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डेंगू की संदिग्ध युवती की मौत, प्रदेश में 188 और मरीजों को लगा डंक

दून के पटेलनगर स्थित एक निजी अस्पताल में कारगी क्षेत्र की 17 वर्षीय युवती की डेंगू से मौत हो गई। वहीं ताजा मामले में प्रदेश में 188 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई।

By BhanuEdited By: Updated: Fri, 20 Sep 2019 08:41 PM (IST)
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डेंगू की संदिग्ध युवती की मौत, प्रदेश में 188 और मरीजों को लगा डंक
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड में डेंगू का प्रकोप कम होने का नाम नहीं ले रहा है। दून के पटेलनगर स्थित एक निजी अस्पताल में कारगी क्षेत्र की 17 वर्षीय युवती की डेंगू से मौत हो गई। वहीं, ताजा मामले में प्रदेश में 188 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई।  

जानकारी के अनुसार कारगी क्षेत्र की 17 साल की एक युवती को कई दिन से बुखार आ रहा था। उसे पटेलनगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां पर उसकी गुरुवार शाम मौत हो गई। मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. एसके गुप्ता का कहना है कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। अस्पताल में टीम को भेजकर जानकारी की जाएगी। 

वहीं, स्थानीय लोगों का आरोप है कि नगर निगम को कई बार सूचना देने के बाद भी क्षेत्र में फॉगिंग नहीं कराई जा रही है। मुस्लिम बस्ती के लोगों का कहना है कि क्षेत्र में घर-घर में डेंगू के मरीज हैं। इस बीमारी के कारण कई लोगों की जान जा चुकी है, लेकिन नगर निगम एवं स्वास्थ्य विभाग संजीदा नहीं है। दोनों ही विभागों की टीम यहां नहीं पहुंची है और न ही लार्वानाशक का छिड़काव कराया गया है। 

प्रदेश में अब तक 3609 मरीजों को लगा डेंगू का डंक

डेंगू की बीमारी फैलाने वाला एडीज मच्छर लगातार कहर बरपा रहा है। ताजा रिपोर्ट में प्रदेश में 188 और मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। इनमें सबसे अधिक 86 मरीज देहरादून से हैं। नैनीताल जनपद में 54, हरिद्वार में 42 और अल्मोड़ा में भी एक मरीज में डेंगू की पुष्टि हुई है। इस तरह प्रदेश में अब तक 3609 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हो चुकी है। इस बार देहरादून में डेंगू का मच्छर ज्यादा कहर बरपा रहा है। अब तक यहां पर 2269 मरीज डेंगू की चपेट में आ चुके हैं। 

वहीं, नैनीताल में डेंगू मरीजों की संख्या बढ़कर 1066, हरिद्वार में 146 और ऊधमसिंहनगर में 85 हो गई है। यही नहीं डेंगू का मच्छर घातक भी हो रहा है। इस बीमारी की चपेट में आने वाले ग्यारह मरीजों की मौत भी अब तक हो चुकी है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इनकी संख्या सात बता रहा है।

वातावरण में सुबह व रात को हल्की ठंडक आने के बाद भी डेंगू के मच्छर  की सक्रियता कम नहीं हो रही है। स्थिति यह कि प्रतिदिन मरीजों की संख्या घटने के बजाय निरंतर बढ़ती जा रही है। वहीं विभागीय अधिकारी बीमारी की रोकथाम व बचाव के लिए पुख्ता तैयारियों की बात कर रहे हैं। 

बताया गया कि बीते दिनों की तरह विभिन्न टीमों द्वारा प्रभावित क्षेत्रों का दौरा किया गया। घर-घर जाकर डेंगू मच्छर के लार्वा का सर्वे किया गया। जिन घरों में लार्वा मिला है उसको मौके पर ही नष्ट किया गया। लोगों को बीमारी से बचाव के लिए जागरूक किया गया।

