Move to Jagran APP
5/5शेष फ्री लेख

उत्‍तराखंड: दूध में मिलावट के प्रति गंभीर नहीं है विभाग

उत्‍तराखंड में मिलावट को रोकने के लिए बनाए गए महकमें खाद्य पदार्थों, विशेषकर दुग्ध पदार्थों में मिलावट के प्रति उदासीन बने हुए हैं।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 21 Aug 2017 08:53 PM (IST)
Hero Image
उत्‍तराखंड: दूध में मिलावट के प्रति गंभीर नहीं है विभाग

देहरादून, [विकास गुसाईं]: प्रदेश में मिलावट को रोकने के लिए बनाए गए महकमें खाद्य पदार्थों, विशेषकर दुग्ध पदार्थों में मिलावट के प्रति उदासीन बने हुए हैं। स्थिति यह है कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुपालन में भी विभाग कोताही बरत रहे हैं। 

 यहां तक कि मिलावट रोकने के लिए बने सबसे अहम स्वास्थ्य महकमे ने पूरे वर्ष केवल दुग्ध पदार्थों के 98 सैंपल ही एकत्रित किए। इनमें भी अधिकांश सैंपल त्योहारों के दौरान लिए गए। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के क्रम में गठित राज्य स्तरीय समिति की बैठक से भी स्वास्थ्य महकमे ने दूरी बनाए रखी। इस पर शासन ने नाराजगी जताई है।

सुप्रीम कोर्ट ने दूध एवं दुग्ध पदार्थों में मिलावट को रोकने के लिए सभी राज्यों में राज्य व जिला स्तर पर समिति बनाने के निर्देश दिए हैं। इस क्रम में उत्तराखंड में भी गत 20 दिसंबर को इन समितियों का गठन किया गया था। राज्य स्तरीय समिति की पहली बैठक कुछ दिनों पहले अपर मुख्य सचिव रणवीर सिंह की अध्यक्षता में हुई। इस बैठक में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। 

पता चला कि वर्ष 2016-17 में स्वास्थ्य विभाग ने दूध के केवल 98 सैंपल ही एकत्र किए। इसमें भी अप्रैल, मई जून एवं सितंबर 2016 में सैंपल लेने की संख्या शून्य रही। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार संबंधित विभाग को फूड सेफ्टी अफसरों के संबंध में एक वेबसाइट बनानी थी, जिस पर शिकायत की जा सकें। ऐसी वेबसाइट अभी तक नहीं बन पाई है। टेस्टिंग किट से लैस सचल फूड टेस्टिंग वाहन अभी तक नहीं बन पाए हैं। 

शिकायतों के लिए टोल फ्री टेलीफोन नंबर स्थापित नहीं किए जा सके हैं। दूध के पदार्थों में मिलावट के संबंध में कोई जागरूकता अभियान भी नहीं चलाया गया। डेयरी विभाग ने जून में 1768 सैंपल लिए। इनमें से 963 सैंपल अधोमानक व 109 हानिकारक पाए गए। इसके बाद भी दोषियों पर कोई कार्यवाही नहीं की गई। 

बैठक में विभागों की लापरवाही से अपर मुख्य सचिव डॉ. रणवीर सिंह खासे नाराज भी रहे। उन्होंने संबंधित महकमों को व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। इसके साथ ही उन्होंने खाद्य सुरक्षा विभाग को प्रतिमाह सैंपल लेने के लिए लक्ष्य निर्धारित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग के किसी प्रतिनिधि के मौजूद न होने पर नाराजगी जताई और विभाग को इस विषय को गंभीरता से लेने की भी चेतावनी दी। 

 बैठक के अहम बिंदु

-स्वास्थ्य महकमे का कोई प्रतिनिधि बैठक में नहीं रहा मौजूद।

-डेयरी विभाग ने जून में लिए 1768 सैंपल, 109 सैंपल हानिकारक।

-हानिकारक सैंपलों पर नियमानुसार कार्रवाई के दिए निर्देश।

-अभी तक नहीं बनी खाद्य सुरक्षा अधिकारियों की जानकारी वाली वेबसाइट।

-राज्य में अभी तक शिकायतों के लिए नहीं स्थापित हुए टोल फ्री नंबर।

-सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बावजूद स्कूली बच्चों को नहीं दी गई मिलावट के व दूध टेस्ट करने की विधि की जानकारी।

 यह भी पढ़ें: बाबा केदार के अभिषेक का घी भी मिलावटी, जानिए मिलावट का खेल

यह भी पढ़ें: अब जंक फूड को कहना होगा बाय-बाय, नहीं माने तो भरना होगा हर्जाना 

आपके शहर की तथ्यपूर्ण खबरें अब आपके मोबाइल पर