उत्तराखंड में मौसम के बदलते रुख के बाद भी मच्छर बलवान, पढ़िए पूरी खबर
डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही है।
By Edited By: Updated: Sat, 21 Sep 2019 02:37 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। डेंगू की रोकथाम और बचाव के लिए किए जा रहे इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग की चिंता भी लगातार बढ़ती जा रही है। मौसम का बदलता रुख भी विभाग का साथ नहीं दे रहा है। क्योंकि सुबह और रात को ठंडक का एहसास होने के बाद भी एडीज मच्छर की सक्रियता कम नहीं हो रही है। शुक्रवार को भी प्रदेश में 237 और लोगों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें सबसे अधिक 165 मरीज देहरादून से हैं। जबकि नैनीताल में 68, बागेश्वर में तीन और चंपावत में एक और मरीज की रिपोर्ट आई पॉजीटिव आई है। इस तरह राज्य में डेगू पीड़ित मरीजों की संख्या बढ़कर 3846 हो गई है।
देहरादून जनपद में डेगू इस बार खूब कहर बरपा रहा है। स्थिति यह कि डेंगू के मामलों में पिछले सालों के सभी रिकार्ड पीछे छूट गए हैं। यहां पर डेगू मरीजों का आंकड़ा 2434 तक पहुंच गया है। वहीं नैनीताल जनपद में भी डेंगू मच्छर की सक्रियता बढ़ती जा रही है। यहां पर अब डेगू के मरीजों की संख्या बढ़कर 1134 हो गई है। इसी तरह हरिद्वार में 146, ऊधमसिंहनगर में 85, टिहरी में15, अल्मोड़ा में नौ, रुद्रप्रयाग में छह, बागेश्वर में तीन और चंपावत में दो मरीज अब तक डेंगू की चपेट में आ चुके हैं।
सरकारी आंकड़ों में डेगू से मौत का आंकड़ा सात बताया जा रहा है। जबकि इस बीमारी से अब तक 12 मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें भी सबसे अधिक ग्यारह मरीजों की मौत देहरादून में हुई है। बहरहाल, डेंगू का कहर थम नहीं रहा है और जिम्मेदार अधिकारी दावे पर दावे कर रहे हैं। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि डेंगू की रोकथाम व बचाव के लिए पहले ही पुख्ता तैयारियां की गई थी और डेंगू रोधी अभियान लगातार चलाया जा रहा है। टीमें प्रभावित क्षेत्रों का दौरा कर रही हैं। घर-घर जाकर डेंगू मच्छर के लार्वा का सर्वे कर उसको मौके पर ही नष्ट किया जा रहा है। लोगों को बीमारी से बचाव के प्रति जागरूक किया जा रहा है।
अलग-अलग जगह स्वास्थ्य शिविर भी लगाए जा रहे हैं। इन शिविर के माध्यम से बुखार और वायरल से पीड़ित मरीजों को निश्शुल्क दवा दी जा रही है। वहीं डेंगू संदिग्ध मरीजों का ब्लड सैंपल लेकर जांच के लिए लैब में भेजा जा रहा है। जो मरीज अस्पतालों में भर्ती हैं, उन्हें भी उपचार की समुचित सुविधा मिल रही है। निजी अस्पतालों व पैथोलॉजी लैब में मरीजों के इलाज और जांच की निगरानी के लिए टीमें गठित की गई हैं। इधर, नगर निगम प्रशासन भी लगातार दावा कर रहा है कि सभी वार्डों में निरंतर फॉगिंग की जा रही है।
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