डेंगू की रोकथाम को स्वास्थ्य केंद्रों पर 12 चिकित्सक तैनात

डेंगू के बढ़ते प्रकोप ने स्वास्थ्य विभाग की नींद उड़ा दी है। हालांकि अधिकारी लगातार दावा कर रहे हैं कि इससे निपटने के पुख्ता इंतजाम हैं। स्वास्थ्य महानिदेशक डॉ. आरके पांडेय ने पत्रकार वार्ता में बताया कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र रायपुर में भी निश्शुल्क एलाइजा जांच शुरू कर दी गई है। देहरादून के 12 नगरीय प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर चिकित्सक तैनात कर दिए गए हैं। इनमें 10 चिकित्सकों ने कार्य करना भी शुरू कर दिया है। 

उन्होंने बताया कि इन केंद्रों पर तैनात चिकित्सक डेंगू के मरीजों की स्क्रीनिंग कर आवश्यकतानुसार उनके ब्लड सैंपल की जांच कराएंगे। जांच के लिए मरीजों का ब्लड सैंपल केंद्रों पर ही लिया जाएगा। स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि डेंगू पर नियंत्रण के लिए नैनीताल जनपद में दो अतिरिक्त चिकित्साधिकारी तैनात किए गए हैं। 

इसी तरह कोरोनेशन अस्पताल में दो अतिरिक्त तकनीशियन भी तैनात किए गए हैं। अस्पतालों मे डेंगू मरीजों को मिल रहे उपचार व विभिन्न पैथोलॉजी लैब द्वारा दी जा रही जांच की सुविधाओं की निगरानी के लिए वरिष्ठ अधिकारियों की टीम गठित की गई है। वह खुद इस टीम में शामिल हैं। 

टीम में शामिल अन्य अधिकारियों/चिकित्सकों के साथ उन्होंने शहर के प्रमुख निजी चिकित्सालय मैक्स अस्पताल, सिनर्जी अस्पताल, कैलाश अस्पताल व सीएमआइ अस्पताल का भ्रमण किया। अस्पताल प्रबंधन से कहा गया कि वह ओपीडी व एलईडी स्क्रीन के माध्यम से लोगों को डेंगू से बचाव की जानकारी दें। साथ ही उपचार के निर्धारित मानकों के अनुसार मरीजों को उपचार की सुविधा देने के लिए कहा गया है। 

बताया कि यदि सरकारी अस्पतालों मे जांच के लिए मरीजों की संख्या में वृद्धि होती है तो उसके लिए दो निजी पैथोलॉजी लैब के साथ अनुबंध भी किया गया है। जहां पर एलाइजा आदि जांच पर आने वाले खर्च सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। बताया कि सभी पैथोलॉजी लैब व प्राइवेट अस्पतालों/नर्सिंग होम को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वह डेंगू के मरीजों की सूचना को अनिवार्य रूप से सरकार को देंगे। ऐसा नहीं करने पर संबंधित अस्पतालों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी। 

3609 मरीज, सात की मौत 

स्वास्थ्य महानिदेशक ने बताया कि राज्य में अब तक 3609 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। साथ ही सात मरीजों की मौत हो चुकी है। इनमें एक मामला हल्द्वानी से है। इसका डेथ ऑडिट किया जा रहा है। डेंगू के मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या पर कहा कि विभाग द्वारा पहले से ही की गई तैयारियों के कारण स्थिति नियंत्रण में है। 

वास्तविक तौर पर कुल भर्ती मरीजों के सापेक्ष पांच से दस प्रतिशत मरीजों को ही प्लेटलेट्स चढ़ाने की आवश्यकता पड़ी है। डेंगू की बीमारी से बचाव के लिए व्यापक स्तर पर प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। शहर में जगह-जगह होर्डिंग लगाए गए हैं। सिनेमाघरों में भी इस बीमारी से बचाव से संबंधित वीडियो संदेश चलाए जा रहे हैं। 

कहा कि पुलिस, नगर निगम, आइएमए व शिक्षा विभाग द्वारा भी जागरूकता अभियान में सहयोग मिल रहा है। पत्रकार वार्ता में स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती, संयुक्त निदेशक डॉ. अर्जुन सिंह सेंगर, सहायक निदेशक डॉ. पंकज कुमार, आईईसी अधिकारी जेसी पांडे, डॉ. मयंक बडोला आदि उपस्थित रहे। 

