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Demographic change: 21 साल में देहरादून के तीन दर्जन से ज्यादा इलाकों की बदल गई तस्वीर

गुजरे 21 सालों में उत्‍तराखंड की अस्‍थायी राजधानी देहरादून के तीन दर्जन से ज्यादा इलाकों में जनसांख्यिकीय बदलाव देखने को मिला है। इस दौरान इन क्षेत्रों में समुदाय विशेष की आबादी दो से ढाई गुणा तक बढ़ गई है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Wed, 29 Sep 2021 08:45 AM (IST)
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उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून में भी खासा जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) देखने को मिल रहा है।
जागरण संवाददाता, देहरादून। उत्तराखंड की अस्थायी राजधानी देहरादून में भी खासा जनसांख्यिकीय बदलाव (डेमोग्राफिक चेंज) देखने को मिल रहा है। एक अनुमान के मुताबिक गुजरे 21 सालों में जनपद के तीन दर्जन से ज्यादा इलाकों में समुदाय विशेष की आबादी दो से ढाई गुणा तक बढ़ी है। इनमें तकरीबन 50 फीसद क्षेत्र शहर और उसके आसपास के हैं। यद्यपि, देहरादून के सांप्रदायिक सौहार्द की मिसाल दी जाती रही है, लेकिन राज्य सरकार इस बात को लेकर चिंतित है कि भविष्य में यदि सामाजिक संतुलन बिगड़ता है तो चुनौती पेश आ सकती है। ऐसे में प्रशासन ने उन इलाकों पर नजर रखनी शुरू कर दी है, जहां पिछले कुछ सालों से जमीन की खरीद-फरोख्त ज्यादा हो रही है।

वर्ष 2001 और वर्ष 2011 की जनगणना के आकड़ों पर निगाह डालें तो दस साल के इस वक्फे में जनपद में समुदाय विशेष की आबादी 40 से 45 फीसद तक बढ़ी। जबकि इस अवधि में अन्य आबादी में 25 से 30 फीसद की बढ़ोत्तरी हुई है। वर्ष 2021 की जनगणना अभी हुई नहीं है, लेकिन जो तस्वीर नजर आती है, उसमें आबादी के इस अनुपात में काफी अंतर आने का अनुमान लगाया जा रहा है। हालांकि, सही स्थिति जनगणना के आंकड़े सार्वजनिक होने पर सामने आएगी।

राज्य गठन के बाद यानी पिछले 21 सालों की स्थिति देखें तो जिले में जनसंख्या के अनुपात में काफी बदलाव आया है। यहां समुदाय विशेष की जनसंख्या दो से ढाई गुणा तक बढ़ी है, जबकि अन्य में 50 से 60 फीसद तक की बढ़ोत्तरी दर्ज हुई है। दर्जनभर ऐसे भी इलाके हैं, जहां इस अनुपात में बड़ा अंतर आया है। हालांकि, कहीं पर भी किसी के पलायन जैसी स्थितियां सामने नहीं आईं हैं। इसे दून के सांप्रदायिक सौहार्द की मजबूती के रूप में देखा जा रहा है।

देहरादून नगर निगम और इससे सटे अर्द्ध शहरी क्षेत्रों में जनसांख्यिकीय बदलाव सबसे अधिक देखने को मिल रहा है। यहां समुदाय विशेष की बहुलता वाले सर्वाधिक डेढ़ दर्ज इलाके हैं। इसके अलावा विकासनगर और सहसपुर क्षेत्र के दर्जनभर इलाकों और डोईवाला व ऋषिकेश के आधा दर्जन इलाकों में ऐसी तस्वीर नजर आ रही है। इन इलाकों में आबादी बढऩे वजह तलाशें तो समुदाय विशेष के लोग मैदानी इलाकों खासकर बिजनौर और सहारनपुर से व्यावसाय के लिए यहां आए। जबकि अन्य लोगों ने पर्वतीय जिलों में पलायन कर रोजगार और शिक्षा के लिए इस तरफ कदम बढ़ाए।

इन क्षेत्रों में बदला आबादी का अनुपात

  • देहरादून नगर क्षेत्र: भगत सिंह कालोनी, आजाद नगर, कारगी ग्रांट, ब्राह्मणवाला, टर्नर रोड, भारूवाला ग्रांट, मोहब्बेवाला, निरंजनपुर, ब्रह्मपुरी, अधोईवाला, शिमला बाईपास, माजरा, सेवला कलां, तेलपुरा, भुड्डी, नवादा, बंजारावाला, लक्खीबाग।
  • विकासनगर क्षेत्र: सहसपुर, खुशहालपुर, बैरागीवाला, ढकरानी, कुल्हाल ढालीपुर, जीवनगढ़, अंबाड़ी, सभावाला, हसनपुर जाटवाला।
  • ऋषिकेश व डोईवाला क्षेत्र: रायवाला, छिद्दरवाला, गुमानीवाला, आइडीपीएल, बुल्लावाला, झबरावाला, तेलीवाला, बंजारावाला, कुड़कावाला, जौलीग्रांट, केशवपुरी बस्ती।
देहरादून के एसएसपी जन्मेजय सिंह खंडूरी का कहना है कि जनसांख्यिकीय बदलाव और इसके कारण पलायन की जांच के लिए सभी थानों को निर्देशित किया गया है, कि वह अपने स्तर पर जांच करें। इसके अलावा एक वृहद स्तर पर सत्यापन अभियान चलाया जाएगा। अगर कहीं भूमि की संदिग्ध तौर पर खरीद फरोख्त की बात सामने आती है तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

देहरादून के जिलाधिकारी डा. आर राजेश कुमार का कहना है कि जनसांख्यिकीय बदलाव के मामले में जो भी इनपुट मिलेंगे, उसके अनुसार कदम उठाया जाएगा। साथ ही सरकार के दिशा-निर्देश के अनुरूप निगरानी व्यवस्था बनाई जा रही है।

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