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उत्तराखंड में नहीं थम रहा डेंगू का कहर, 275 और लोगों में हुई पुष्टि

उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप थम नहीं रहा है। ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 275 और लोग डेंगू की चपेट में आए हैं। इनमें भी सबसे अधिक 140 मरीज देहरादून से हैं।

By BhanuEdited By: Updated: Thu, 10 Oct 2019 09:01 AM (IST)
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उत्तराखंड में नहीं थम रहा डेंगू का कहर, 275 और लोगों में हुई पुष्टि
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप थम नहीं रहा है। अक्टूबर का दूसरा सप्ताह भी बीतने को है और वातावरण में ठंड दस्तक दे चुकी है। इसके बावजूद डेंगू की बीमारी फैलाने वाले एडीज मच्छर की सक्रियता बढ़ती ही जा रही है। स्थिति यह कि प्रदेश में अब डेंगू के मरीजों का आंकड़ा सात हजार को भी पार कर गया है। 

ताजा रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में 275 और लोग डेंगू की चपेट में आए हैं। इनमें भी सबसे अधिक 140 मरीज देहरादून से हैं। हरिद्वार में 43, नैनीताल में 37, टिहरी में 34, उधमसिंहनगर में 18 व अल्मोड़ा में तीन मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। 

यही नहीं डेंगू का मच्छर अब तक 12 से अधिक मरीजों की जान भी लील चुका है। हालांकि स्वास्थ्य महकमा अपने दस्तावेजों में डेंगू से मरने वाले मरीजों की संख्या महज आठ बता रहा है। डेंगू के बढ़ते मामलों को देख स्वास्थ्य महकमा हलकान है। विभागीय अधिकारियों को सूझ नहीं रहा कि पिछले तीन माह से भी अधिक समय से कहर बरपा रहे मच्छर की सक्रियता को कम करने के लिए क्या उपाय अमल में लाये जाएं। 

इस बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए अब तक की सभी तैयारियां और  इंतजाम धड़ाम ही साबित हुए हैं। मैदान में ही नहीं, बल्कि पहाड़ में भी डेंगू का मच्छर जमकर कहर बरपा रहा है। 

बात अगर जनपदवार करें तो पिछले तीन माह में देहरादून में सबसे ज्यादा डेंगू के मरीज सामने आए हैं। मरीजों की संख्या बढकऱ 4114 हो गई है। वहीं नैनीताल में भी 2121 डेंगू के मरीज अब तक सामने आ चुके हैं। इसके अलावा उधमसिंहनगर में 382, हरिद्वार में 314, टिहरी में 97, अल्मोड़ा में 20, पौड़ी में 12, रुद्रप्रयाग में छह, चमोली व बागेश्वर में तीन-तीन तथा चंपावत में दो मरीजों में अब तक डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। 

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कुल मिलाकर डेंगू का डंक गहराता ही जा रहा है। ऊंची चोटियों पर हिमपात होने से मैदानी इलाकों में भी सुबह व शाम को ठंड की दस्तक हो चुकी है। इसके बाद भी एडीज मच्छर निष्क्रिय नहीं हो रहा है। चिकित्सकों का कहना है कि वातावरण में पारा का स्तर लुढ़कने के साथ ही डेंगू मच्छर की सक्रियता भी स्वत: ही कमजोर पड़ जाती है। इस बार ऐसा भी नहीं हो रहा है। अगर स्थिति यही रही तो आने वाले दिनों में भी डेंगू के और नए मामले सामने आ सकते हैं।

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