डेंगू में खुद न बनें डॉक्टर, भय और भ्रम से भी बचें Dehradun News
स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम ने लोगों को डेंगू से बचाव के लिए सावधानी बरतने की अपील की है। यदि किसी में डेगू की पुष्टि होती है तो परिवार के अन्य सदस्य अपनी जांच अवश्य कराएं।
By Edited By: Updated: Sat, 07 Sep 2019 08:15 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम ने लोगों को डेंगू से बचाव के लिए सावधानी बरतने की अपील की है। इसे लेकर किसी भी प्रकार का भ्रम न रहे इसके लिए दोनों महकमों के अधिकारी शुक्रवार को एक मंच पर आए। महापौर सुनील उनियाल गामा ने जहां डेगू से पार पाने के लिए नगर निगम के इंतजामों की जानकारी दी, तो वहीं मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए क्या-क्या कदम उठाए हैं।
नगर निगम में आयोजित प्रेस वार्ता में महापौर ने बताया कि नगर निगम की ओर से सभी वार्डो में फॉगिंग की जा रही है। जहां भी मरीज में डेंगू की पुष्टि होती है, वहां सघन रूप से फॉगिंग कराई जाती है। सीएमओ ने कहा कि यदि किसी व्यक्ति को बुखार है तो वह नजदीकी चिकित्सक से परामर्श के बाद ही कोई दवा ले। यदि परिवार में किसी सदस्य में डेगू की पुष्टि होती है, तो परिवार के अन्य सदस्य भी अपनी जांच अवश्य कराएं। कहा कि डेंगू में आराम बहुत जरूरी है। जरूरत पड़ने पर ही अस्पताल में भर्ती होना चाहिए। उन्होंने कहा कि प्लेटलेट्स 25000 से नीचे होने पर ही चढ़ाए जाने चाहिए।
उन्होंने बताया कि दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के अलावा गांधी नेत्र चिकित्सालय व कोरोनेशन अस्पताल में भी एलाइजा जांच की सुविधा है। ऋषिकेश में भी मरीजों को एलाइजा जांच के लिए मशीन लगाई गई है। सीएचसी रायपुर में भी जल्द जांच शुरू की जाएगी। आरोग्यधाम अस्पताल के एमडी डॉ. विपुल कंडवाल ने कहा कि डेंगू को लेकर लोगों में भय व भ्रम है, जबकि इस बीमारी से डरने वाली कोई बात नहीं है। बताया कि बुखार आने पर कुछ लोग दवा के अलावा पपीता के पत्ते का जूस और बकरी का दूध पी रहे हैं। इससे उन्हें डिहाइड्रेशन की दिक्कत हो रही है। इसलिए स्वयं डॉक्टर न बनें। इस दौरान मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कैलाश जोशी, डॉ. महेश भट्ट, डॉ. एसके सिंह आदि भी मौजूद रहे।
सावधानी बरतें, सजग रहें
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. महेश भट्ट का कहना है कि डेंगू को लेकर सजग रहने की आवश्यकता है। लोगों को चाहिए कि हाथ, पैर और गले को पूरी तरह से कवर करें। फुल स्लीव्स वाले कपड़े पहनें। अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने व पानी जमा नहीं होने देने से बीमारियों से बचा जा सकता है।
नगर निगम के पास 108 फॉगिंग मशीन
मुख्य नगर स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. कैलाश जोशी ने बताया कि नगर निगम के पास 108 फॉगिंग मशीन हैं। इनमें 102 मशीनें छोटी और छह बड़ी मशीनें हैं। इनसे निरंतर फॉगिंग की जा रही है। घर-घर जाकर डेंगू मच्छर के लार्वा का सर्वे भी किया जा रहा है। जिन घरों मे मच्छर का लार्वा अधिक मिल रहा है उनका चालान काटा जा रहा है।
दून में 15, टिहरी में चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि
डेंगू का कहर थम नहीं रहा है। आए दिन डेंगू के नए मामले सामने आ रहे हैं। शुक्रवार को जनपद देहरादून में 15 और टिहरी में चार मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। राज्य में अब तक 1132 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इनमें सबसे अधिक 755 मरीज देहरादून से हैं। वहीं नैनीताल जनपद से अब तक 310, हरिद्वार में 39, ऊधमसिंह नगर में 14, टिहरी गढ़वाल में 13 और पौड़ी में एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है।
