Dehradun News: AIIMS के एडिशनल प्रोफेसर समेत आठ पर मुकदमा, उपकरणों की खरीद में हुआ करोड़ों का घोटाला
Dehradun News अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। इस मामले में एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के अलावा उपकरण उपलब्ध कराने वाली दो कंपनियां तथा उनके अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित आपराधिक षड्यंत्र रचने धोखाधड़ी तथा लोक सेवक के लिए अनुचित लाभ प्राप्त करने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
By Jagran NewsEdited By: Abhishek PandeyUpdated: Thu, 24 Aug 2023 09:21 AM (IST)
जागरण संवाददाता, ऋषिकेश : अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया। इस मामले में एम्स के एक वरिष्ठ अधिकारी के अलावा उपकरण उपलब्ध कराने वाली दो कंपनियां तथा उनके अधिकारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम सहित आपराधिक षड्यंत्र रचने, धोखाधड़ी तथा लोक सेवक के लिए अनुचित लाभ प्राप्त करने संबंधी धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
इस मामले में 21 अगस्त को अपराध निरोधक शाखा देहरादून के एडिशनल एसपी सतीश कुमार राठी ने मुकदमा दर्ज कराया है। जिसमें बताया गया कि उपकरण खरीद में भारी वित्तीय अनियमितता की शिकायत के बाद सीबीआइ, अपराध निरोधक शाखा तथा एम्स के अधिकारियों ने 31 मार्च 2023 को जांच की थी।
जिसमें पता चला कि एम्स ऋषिकेश में उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण की खरीद के लिए आठ जनवरी 2019 से 22 फरवरी 2019 के बीच टेंडर प्रक्रिया की गई थी। जिसमें एम्स ऋषिकेश में कार्यरत माइक्रोबायोलाजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर बलराम जी ओमर को खरीद अधिकारी और समन्वयक नियुक्त किया गया था।
सीबीआइ जांच में यह बात सामने आई कि एम्स ऋषिकेश ने निविदा शर्तों को ताक पर रखते हुए कम बोली लगाने वाली आरोग्य इंटरनेशनल कंपनी से सात उन्नत वेसल सीलिंग उपकरण 55,38,312.70 रुपये प्रति यूनिट की दर से कुल 38,76,8188.93 रुपए में क्रय किए।
जबकि इससे पूर्व एम्स ऋषिकेश ने यही उपकरण 19,92,480 रुपये प्रति यूनिट के दर से क्रय किए थे। एक अन्य कंपनी मैसर्स रिया एजेंसीज से भी एम्स ऋषिकेश ने सात उन्नत वेसिल सीलिंग उपकरण की खरीद 54,82,852.79 प्रति यूनिट कुल 38,37,9969.53 रुपये में खरीदे।
सीबीआइ जांच में यह बात भी सामने आई कि मैसर्स रिया एजेंसी ने कभी किसी सरकारी तथा प्रतिष्ठित निजी संगठन को इस तरह के उपकरण उपलब्ध ही नहीं कराए थे। ना ही यह कंपनी निर्माता और अधिकृत वितरक है।जांच में यह भी पाया गया कि करोड़ों की लागत से खरीदे गए इन उपकरणों का उपयोग तीन वर्ष तक नहीं किया। इस खरीद में लगभग 6.57 करोड रुपये से अधिक की राशि का घोटाला किया गया।इस मामले में जांच में दोषी पाए जाने पर एम्स के माइक्रोबायोलाजी विभाग के एडिशनल प्रोफेसर डॉ. बलराम जी ओमर , मैसर्स आरोग्य इंटरनेशनल, सेंट्रल मार्केट, प्रशांत विहार, नई दिल्ली और उसके साझेदार सुमन वर्मा व विश्ववीर वर्मा निवासी पीतमपुरा, नई दिल्ली साथ ही मैसर्स रिया एजेंसीज, ट्रांसपोर्ट नगर, जोधपुर, राजस्थान और उसके पार्टनर निखिल कुमार निवासी महादेव रोड, नई दिल्ली, आदित्य कुमार सिंह निवासी जगसरा,हरदोई, उत्तर प्रदेश व एक अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है।
बताया जा रहा है कि बुधवार को सीबीआइ की टीम इस मामले की छानबीन के लिए एम्स ऋषिकेश पहुंची। सीबीआइ ने मुकदमें में नामजद एम्स के एडिशनल प्रोफेसर बलराम जी ओमर व एक अन्य को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया है। हालांकि इसकी अधिकारिक पुष्टि नहीं हो पाई थी।
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