित पार्किंग प्रणाली रोबोट वैलेट पार्किंग के समान है। ड्राइवर को कार को एपीएस के प्रवेश क्षेत्र तक ले जाना होता है। कार को खाली करना होता है, ड्राइवर और सभी यात्रियों को कार से बाहर निकालना होता है। ड्राइवर पास के एक स्वचालित टर्मिनल में भुगतान करता है और उसे टिकट मिलता है।
जैसे ही सभी यात्री प्रवेश क्षेत्र से बाहर निकलते हैं, कार को यांत्रिक प्रणाली द्वारा उठा लिया जाता है और सिस्टम में पार्किंग के लिए पहले से तय स्थान पर ले जाया जाता है। जिसके बाद ऑपरेटर कार को उपलब्ध सबसे छोटी पार्किंग जगह में फिट करता है।
स्थल पर पार्किंग की क्षमता होती है 03 गुना
आटोमेटेड मकैनिकल कार पार्किंग सामान्य रूप से तीन मंजिल की होती है। इस तरह धरातल पर कम से कम 10 कारों की पार्किंग संभव होने पर यह क्षमता 30 कारों की पार्किंग की बन जाती है।
स्थाई पार्किंग से कम आती है लागत
जिलाधिकारी सविन बंसल के मुताबिक स्थाई प्रकृति के सीमेंट कंक्रीट की पार्किंग में प्रति तीन यूनिट की लागत 10 से 15 लाख रुपए तक आती है। वहीं, मकैनिकल पार्किंग में यह लागत 05 से 07 लाख रुपए ही आती है।