महाकुंभ के आयोजन के लिए 5000 करोड़ की मदद का किया अनुरोध
प्री-बजट कंसल्टेशन संबंधी बैठक में उत्तराखंड के पर्यटन तीर्थाटन एवं संस्कृति मंत्री मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति से संबंधित विषयों पर चर्चा की।
By Sunil NegiEdited By: Updated: Sat, 22 Jun 2019 09:30 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। विज्ञान भवन नई दिल्ली में केन्द्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमन की अध्यक्षता में आयोजित “प्री-बजट कंसल्टेशन” संबंधी बैठक में उत्तराखंड के पर्यटन, तीर्थाटन एवं संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज ने प्रदेश की वित्तीय स्थिति एवं अर्थव्यवस्था से संबंधित विषयों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हरिद्वार में 2021 में आयोजित होने वाले महाकुंभ के लिए अब लगभग 1 वर्ष 7 माह का ही समय शेष है, जिसके दृष्टिगत कुम्भ मेले के आयोजन से संबंधित स्थायी प्रकृति के कार्यों की स्वीकृतियां प्राथमिकता के आधार पर निर्गत की जानी आवश्यक होगी, ताकि कुम्भ मेले के आयोजन से पूर्व ही माह अक्टूबर/नवम्बर 2020 तक समस्त कार्य पूर्ण कराया जाना सम्भव हो सके। हरिद्वार में आगामी महाकुम्भ मेला का अयोजन माह जनवरी 2021 के प्रथम सप्ताह से प्रारम्भ हो जायेगा। इस महत्वपूर्ण आयोजन के लिए उन्होंने 5000 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता उपलब्ध कराने का अनुरोध किया।
कैबिनेट मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड को 38वें राष्ट्रीय खेल के आयोजन का अवसर प्रदान किया गया है। जिसे वर्ष 2021 में आयोजित किया जाना है। राष्ट्रीय खेलों में 38वें संस्करण के 39 खेल विधाओं में खेल प्रतियोगितायें आयोजित की जाएंगी। खेलों के आयोजन के लिए परिसम्पतियों के निर्माण में समय लगेगा। इसलिए राष्ट्रीय खेलों को राज्य में सफलतापूर्वक आयोजित किए जाने एवं अवस्थापना विकास के लिए 682 करोड़ रुपये की धनराशि वर्ष 2019-20 में उपलब्ध कराई जाए।
सतपाल महाराज ने बताया कि राज्य की दुर्गम भौगोलिक स्थिति के दृष्टिगत निर्माण सामग्री को निर्माण स्थल तक पहुचाने में ढुलान आदि पर अत्याधिक व्यय होने के कारण हिमालयी राज्यों के लिए प्रधानमंत्री आवास योजनान्तर्गत आवास निर्माण के लिए प्रति लाभार्थी 1.30 लाख रुपये को बढ़ाकर प्रति लाभार्थी 2 लाख रुपये की सहायता राशि का प्रावधान किया जाए। साथ ही प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण के लाभार्थी परिवार के लिए 30 अतिरिक्त मानव दिवस स्वीकृत कर युगपतिकरण के अन्तर्गत मनरेगा के तहत अकुशल श्रमांश के दिवसों को 95 दिन से बढ़ाकर 125 दिन किया जाये ।
उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी नरेगा में पर्वतीय क्षेत्र होने के कारण उत्तराखंड में सामग्री ढुलान अत्यन्त मंहगा होता है, जिससे दूरस्थ क्षेत्रों में पहुचने पर सामग्री की वास्तविक लागत में काफी बढ़ोत्तरी हो जाती है। इस कारण महात्मा गांधी नरेगा अन्तर्गत टिकाऊ प्रवृत्ति के कार्य कराने में कठिनाई होती है। इसलिऐ पर्वतीय राज्यों के लिए श्रम सामग्री अनुपात 60:40 के बजाय 50:50 किया जाना गुणवत्तापूर्ण स्थायी परिसम्पत्तियों के निर्माण में सहायक सिद्व होगा।
सतपाल महाराज ने यह भी अनुरोध किया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के अन्तर्गत वर्तमान में योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार पर्वतीय राज्यों में 250 से अधिक आबादी की पात्र बसावटों को ही संयोजित किए जाने का लक्ष्य है, जबकि पर्वतीय राज्य की भौगोलिक परिस्थितियों एवं जनसख्यां के विरल घनत्व को दृष्टिगत रखते हुए योजनान्तर्गत 250 के स्थान पर 150 किया जाय।
