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देहरादून में सुरक्षा की कमी उजागर: 7 महीने से बंद पड़े 115 सीसीटीवी कैमरे, भीषण हादसे ने दिलाया ध्यान

देहरादून शहर में 115 सीसीटीवी कैमरे पिछले 7 महीनों से बंद पड़े हैं। ओएनजीसी चौक पर हुए भीषण हादसे ने इस ओर ध्यान दिलाया है। निर्माण एजेंसियों की लापरवाही के कारण कैमरों की केबलें टूट गई हैं। पुलिस कैमरों से निगरानी करती है लेकिन बंद कैमरों पर चुप्पी साधे हुए है। इलेक्ट्रानिक इंफोर्स्मेंट को लेकर दून की व्यवस्था को सबक लेने की जरूरत है।

By Ankur Agarwal Edited By: Vivek Shukla Updated: Sat, 16 Nov 2024 11:22 AM (IST)
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मोथरोवाला चौक पर लगा सीसीटीवी कैमरा। जागरण
सुमन सेमवाल, देहरादून। शहर में पुलिस हर जगह उपस्थित नहीं रह सकती है, लेकिन अपराध या आपातकालीन घटना किसी भी जगह, कभी भी घट सकती है। ऐसी स्थिति में घटना की सच्चाई से पर्दा उठाने या अपराधियों को पकड़ने में शहर की तीसरी आंख यानि सीसीटीवी कैमरे अहम भूमिका निभाते हैं। जिस तरह पुलिस विभिन्न नाकों या चेकपोस्ट पर सक्रिय रहकर सुरक्षा व्यवस्था का परीक्षण करती है, उसी तरह बाकी के हिस्सों में कंट्रोल रूम में बैठकर पुलिस कर्मी सीसीटीवी कैमरों की मदद से आपराधिक गतिविधियों और कानून व्यवस्था की रियल टाइम निगरानी कर सकते हैं।

लिहाजा, अपराधों के निपटारे में इलेक्ट्रानिक इंफोर्स्मेंट (बिजली के उपकरणों के माध्यम से प्रवर्तन) की अहमियत बढ़ गई है। इस अहमियत को समझते हुए दून में स्मार्ट सिटी के तहत शभरभर में 674 कैमरों का जाल बिछाते हुए 235 करोड़ रुपये की लागत से इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर बनाया गया है। इसके बाद भी वर्तमान में 115 सीसीटीवी कैमरे अहम क्षेत्रों में पिछले 07 माह से बंद पड़े हैं।

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ऐसा किसी तकनीकी खराबी से नहीं हुआ है, बल्कि इसके पीछे की वजह सरकारी निर्माण एजेंसियों की लचर कार्यप्रणाली है। विभिन्न विकास कार्यों के दौरान हमारे इंजीनियर यह भांप ही नहीं पाते हैं कि जिस स्थल पर वह ताबड़तोड़ खोदाई करवा रहे हैं, वहां पर सीसीटीवी कैमरों की केबल डाली गई हैं। दरअसल, हमारी मशीनरी को तब किसी व्यवस्था की अहमियत का अहसास होता है, जब पानी सिर के ऊपर से निकल जाता है। सीसीटीवी कैमरों के मामले में भी यही हुआ।

दिशासूचक नहीं यहां तो अपनी मर्जी चलती है....देहरादून में तीन दिन के अंतराल में हादसों में नौ लोगों की मौत हो गई। सभी में हादसों का मुख्य कारण यातायात के नियमों की अनदेखी ही सामने आई है। लेकिन इसके बाद भी कोई सबक नहीं ले रहा है। न तो पुलिस प्रशासन की नींद टूटी रही और न ही वाहन चालकों की आदत सुधर रही है। हरिद्वार बाइपास रोड से आइएसबीटी वाइशेप फ्लाईओवर को जाने के लिए दिशासूचक लगाए गए हैं, संकेत के जरिये यह बताने का प्रयास किया गया है कि कहां को जाना है कहां को नहीं। लेकिन कोई नहीं मानता। सभी को जल्दी है। हादसों का डर नहीं। दिशासूचक सिर्फ संकेत भर बन गए हैं। ऐसी जिद को क्या कहेंगे।-अनिल डोगरा


