Sanskaarshala: गेमिंग और शराब की लत में अंतर नहीं, इससे युवाओं को बचाने के लिए उठाएं कदम
Sanskaarshala उत्तरांचल विश्वविद्यालय के उत्तरांचल स्कूल आफ जर्नालिज्म एंड मास कम्युनिकेशन में सहायक प्रोफेसर स्मृति उनियाल का कहना है कि गेमिंग की लत और शराब की लत में ज्यादा अंतर नहीं है। इससे युवाओं को बचाने के लिए कदम उठाने होंगे।
By Jagran NewsEdited By: Sunil NegiUpdated: Fri, 07 Oct 2022 07:13 PM (IST)
देहरादून। Sanskaarshala: 21वीं सदी में डिजिटल मीडिया के बिना मानव जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। हस्तलिखित पत्रों से लेकर मैसेजिंग, लोकल फोन बूथ से लेकर अंतरराष्ट्रीय वीडियो कालिंग, व्यवसाय से लेकर व्यक्तिगत जीवन और शिक्षा से लेकर मनोरंजन तक, डिजिटल मीडिया ने मानव जीवन के हर पहलू को प्रभावित किया है। जिसके अच्छे और बुरे दोनों ही प्रभाव हैं।
गेमिंग और शराब की लत में अंतर नहीं
फेसबुक, ट्विटर वाट्सएप जैसी नेटवर्किंग साइटों के अलावा, आनलाइन गेमिंग की लत, एक नई लत बन गई है। मनोचिकित्सकों के अनुसार, गेमिंग की लत और शराब की लत में ज्यादा अंतर नहीं है। साथ ही गेमिंग को एक व्यसन के समान माना गया है जो युवा पीढ़ी के शारीरिक, मानसिक व सामाजिक विकास पर नकारात्मक असर डाल रही है।
3.5 प्रतिशत भारतीय किशोर इससे पीड़ित
इंडियन जर्नल आफ कम्युनिटी मेडिसिन एंड पब्लिक हेल्थ 2020 में प्रकाशित एक अध्ययन के अनुसार, लगभग 3.5 प्रतिशत भारतीय किशोर इंटरनेट गेमिंग डिसआर्डर (आइजीडी) से पीड़ित हैं। जिसके लिए विशेषज्ञ विस्तारित स्क्रीन समय को दोष देते हैं। गेमिंग की लत से युवाओं को बचाने के लिए अभिभावकों व शिक्षकों को कदम उठाने होंगे।अभिभावकों व शिक्षकों को उठाने होंगे कदम
यदि बच्चा दोस्तों और माता पिता के साथ अच्छे संबंध स्थापित नहीं कर पाता है और अधिकतर समय अकेला सिर्फ गेम खेलना पसंद करता है तो यकीनन बच्चे को गेमिंग की चपेट से बाहर निकालने की जरूरत है।
बाल मनोचिकित्सक से लें सहायता
ऐसी स्थिति में किसी बाल मनोचिकित्सक से सहायता लें। इसमें सीबीटी थेरेपी भी मदद कर सकती है। जिसे संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी भी कहा जाता है। यह एक मानसिक स्वास्थ्य परामर्श है, जो हर वक्त दिमाग में चल रही गेमिंग की दुनिया से बच्चे को बाहर निकालता है और बदलते हुए व्यवहार में सुधार लाने के लिए प्रेरित करता है। इसके साथ ही खेलने के लिए समय सीमा निर्धारित करें और फोन और अन्य गैजेट्स को बेडरूम से बाहर रखें। ताकि बच्चा सोने के समय पर न खेले।यह भी पढ़ें: Sanskaarshala: इंटरनेट मीडिया पर कौन कितना प्रभावशाली, यह आप पर निर्भर, सोच समझकर करें इन्फ्लुएंसर का चुनाव
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।आउटडोर खेलों के लिए करें प्रोत्साहित
यह सुनिश्चित करें की बच्चा व्यायाम सहित हर दिन अन्य गतिविधियों में व्यस्त रहे, इसके लिए आप उसे आउटडोर खेलों जैसे क्रिकेट-फुटबाल आदि खेलेने के लिए प्रोत्साहित करें, यह लंबे समय तक बैठने और आनलाइन खेलने के स्वास्थ्य जोखिमों को कम करेगा।- सुनिश्चित करें कि आपका बच्चा केवल अपनी उम्र के लिए रेट किए गए गेम खेल रहा है। बच्चे को समय और प्यार दें और समय-समय पर गेमिंग से होने वाले नुकसानों के बारे में अवगत कराते रहें।