Dehradun Landslide: ‘जीवन चलाने को तो पास में कुछ बचा ही नहीं’, दास्तां सुनाते हुए सहम जाते हैं जाखन के पीड़ित
बेघर हुए परिवारों ने उन्हें तुरंत विस्थापित करने की मांग को लेकर एसडीएम व डीएम के समक्ष हंगामा किया। कहा कि कब तक वह नाते-रिश्तेदार व परिचितों के घर व राहत कैंप में रहेंगे। जब जाखन गांव में कोई भी घर रहने लायक नहीं रहा तो ऐसे में सभी परिवारों को अन्यत्र विस्थापित किया जाना चाहिए। डीएम ने एसडीएम को विस्थापन के लिए प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा है।
विकासनगर, जागरण संवाददाता: जाखन में जिन ग्रामीणों के मकान धराशायी हुए, वह इस बात को लेकर चिंतित हैं अब जाएं तो जाएं कहां। उनकी आंखों के सामने ही उनके आशियाने मलबे के ढेर में बदल गए। सामान निकालने तक का उन्हें मौका नहीं मिला। तब भागकर जान तो बचा ली, लेकिन जीवन चलाने के लिए तो पास में कुछ भी नहीं बचा।
पवित्रा बताती हैं कि बुधवार दोपहर दो बजे मकान के चटकने की आवाज आई। तब घर में चार सदस्य थे, जो इसके बाद बाहर की ओर भागे। देखते ही देखते मकान का नामोनिशान नहीं था। वह अपने जेवर तक नहीं निकाल पाई।
कपिल, मंजीत, कैलाश, रामानंद, महेंद्र, महिपाल, सुनील, रमेश व धीरज के मकान भी उनकी आंखों के सामने ही धराशायी हुए। वह कहते हैं, घरों में डबल बेड, फ्रिज, बर्तन, जेवर, नकदी, बिस्तर, पंखे, कूलर, खाने-पीने का सामान, बच्चों की किताब-कापी, स्कूल बैग, ड्रेस, रसोई गैस सिलिंडर आदि सामान मलबे में दब गया, जिनके मकान दरार आने के बावजूद ढहे नहीं, कम से कम उन्हें सामान निकालने का मौका तो मिल गया। कहते हैं, अब कैसे घर बनाएंगे, कैसे घरेलू सामान जुटाएंगे कुछ समझ में नहीं आ रहा।
प्रभावितों ने किया हंगामा, तुरंत विस्थापन की मांग
जाखन गांव में बेघर हुए परिवारों ने उन्हें तुरंत विस्थापित करने की मांग को लेकर एसडीएम व डीएम के समक्ष हंगामा किया। कहा कि कब तक वह नाते-रिश्तेदार व परिचितों के घर व राहत कैंप में रहेंगे। जब जाखन गांव में कोई भी घर रहने लायक नहीं रहा तो ऐसे में सभी परिवारों को अन्यत्र विस्थापित किया जाना चाहिए। डीएम ने एसडीएम को विस्थापन के लिए प्रस्ताव जल्द भेजने को कहा, तब जाकर ग्रामीणों का आक्रोश शांत हुआ।