ऋषिकेश-डोईवाला के प्रमुख अस्पतालों का निरीक्षण 

स्वास्थ्य निदेशक डॉ. अमिता उप्रेती के नेतृत्व में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने ऋषिकेश व डोईवाला क्षेत्र के प्रमुख अस्पतालों का निरीक्षण किया। डॉ. उप्रेती ने एम्स के मेडिसिन विभाग, माइक्रोबायोलोजी विभाग व कम्यूनिटी मेडिसिन के विभागाध्यक्षों के साथ बैठक भी की। मेडिसिन विभाग की डॉ. मीनाक्षी धर ने बताया कि बहुत कम मरीजों में प्लेटलेट्स को लेकर अनावश्यक भ्रम है।

कम्यूनिटी मेडिसिन विभाग के डॉ. योगेश ने जानकारी दी कि चिकित्सकों द्वारा समीपवर्ती क्षेत्रों में लोगों को जागरूक किया जा रहा है। डॉ. उप्रेती ने ऋषिकेश के सरकारी अस्पताल में आइसोलेशन वार्ड का भी निरीक्षण किया। निजी पैथोलोजी एवं क्लीनिक द्वारा दी जा रही सेवाओं की नियमित निगरानी के निर्देश भी उन्होंने अधिकारियों को दिए। इस दौरान सहायक निदेशक डॉ. पंकज कुमार सिंह व डॉ. अखिलेश त्रिपाठी भी मौजूद रहे। 

स्वाइन फ्लू के लिए बनेंगे आइसोलेशन वार्ड 

डेंगू के बाद स्वाइन फ्लू की दस्तक होने से स्वास्थ्य महकमा भी पसोपेश की स्थिति में है। अधिकारियों को इस बात की चिंता सता रही है कि स्वाइन फ्लू का वायरस भी कहीं डेंगू की तरह कहर न बरपा दे। वैसे भी इस साल की शुरुआत में स्वाइन फ्लू ने शहर में खूब कहर बरपाया था। लिहाजा स्वाइन फ्लू से बचाव को तैयारियां शुरू कर दी गई हैं। 

अभी कुछ दिन पूर्व राजधानी के एक निजी अस्पताल में भर्ती 52 वर्षीय व्यक्ति में स्वाइन फ्लू की पुष्टि हुई थी। इसके बाद दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा ने चिकित्सकों व स्टाफ की बैठक ली। उन्होंने बताया कि अस्पताल में शुरुआत में दस बेड का आइसोलेशन वार्ड बनाया जा रहा है। वहीं, वार्डों में ड्यूटी करने वाले चिकित्सकों एवं कर्मियों को वैक्सीन भी लगवा दी जाएगी। 

इसके अलावा एक हजार मास्क की खरीद को टेंडर किया जा रहा है। स्वाइन फ्लू मरीजों के लिए एंटी वायरल दवा ओसेल्टामिविर (टैमी फ्लू) पर्याप्त मात्रा में मौजूद है। इस दौरान मेडिसन विभाग के एचओडी डॉ. नारायणजीत सिंह, बाल रोग विभाग की एचओडी डॉ. तन्वी सिंह, श्वास रोग विभाग के एचओडी डॉ. श्वेताभ पुरोहित, नर्सिंग अधीक्षक सतीश धस्माना, एएनएस रामेश्वरी नेगी, अंजना नॉक्स, चीफ फार्मासिस्ट सुधा कुकरेती, वरिष्ठ जनसंपर्क अधिकारी महेंद्र भंडारी आदि मौजूद रहे। उधर, कोरोनेशन अस्पताल के सीएमएस डॉ. बीसी रमोला ने बताया कि उन्होंने 15 बेड के आइसोलेशन वार्ड बनाने के निर्देश जारी कर दिए हैं।

...तो कमजोर हो रहा डेंगू का डंक

एचएनबी चिकित्सा शिक्षा विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. हेमचंद्र ने कोरोनेशन व गांधी शताब्दी नेत्र चिकित्सालय का निरीक्षण किया। उन्होंने पाया कि दोनों अस्पताल में 64 मरीज भर्ती हैं। जबकि डेंगू के मरीजों के लिए आरक्षित 38 बेड खाली हैं। डॉ. हेमचंद्र ने बताया कि ओपीडी भी पूर्व की अपेक्षा कम पाई गई। उन्होंने चिकित्सकों, नर्सों व पैरामेडिकल स्टाफ को निर्देशित किया कि मरीजों के उपचार में किसी भी तरह की कमी ना आने पाए। 

