छात्रवृत्ति घोटाले में जेल गए उप निदेशक का वेतन रोका, कक्ष पर लगाया ताला
छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में गिरफ्तार हुए जनजाति कल्याण उपनिदेशक अनुराग शंखधर के निलंबन के बाद निदेशालय ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है।
By BhanuEdited By: Updated: Wed, 22 May 2019 09:36 AM (IST)
देहरादून, जेएनएन। छात्रवृत्ति घोटाले के मामले में गिरफ्तार हुए जनजाति कल्याण उपनिदेशक अनुराग शंखधर के निलंबन के बाद निदेशालय ने भी कार्रवाई शुरू कर दी है। अनुराग शंखधर के अप्रैल से अब तक के वेतन पर रोक लगा दी गई है। साथ ही कक्ष में रखी फाइलें भी कब्जे में ले ली गई हैं। शंखधर के कक्ष से नेमप्लेट उतारकर ताला लगा दिया गया है।
हालांकि, निदेशालय विभागीय जांच से बचता नजर आ रहा है। तर्क है कि कोर्ट में मामला विचाराधीन होने की वजह से विभागीय जांच अभी उचित नहीं है।अनुराग शंखधर के निलंबन के अगले दिन जनजाति कल्याण निदेशालय में खासी हलचल रही। निदेशक बीआर टम्टा ने निदेशालय पहुंचते ही अनुराग शंखधर के कक्ष से नेम प्लेट उतारने व फाइलों को सुरक्षित रखने के निर्देश दिए। साथ ही कक्ष में ताला लगवा दिया।
इसके अलावा बिना बताए अवकाश पर जाने को भी निदेशालय ने गंभीरता से लेते हुए शंखधर का वेतन रोक दिया है। दरअसल, अनुराग शंखधर ने 20 मार्च से 20 अप्रैल तक का उपार्जित अवकाश मांगा था, लेकिन 20 अप्रैल के बाद भी वह निदेशालय में उपस्थित नहीं हुए। इसके बाद उन्होंने दो मई को एक महीने का और उपार्जित अवकाश लेने के लिए निदेशालय को पत्र लिखा था, लेकिन निदेशालय ने इसे निरस्त कर दिया था।
हालांकि, एसआइटी के दबाव के चलते वह 14 मई को एक दिन के लिए निदेशालय में उपस्थित हुए थे। इसके बाद अनुराग शंखधर की गिरफ्तारी के बाद निदेशालय ने वेतन रोकने का कदम उठाया। इस संबंध में कोषागार को पत्र भी भेजा है।
कक्ष उपाध्यक्ष को सौंपने की तैयारी
निदेशालय में प्रथम तल पर अनुराग शंखधर के कक्ष को अब जनजाति कल्याण परिषद के उपाध्यक्ष को सौंपने की तैयारी चल रही है। दरअसल, परिषद में वर्तमान में दो उपाध्यक्ष हैं, रामकृष्ण रावत व कैलाश रावत, लेकिन उपाध्यक्ष के लिए एक ही कक्ष है। संयुक्त निदेशक योगेंद्र रावत ने कहा कि इस पर विचार हो रहा है, हालांकि अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। नहीं हुआ विभागीय जांच का निर्णय
जनजाति कल्याण विभाग के निदेशक बीआर टम्टा के अनुसार निदेशालय ने अनुराग शंखधर का अप्रैल से वर्तमान तक का वेतन रोक दिया है। उनके कक्ष को भी कब्जे में लिया गया है। विभागीय जांच पर अभी कोई निर्णय नहीं लिया गया है। कोर्ट का निर्णय आने पर आवश्यक कदम उठाए जाएंगे।
सहायक समाज कल्याण अधिकारियों की सूची तैयारछात्रवृत्ति घोटाले में अनुराग शंखधर पर कार्रवाई के बाद एसआइटी ने सहायक समाज कल्याण अधिकारियों की कुंडली खंगालनी शुरू कर दी है। सूत्रों के अनुसार, हरिद्वार के तीन सहायक समाज कल्याण अधिकारियों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। इसके लिए जरूरी सबूत जुटाए जा रहे हैं। इधर, छात्रवृत्ति घोटाले के आरोप में घिरे संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल गिरफ्तारी से बचने को कोर्ट चले गए हैं।