सोमवार की आधी रात के बाद ओएनजीसी चौक पर जब तेज रफ्तार इनोवा कार की कंटेनर से टक्कर में 06 युवक-युवतियों की मौत हुई तो पुलिस को इलेक्ट्रानिक इंफोर्स्मेंट की याद आ गई। दुर्घटना के असल कारण तलाशने में जुटी पुलिस को पता चला कि युवाओं की इनोवा कार किशन नगर चौक तक नजर आ रही है, मगर इसके बाद क्या हुआ कुछ पता नहीं। क्योंकि, इसके बाद के कैमरे उस दिन काम ही नहीं कर रहे थे।

इसकी असल वजह की पड़ताल करने पर पता चला कि ओएनजीसी चौक ही नहीं, बल्कि शहरभर में 115 सर्विलांस कैमरे बंद पड़े हैं। जिसका कारण शहरभर में विकास कार्यों के नाम पर की गई बेतरतीब खोदाई है। निर्माण एजेंसियों के खोदाई के समय यह देखा ही नहीं कि जहां पर जेसीबी से काम किया जा रहा है, वहां किस तरह की लाइनें डाली गई हैं।

रात 11:00 बजे निरंजनपुर मंडी चौक पर कार की चेकिंग करती पुलिस।-जागरण


सुरक्षा के कारणों से स्मार्ट सिटी कंपनी ने कैमरों की लोकेशन को साझा नहीं किया है, लेकिन सभी प्रमुख क्षेत्रों में कैमरे बंद पड़े हैं। ऐसे में जब कोई कैमरा खराब होता है तो उसे दुरुस्त करने की प्रक्रिया के तहत अलग से आवेदन कर स्टेट डेटा सेंटर से रिमोट एक्सेस प्रदान किया जाता है। स्टेट डाटा सेंटर पर साइबर अटैक के बाद बदली व्यवस्था के चलते अब रिमोट एक्सेस के लिए अलग से अनुमति लेनी पड़ती है।

साइबर अटैक ने भी बदली कैमरों की दशा

राजधानी देहरादून में स्मार्ट सिटी के 674 कैमरों में से 536 कैमरे सर्विलांस से संबंधित हैं। सितंबर के अंतिम दोनों से लेकर अक्टूबर माह के आरंभ में उत्तराखंड का स्टेट डाटा सेंटर साइबर अटैक की चपेट में आया था। इस कारण सुरक्षा के लिहाज से सीसीटीवी कैमरों को बंद कर दिया गया था।

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साथ ही साइबर सुरक्षा नीति के नए मानकों के तहत स्मार्ट सिटी के इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर को रिमोट एक्सेस भी स्वतः नहीं दिया जा रहा है। जब ओएनजीसी चौक पर भीषण दुर्घटना हुई, तब इसके पीछे की असल वजह बयां करने में सक्षम सीसीटीव कैमरे बंद थे। खराब कैमरों पर तुरंत प्रतिक्रिया करने के लिए रिमोट एक्सेस की स्मार्ट सिटी के कंट्रोल सेंटर के पास नहीं था। लिहाजा, यह कार्रवाई अगले दिन सुबह 10 बजे के आसपास की जा सकी।

पुलिस करती है कैमरों से निगरानी, बंद कैमरों पर चुप्पी बड़ा सवाल

इलेक्ट्रानिक इंफोर्स्मेंट को लेकर दून की व्यवस्था को सबक लेने की जरूरत है। क्योंकि, ओएनजीसी हादसे के बाद जिस पुलिस को सीसीटीवी फुटेज की सबसे अधिक जरूरत थी, उसी के कार्मिक इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर में कैमरों से निगरानी करते हैं। ऐसे में बंद पड़े कैमरों को लेकर समय रहते आवश्यक कदम उठाए जाने चाहिए थे।

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