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PM Awas Yojana: उत्‍तराखंड की राजधानी देहरादून में हजारों लोगों को मिलेगा अपना घर, 11 हजार से अधिक ने किया आवेदन

PM Awas Yojana उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में 40 हजार से अधिक बस्तीवासियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत नए घर मिलेंगे। नगर निगम ने नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) को बताया है कि वर्ष 2016 से पहले नदियों के किनारे हुए अतिक्रमण को ध्वस्त कर पुनर्वास किया जा रहा है। इन बस्तियों से पहले ही 11 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त हो चुके हैं।

By Vijay joshi Edited By: Nirmala Bohra Updated: Fri, 11 Oct 2024 12:20 PM (IST)
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PM Awas Yojana: पीएम आवास योजना में 40 हजार बस्तीवासियों के पुनर्वास का दावा

जागरण संवाददाता, देहरादून। PM Awas Yojana: शहर में रिस्पना-बिंदाल समेत तमाम नदी-नालों के किनारे वर्ष 2016 से पहले से पसरे अतिक्रमण पर नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने नगर निगम से जवाब मांगा है। जिस पर नगर निगम ने सभी निर्माण ध्वस्त कर पुनर्वास का दावा किया है।

अगले सप्ताह निगम को जवाब दाखिल करना है, जिसमें सभी मलिन बस्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वासित करने दलील दी जा सकती है।   दून में वर्ष 2016 से पूर्व चिह्नित 129 मलिन बस्तियों में करीब 40 हजार घर हैं।

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वहीं, इन बस्तियों से प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पहले ही 11 हजार से अधिक आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं। इसके अलावा दून में बीते वर्षों के दौरान प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत एक हजार घर भी उपलब्ध नहीं कराए जा सके हैं। इस वर्ष की शुरुआत में एनजीटी के निर्देश पर रिस्पना के किनारे वर्ष 2016 के बाद किए गए निर्माण का सर्वे किया गया था। जिसमें कुल 524 अतिक्रमण पाए गए थे।

414 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई

89 अतिक्रमण नगर निगम की भूमि पर, जबकि 12 नगर पालिका मसूरी और 11 राजस्व भूमि पर पाए गए थे। दूसरी तरफ नगर निगम के नियंत्रण में रिवर फ्रंट डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के लिए जिस भूमि को एमडीडीए के नियंत्रण में दिया गया था, उस पर 414 से अधिक अतिक्रमण होने की बात सामने आई।

लंबी-चौड़ी कसरत के बाद आपत्तियों का निस्तारण कर चिह्नित में से करीब आधे निर्माण ध्वस्त कर एनटीजी को रिपोर्ट सौंप दी गई। जिस पर एनजीटी की ओर से नदी किनारे अतिक्रमण हटाने के दौरान बेघर हुए परिवारों के लिए की व्यवस्था के संबंध में पूछा गया। जिस पर नगर निगम ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास करने की बात कही।

अब एनजीटी की ओर से देहरादून में रिस्पना-बिंदाल समेत तमाम नदियों के किनारे वर्ष 2016 से पहले के अतिक्रमण पर जवाब मांगा गया। हालांकि, इस पर नगर निगम को 15 अक्टूबर को जवाब दाखिल करना है। निगम की ओर से सभी बस्तियों को प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत पुनर्वास करने की बात कही जा रही है। हालांकि, यह बात व्यवहारिक रूप से गले नहीं उतर पा रही है। जहां बीते नौ वर्षों में दून में एक हजार आवास भी आवंटित नहीं किए जा सके हैं।

यहां पीएम आवास योजना के तहत बेहद कम फ्लैट बनाए जा सके हैं। वर्तमान में निगम के पास 11 हजार से अधिक आवेदन पहुंच चुके हैं, ऐसे में बड़ी संख्या में बस्तीवासियों के लिए आवास तैयार होना संभव नजर नहीं आ रहा है।

मुख्य सचिव ने भी दिए हैं बस्तियों के पुनर्वास के निर्देश

कुछ समय पूर्व ही मुख्य सचिव राधा रतूड़ी ने स्लम फ्री उत्तराखंड को लेकर बैठक की थी। जिसमें मुख्य सचिव ने कहा कि मलिन बस्तियों में निवासरत परिवारों के जीवन स्तर में सुधार, मलिन बस्तियों के विनियमितीकरण और पुनरुद्धार, पुनर्वास की कार्ययोजना पर कार्य किया जाएगा।

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उन्होंने मलिन बस्तियों में सुधार के लिए विभिन्न राज्यों के माडल पर किए गए अध्ययन की रिपोर्ट भी प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना अथवा राज्य में प्रचलित अन्य योजनाओं का लाभ प्रदान करते हुए मलिन बस्तियों के निवासियों के पुनर्वास कार्ययोजना तैयार करने को कहा।

देहरादून में बने गिनती के घर

पीएम आवास योजना के अंतर्गत दून में ब्रह्मपुरी फेज-दो में 421, काठबंगला में 148, खाला बस्ती में 80, ब्रह्मपुरी फेज एक में 240, राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27, शांति कुष्ठ आश्रम में 28, रोटरी कुष्ठ आश्रम में 34 और चकशाहनगर में 160 आवास प्रस्तावित थे। इनमें से काठबंगला में 56, ब्रह्मपुरी फेज-एक में 56, राम मंदिर कुष्ठ आश्रम में 27, शांति कुष्ठ आश्रम में 28 व रोटरी आश्रम में 34 आवास लगभग तैयार हो गए, इनमें से भी कुछ का आवंटन नहीं हो सका है।

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