Dehradun: दो कमरे के राहत कैंप में कैसे कटेगी 120 लोगों की सर्दियां, जाखन मजरे में भूधंसाव से ढह गए थे 10 मकान
Jakhan Village जैसे-जैसे समय गुजर रहा है वैसे-वैसे जाखन गांव के आपदा प्रभावितों की दिक्कतें बढ़ रही हैं। प्रशासन प्रभावित परिवारों के स्थायी पुनर्वास के लिए अब तक उपयुक्त स्थान नहीं तलाश पाया है जबकि अक्टूबर से सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा। ऐसे में दो कमरे के राहत शिविर में 102 लोगों के दिनरात कैसे गुजरेंगे यहां चिंता का विषय है।
By Jagran NewsEdited By: riya.pandeyUpdated: Sat, 09 Sep 2023 01:19 PM (IST)
जागरण संवाददाता, विकासनगर: Jakhan Village: जैसे-जैसे समय गुजर रहा है, वैसे-वैसे जाखन गांव के आपदा प्रभावितों की दिक्कतें बढ़ रही हैं। प्रशासन प्रभावित परिवारों के स्थायी पुनर्वास के लिए अब तक उपयुक्त स्थान नहीं तलाश पाया है, जबकि अक्टूबर से सर्दी का मौसम शुरू हो जाएगा। ऐसे में दो कमरे के राहत शिविर में 102 लोगों के दिनरात कैसे गुजरेंगे, यहां चिंता का विषय है। हालांकि, प्रशासन जल्द ही सभी परिवारों के विस्थापन का दावा कर रहा है।
बीते 16 अगस्त को भूधंसाव से छह गए थे 10 मकान
गौरतलब है कि बीते 16 अगस्त को ग्राम पंचायत मदरसू के जाखन मजरे में भूधंसाव से 10 मकान ढह गए थे, जबकि कई मकानों में दरार आ गई थी। भूगर्भीय सर्वे के बाद गांव को रहने योग्य नहीं बताया गया था। इस पर प्रशासन ने 26 प्रभावित परिवारों के 102 व्यक्तियों को जूनियर हाईस्कूल पष्टा गांव में राहत कैंप बनाकर ठहराया है। प्रभावितों की खाने की व्यवस्था जिला पूर्ति विभाग कर रहा है।
मकान गिरने के दौरान सामान नहीं निकाल पाए परिवार
आपदा में मंजीत सिंह, जीवन सिंह, कपिल, कैलाश, रामानंद, महेंद्र राम, धीरज, महीपाल सिंह, रमेश, सुनील कुमार के मकान मलबे के ढेर में तब्दील हो गए थे। साथ ही सात गोशाला भी धराशायी हो गई थी। मकान गिरने के दौरान परिवार अपना सामान भी नहीं निकाल पाए थे। आपदा से जगत सिंह, प्रदीप, संसार सिंह, आदेश, चतर सिंह, लीला देवी आदि के मकानों में दरार आ गई है।यह भी पढ़ें- Himalaya Diwas: सीएम धामी ने हिमालय दिवस पर दी शुभकामनाएं, कहा- हिमालय संरक्षण में सभी की भागीदारी है जरूरी
सर्वे के बाद प्रभावितों ने निकाला सामान
सर्वे के बाद दरार आए मकानों से प्रभावितों ने अपना सामान निकाल लिया था। उस सामान को प्रभावितों ने राहत कैंप के अलावा अन्य जगह रखा है। प्रशासन ने आपदा प्रभावितों के लिए किराये के रूप में प्रतिमाह चार हजार रुपये देने की बात कही थी, लेकिन अभी तक किसी को किराये पर मकान भी नहीं मिला है क्योंकि आपदा प्रभावितों के पास मवेशी भी हैं।सर्दी है सबसे बड़ी समस्या
ग्रामीणों को अपने खेतों से उपज भी निकालनी है। प्रभावितों के सामने सबसे बड़ी समस्या आने वाली सर्दियां हैं। क्योंकि वर्तमान में प्रभावित लोग खुले आसमान के नीचे सो रहे हैं लेकिन सर्दियों में दो कमरे के राहत कैंप में कैसे 120 लोग रात गुजार पाएंगे। यह बड़ी समस्या है। विस्थापन न होने से आपदा प्रभावितों में नाराजगी बढ़ रही है।
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