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Dehradun Zoo: वन्यजीवों को ठंड से बचाने को विशेष प्रबंध, दिया जा रहा अजवाइन-हींग का पानी, कंबल में छिपे सांप

Dehradun Zoo राज्य में कड़ाके की सर्दी का प्रभाव सामान्य जनजीवन के साथ वन्यजीवों पर भी पड़ रहा है। ठंड को देखते हुए देहरादून जू प्रशासन ने यहां रखे गए पशु-पक्षियों को ठंड से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Nirmala BohraUpdated: Fri, 06 Jan 2023 09:28 AM (IST)
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Dehradun Zoo: पशु-पक्षियों को ठंड से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

जागरण संवाददाता, देहरादून: Dehradun Zoo: राज्य में कड़ाके की सर्दी का प्रभाव सामान्य जनजीवन के साथ वन्यजीवों पर भी पड़ रहा है। इसको देखते हुए देहरादून में मालसी स्थित चिड़ियाघर (देहरादून जू) प्रशासन ने यहां रखे गए पशु-पक्षियों को ठंड से बचाने के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।

खानपान के मेन्यू में बदलाव करने के साथ ही हीटर से उनके बाड़ों (वासस्थल) के तापमान को नियंत्रित किया जा रहा है। इसके अलावा बाड़ों के ऊपर पराली और जमीन पर कंबल बिछाए गए हैं। बाड़ों के तापमान की पल-पल की जानकारी रखी जा रही है, इसके लिए बाड़ों में थर्मामीटर लगाए गए हैं।

हिरनों को गुड़ के साथ अजवाइन और हींग का पानी

देहरादून जू के वन क्षेत्राधिकारी मोहन सिंह रावत ने बताया कि ठंड को देखते हुए हिरनों की डाइट में गुड़ शामिल किया गया है, जिससे उनका शरीर अंदर से गर्म रहे। गुड़ की तासीर गर्म होती है और हिरन इसे आसानी से खा भी लेते हैं।

इसके साथ ही हिरनों को अजवाइन और हींग मिला पानी उबालकर दिया जा रहा है। जो जानवर अंडे खा सकते हैं, उन्हें सुबह-शाम खाने में अंडे दिए जा रहे हैं। इसके साथ ही पशु-पक्षियों के बाड़े को गर्म रखने के लिए छत पर पराली डाली गई है।

मकाऊ के लिए ड्राई फ्रूट

चिड़ियाघर में सबसे अलग डाइट मकाऊ की है। यहां दो मकाऊ हैं, जिन्हें खाने में अखरोट, काजू आदि ड्राई फ्रूट दिए जाते हैं। दक्षिण अमेरिका के जंगलों में पाए जाने वाले लाल और नीले रंग के मकाऊ तोतों की प्रजातियों में सबसे बड़े तोते हैं। ये मनुष्य की आवाज की हूबहू नकल कर सकते हैं। इनका वजन दो किलो तक होता है। मकाऊ सूरज की पहली किरण के साथ ही उठ जाते हैं और चिल्लाना शुरू करते हैं। इनकी चोंच बहुत कठोर होती है।

कंबल में छिपे सांप, पर्यटक निराश

शीतकाल में सांप सुप्तावस्था में रहना पसंद करते हैं। इसके चलते यहां आ रहे लोग इन दिनों सांप देखने से वंचित हैं। चिड़ियाघर प्रशासन ने सांपों के बाड़े में कंबल के साथ बोरी के भीतर लकड़ी का बुरादा भरकर रखा है, जिससे सांपों को रहने के लिए उचित तापमान मिल सके। ठंड से बचने के लिए सांप दिनभर कंबल और बुरादे के बीच छिपे रहते हैं।

चिड़ियाघर में हैं ये वन्यजीव

चीतल, काकड़, घुरल, सांभर, गुलदार, जंगली मुर्गा, उल्लू, तोता, बाज, बाजीगर, कछुआ, मोर, लवबर्ड, कॉकटील, आस्ट्रिच, सुनहरा तीतर, चांदी तीतर, अफ्रीकन ग्रे पैरट, संकनूर, ईमू, मकाऊ, कलीज फीजेंट, लेडी एमहरेस्ट फीजेंट, मगरमच्छ, गिद्ध, प्लम हेडेड पैराकीट।

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