डेंगू पीड़ितों को जांच में 25 प्रतिशत की छूट

पटेलनगर स्थित श्री महंत इंदिरेश अस्पताल प्रबंधन ने डेंगू संबंधित जांचों पर 25 प्रतिशत तक की छूट देने की घोषणा की है। शुक्रवार से इस छूट का लाभ अस्पताल की ओपीडी में आने वाले मरीजों को देना शुरू हो गया। अस्पताल की ओर से जनरल वार्ड में भर्ती मरीजों को नियमानुसार इलाज में पहले ही 50 प्रतिशत की छूट दी जा रही है। यह जानकारी अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक डॉ. विनय राय ने दी।

उन्होंने बताया कि पिछले कुछ दिनों से मेडिसिन विभाग में प्रतिदिन 550 से 600 मरीज परामर्श के लिए लिए पहुंच रहे हैं। इनमें से 90 प्रतिशत मरीज डेंगू के लक्षण, वायरल, सर्दी, खांसी व जुकाम-बुखार के आ रहे हैं। रोजाना 350 से 400 मरीजों के ब्लड सैंपल की जांच लैब में हो रही है। 

बताया कि मरीजों को राहत पहुंचाने के लिए अस्पताल ने डेंगू प्रोफाइल, एनएस-वन एंटीजन व सीबीसी जांच पर 25 प्रतिशत छूट देने का निर्णय लिया है। अस्पताल की सेंट्रल पैथोलॉजी लैब में एक अतिरिक्त काउंटर डेंगू सैंपल कलेक्शन के रूप में खोल दिया गया है। अस्पताल में डेंगू के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी चिकित्सकों की छुट्टी अगले आदेश तक रोक दी गई है।

चिकित्सा अधीक्षक ने बताया कि मेडिसिन ओपीडी व इमरजेंसी में आने वाले सभी गंभीर डेंगू मरीजों को भर्ती करने के लिए अस्पताल में आवश्यक व्यवस्था बनाई गई है। अस्पताल के नगर उपकेंद्र खुड़बुड़ा व ग्रामीण उपकेंद्र मोथरोवाला में भी डेंगू मरीजों को भर्ती किए जाने की सुविधा उपलब्ध है। अस्पताल के ब्लड बैंक को अलर्ट मोड पर रखा गया है। बताया कि एसजीआरआर मेडिकल हेल्थ एंड साइंसेज के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग के चिकित्सकों की टीम देहरादून के विभिन्न क्षेत्रों में डेंगू के प्रति जन जागरूकता अभियान चलाएगी।

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छात्रों ने डेंगू जागरूकता रैली निकाली

राजकीय प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ व राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय रामगढ़ के छात्र-छात्राओं की ओर से डेंगू रोग से बचाव के लिए जागरूकता रैली निकाली गई। स्कूल परिसर से शुरू हुई रैली की शुरुआत क्षेत्रीय पार्षद मामचंद और नगर निगम इंस्पेक्टर विश्वनाथ चौहान ने की। इससे पहले विद्यालय प्रधानाध्यापक अरविंद सोलंकी ने छात्रों को अपने आसपास सफाई रखने और पूरे बाजू कीकमीज पहनने की सलाह दी। 

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रैली रायपुर स्थित रामगढ़ स्कूल से शुरू होकर नौका, दुधा देवी क्षेत्र से होते हुए स्कूल परिसर में ही संपन्न हुई। रैली के दौरान छात्रों ने घर-घर जाकर लोगों को डेंगू से बचाव से संबंधित पंपलेट आदि बांटे। इस अवसर पर विद्यालय प्रबंधन समिति रामगढ़ की अध्यक्ष सरस्वती देवी, स्कूल की शिक्षक रुचि सेमवाल, मीना घिल्डियाल, ऊषा चौधरी समेत अन्य लोग मौजूद रहे।

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