श्री सतपाल महाराज ने यह भी सुझाव दिया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का नाम प्रधानमंत्री संपर्क सड़क योजना रखा जाये, जिससे रोपवे सेक्टर में भी इसका लाभ उठाया जा सके। क्योंकि गर्मी के दौरान सभी पहाड़ी राज्यों में पर्यटकों की भारी आवाजाही होती है। इससे लंबे ट्रैफिक जाम और भारी प्रदूषण का खतरा पैदा होता है। इसके अलावा, पहाड़ियों में रोपवे लोगां को माल ढोने तथा परिवहन का बहुत अच्छा साधन हो सकता है, जो यात्रा के समय को कम कर सकता है और साथ ही दुर्घटनाओं में भी कमी ला सकता है, उन्होंने भारत सरकार से रोपवे सेक्टर में गौरीकुण्ड से केदारनाथ, नैनीताल रोपवे, गोविन्दघाट से हेमकुंड के लिए एक अलग केंद्र सहायतित योजना शुरू करने का अनुरोध किया।
सतपाल महाराज ने कहा कि उत्तराखंड राज्य में वर्तमान में कुल 7797 ग्राम पंचायतें है, जिसमें 1599 ग्राम पंचायतों ऐसी हैं जिनके पास अपना कोई भी भवन नहीं है। पंचायत भवन ग्रामीण क्रियाकलापों का महत्वपूर्ण केंद्र है। भविष्य में ग्राम पंचायतों को ई-पंचायत के रूप में भी विकसित किया जाना है तथा सभी पंचायतों का डिजिटलाईजेशन भी किया जाना है। पंचायतीराज मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा एक पंचायत भवन की लागत 20 लाख रुपये निर्धारित की गयी है। इस प्रकार 1449 पंचायत भवनों पर 28980 लाख रुपये की आवश्यकता होगी, जिसे चरणबद्ध रूप से तीन चरणों में निर्मित किये जाने का प्रस्ताव है। प्रथम चरण के रूप में वित्तीय वर्ष 2019-20 में 483 पंचायत भवनों का निर्माण का किया जायेगा, जिस पर एक वर्ष में 20 लाख रुपये प्रति पंचायत भवन की दर से 483 पंचायत भवनों के निर्माण के लिए कुल 9660 रुपये लाख की आवश्कता होगी।उन्होंने कहा कि पहाड़ी राज्यों में जनसंख्या का घनत्व कम होता है तथा क्षेत्रफल ज्यादा है, जहां तक उत्तराखण्ड का सवाल है राज्य से नेपाल तथा चीन की अंतरराष्ट्रीय सीमाएं जुड़ी हुई है, तथा इन क्षेत्रों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास अन्य क्षेत्रों के मुकाबले कम हुआ है, जिसके कारण यहां से लोगों का पलायन हो रहा है, जो सुरक्षा की दृष्टि से अनुकूल नहीं है। अतः हिमालयी राज्य के लिए सीमांत क्षेत्र विकास कार्यक्रम के अर्न्तगत भारत सरकार द्वारा दिये जाने वाले आंवटन को बढ़ाया जाए।
कैबिनेट मंत्री ने प्रदेश में समग्र शिक्षा योजना में राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा के अन्तर्गत संचालित विद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के वेतन की संपूर्ण धनराशि का वहन पूर्व की भांति भारत सरकार एवं राज्य सरकार द्वारा 90:10 के अनुपात में किये जाने के साथ ही भारत सरकार द्वारा वर्तमान में वृद्वावस्था पेंशन प्रति लाभार्थी 200 रुपये की दर से दिया जा रहा है, जिसे बढ़ाकर अधिकतम रूपये 1000 या कम से कम 500 रूपये किये जाने का भी अनुरोध किया है। बैठक में केंद्रीय वित्त और कॉरपोरेट कार्य राज्यमंत्री अनुराग सिंह ठाकुर व अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, वित्तमंत्री एवं केंद्र व राज्यों के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे। यह भी पढ़ें: मोदी सरकार के बजट से उत्तराखंड को भी हैं ये बड़ी उम्मीदें, जानिएयह भी पढ़ें: 108 के पूर्व कर्मचारियों संग उपवास पर बैठे हरीश रावत, सरकार पर लगाए आरोप लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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