बता दें, देहरादून में अब तक सात मरीजों की मौत भी हो चुकी है। यह अलग बात है कि विभाग दो मौत की ही पुष्टि कर रहा है। डेंगू के बढ़ते प्रकोप से सरकारी तंत्र के भी पसीने छूट रहे हैं। डेंगू के वार पर प्रहार करने को महकमों को कोई ठोस उपाय सूझ नहीं रहा है। हालांकि विभागीय अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि बीमारी की रोकथाम व उपाय के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। वहीं प्रभावित क्षेत्रों में भी टीमें लगातार दौरा कर रही हैं। घर-घर पहुंचकर डेंगू मच्छर के लार्वा का सर्वे किया जा रहा है। लोगों को अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने व पानी एकत्र नहीं होने देने के लिए जागरूक किया जा रहा है। नगर निगम भी निरंतर फॉगिंग कर रहा है। यही नहीं, जिन घरों से मच्छर का लार्वा अधिक मात्र में मिल रहा है, उनका चालान किया जा रहा है। शुक्रवार को भी स्वास्थ्य विभाग व नगर निगम की टीमों ने दून में सपेरा बस्ती, आमवाला तरला, केवल विहार आदि क्षेत्रों में निरीक्षण किया। जिन घरों में मच्छर का लार्वा मिला, उसको मौके पर ही नष्ट किया गया।डेंगू को लेकर कठघरे में निजी पैथोलॉजी लैबयदि आपने किसी निजी लैब से डेंगू की जांच कराई है तो रिपोर्ट देखकर घबराइए मत, क्योंकि यह जांच रिपोर्ट गड़बड़ भी हो सकती है। क्योंकि, कई लैब संचालक मरीजों की जेब ढीली करने के लिए न सिर्फ उन्हें जांच कराने के लिए मजबूर कर रहे हैं, बल्कि जांच रिपोर्ट भी गलत दे रहे हैं। यानी जिस मरीज को डेंगू है ही नहीं, उसको भी डेंगू का खौफ दिखाया जा रहा है। जानकार मानते हैं कि इसके लिए कहीं न कहीं स्वास्थ्य महकमा भी जिम्मेदार है। कारण ये कि निजी लैब में क्वालिटी कंट्रोल की कोई व्यवस्था नहीं है। शहर में आए दिन नए लैब खुल रहे हैं। पर इनकी जांच की जहमत स्वास्थ्य महकमा नहीं उठा रहा। इसका खामियाजा मरीज को भुगतना पड़ रहा है।डॉ. एसके गुप्ता (मुख्य चिकित्साधिकारी) का कहना है कि शहर के तीन प्रमुख अस्पतालों में डेंगू की जांच निश्शुल्क की जा रही है। दून अस्पताल के अलावा कोरोनेशन व गांधी नेत्र चिकित्सालय में भी जांच की जा रही है। ऐसे में कहीं और जांच कराने के बजाय सरकारी अस्पताल में मुफ्त जांच कराएं। उक्त प्रकरण में यदि कोई लिखित शिकायत मिलती है तो कार्रवाई की जाएगी।केस 1दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नगर निगम के एक बड़े अधिकारी जांच के लिए पहुंचे। पिछले कई दिन से उनकी तबीयत नासाज है। ताज्जुब ये कि वह पहले दो अलग-अलग लैब में जांच करा चुके थे। दोनों ही जगह रिपोर्ट भिन्न आई। एक में डेंगू पॉजीटिव बताया गया और एक में निगेटिव। इससे परेशान वह इलाज के लिए दिल्ली जाने की तैयारी में थे, पर एक अन्य अधिकारी ने उन्हें दून अस्पताल जाने की सलाह दी। यहां उनकी दोबारा जांच कराई गई है। डिप्टी एमएस डॉ. एनएस खत्री के अनुसार इस स्थिति में मरीजों में बिना वजह भ्रम पैदा हो रहा है।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में डेंगू की चपेट में पहाड़ और मैदान, सिस्टम के इंतजाम धड़ामकेस 2कोरोनेशन अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. एनएस बिष्ट ने जब एक मरीज की बीमारी की हिस्ट्री ली तो वह अचरज में पड़ गए। रिपोर्ट में डेंगू व टाइफाइड पॉजीटिव था। उन्होंने मरीज को दोबारा जांच कराने का परामर्श दिया। इस बार सरकारी अस्पताल की लैब से जांच कराई गई। इसमें न डेंगू पॉजीटिव मिला और न ही टाइफाइड। वहीं एक दिन बाद एक और मरीज जांच के लिए पहुंचा। इस मरीज को भी निजी लैब ने डेंगू पॉजीटिव बताया था। लेकिन मरीज को ना ही तेज बुखार था और ना ही डेंगू के कोई लक्षण।यह भी पढ़ें: उत्तराखंड में डेंगू हुआ विकराल, मरीजों का आंकड़ा एक हजार पार
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