दशमोत्तर छात्रवृत्ति घोटाले में सहायक समाज कल्याण अधिकारी भी कम जिम्मेदार नहीं हैं। जिला समाज कल्याण अधिकारी के निर्देश पर फार्म स्वीकृत करने से लेकर चेक काटने का अधिकार इनके पास होता है। एसआइटी सूत्रों का कहना है कि हरिद्वार जिले में 50 करोड़ से ज्यादा की छात्रवृत्ति वितरण में वर्तमान और पूर्व सहायक समाज कल्याण अधिकारी भी शामिल रहे हैं। घोटाले में इनकी भूमिका की जांच चल रही है। पुख्ता सबूत मिलने के बाद इनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। खासकर 2012 से 2017 के बीच में तैनात रहे सहायक समाज कल्याण जांच के दायरे में हैं।
उधर, घोटाले के आरोप से घिरे संयुक्त निदेशक गीताराम नौटियाल ने एसआइटी से बयान दर्ज कराने के लिए कुछ समय मांगा है। हालांकि सूत्रों का कहना है कि नौटियाल हाईकोर्ट चले गए हैं। जहां वह गिरफ्तारी से बचने के लिए स्टे ले रहे हैं। दून में रिकार्ड देने से बच रहे कॉलेज
छात्रवृत्ति घोटाले में फंसने से बचने के लिए देहरादून के कॉलेज अब छात्र-छात्राओं के रिकार्ड देने से बच रहे हैं। प्रेमनगर क्षेत्र के कई कॉलेजों ने एसआइटी को जवाब दिया कि पांच साल का रिकार्ड उनके पास नहीं है। हालांकि एसआइटी ने इस संबंध में गढ़वाल विश्वविद्यालय से छात्र-छात्राओं की कॉलेजवार जानकारी मांगी है। इससे कॉलेज में पढ़ने वाले एससी, एसटी के छात्रों की जानकारी मिल जाएगी। इसके बाद ही इन कॉलेजों पर कार्रवाई तय मानी जा रही है। निष्पक्षता से हो रही जांच एसआइटी प्रभारी मंजूनाथ टीसी ने बताया कि छात्रवृत्ति घोटाले की जांच निष्पक्षता के साथ की जा रही है। जिसके खिलाफ सबूत मिल रहे हैं, कार्रवाई की जा रही है। हरिद्वार के साथ दून के कॉलेजों की भी जांच जारी है। छात्रवृत्ति घोटाला मामले में दो आरोपितों की जमानत मंजूरहाई कोर्ट ने समाज कल्याण विभाग छात्रवृत्ति घोटाले में आरोपित ग्रामोद्योग विकास संस्थान गु्रप के चेयरमैन व सचिव की याचिका स्वीकार करते हुए उनकी जमानत मंजूर कर ली।जीटी रोड मंगलौर स्थित संस्थान के चेयरमैन प्रदीप अग्रवाल व सचिव संजय बंसल ने जमानत के लिए प्रार्थना पत्र दाखिल कर कहा था कि छात्रवृत्ति घोटाले में निरीक्षक जवाहर लाल की ओर से पिछले साल पहली दिसंबर को टिहरी जिले के चंबा थाने में धारा-420, 120 बी, 408 के तहत अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था। आरोप था कि स्ववित्त पोषित शैक्षणिक संस्थानों ने छात्रवृत्ति की रकम गबन की है। एसआइटी की जांच में कहा गया कि इन संस्थानों ने राजकीय धन के दुरुपयोग कर खुद को लाभ पहुंचाने व सरकार को हानि पहुंचाने के उद्देश्य से एससी-एसटी छात्रों के नाम पर अवैध रूप से छात्रवृत्ति वितरण में घोटाला किया। आरोपितों का कहना है कि उनका इससे कोई लेना-देना नहीं है। एसआइटी बेवजह उन्हें फंसा रही है। न्यायाधीश न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ ने मामले को सुनने के बाद जमानत अर्जी स्वीकार कर ली। सत्र न्यायाधीश हरिद्वार ने आरोपितों की जमानत अर्जी पूर्व में खारिज कर दी थी।यह भी पढ़ें: छात्रवृत्ति घोटाले में डिप्टी डायरेक्टर अनुराग शंखधर पर गिरी निलंबन की गाजयह भी पढ़ें: छात्रवृति घोटाले के आरोपी उप निदेशक शंखधर के निलंबन पर टालमटोल कर रहे अफसरयह भी पढ़ें: उप निदेशक अनुराग शंखधर को 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेजा जेललोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप
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