प्रदेश के सबसे बड़े शिक्षक संगठन में अंतरकलह, संघ को भंग करने की सिफारिश
उत्तराखंड के सबसे बड़े शिक्षक संगठन में चल रही अंतरकलह अब सामने आने लगी है। संगठन के महामंत्री सोहन सिंह मांझिला ने कार्यकारिणी भंग करने की सिफारिश की है।
By Bhanu Prakash SharmaEdited By: Updated: Tue, 19 May 2020 01:12 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। उत्तराखंड के सबसे बड़े शिक्षक संगठन में चल रही अंतरकलह अब सामने आने लगी है। आए दिन संगठन के शीर्ष नेतृत्व पर उठ रहे सवालों और विरोध के बीच संगठन के महामंत्री सोहन सिंह मांझिला ने कार्यकारिणी भंग करने की सिफारिश की है। संगठन के प्रदेश अध्यक्ष को पत्र भेज कर उन्होंने इस पर निर्णय लेने की अपील की।
राजकीय शिक्षक संघ की प्रदेश कार्यकारिणी का दो वर्षीय कार्यकाल नवंबर 2019 में समाप्त हो चुका है। जिलों में कार्यकारिणी ना होने से संविधान संशोधन और अर्धवार्षकि परीक्षाओं समेत अन्य कारणों से पिछले वर्ष प्रदेश कार्यकारिणी के चुनाव के लिए अधिवेशन नहीं हो सका। शीर्ष नेतृत्व ने कमेटी की सिफारिश के बाद अपना कार्यकाल एक शैक्षणिक सत्र के लिए बढ़ा दिया था। इस साल फरवरी में प्रदेश कार्यकारिणी के लिए चुनाव पर विचार किया जा रहा था। संविधान संशोधन की फाइल कार्मिक विभाग से समय पर ना आने के कारण चुनाव की रणनीति नहीं बनाई जा सकी। मार्च में लॉकडाउन लागू हो गया।
पिछले वर्ष कार्यकारिणी द्वारा कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद से ही प्रदेश में शिक्षकों के गुटों ने इसका विरोध शुरू कर दिया था। कई शिक्षकों ने तो शीर्ष नेतृत्व पर संगठन के लेटर पैड और संगठन की शक्तियों का गलत इस्तेमाल करने के आरोप भी लगाए। प्रदेश भर में चल रहे विरोध के चलते संगठन के महामंत्री ने अध्यक्ष केके डिमरी को पत्र भेजकर संगठन भंग करने की सिफारिश कर दी है।कार्यकारिणी भंग करने में ही भलाई
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश महामंत्री सोहन सिंह मांझिला का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व पर उठाए जा रहे सवालों के कारण संगठन में गुटबाजी हो रही है। संगठन की अंतर कलह प्रदेश के सबसे बड़े संगठन के अस्तित्व के लिए ठीक नहीं। किसी भी पद से बड़ा संगठन होता है। अगर शीर्ष नेतृत्व के हट जाने से संगठन का अस्तित्व मजबूत होता है तो इसे भंग करने में ही भलाई है।अधिवेशन से लिए शासन से की जा रही बात
राजकीय शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष केके डिमरी के मुताबिक, महामंत्री ने प्रदेश कार्यकारिणी को भंग करने की सिफारिश की है। आमतौर पर चुनावी अधिसूचना जारी होने के बाद ही ऐसा किया जाता है। शिक्षा विभाग और शासन से अधिवेशन के लिए लगातार बातचीत की जा रही है। लेकिन वर्तमान परिस्थितियों में अधिवेशन संभव नहीं है। विमर्श के बाद इस पर फैसला लिया जाएगा।पदोन्नति में वरिष्ठता का विवाद
प्रदेश के जूनियर हाई स्कूलों में प्रधानाध्यापक पदों पर हो रही पदोन्नति में वरिष्ठता को लेकर विवाद सामने आ रहा है। शिक्षक संगठनों का कहना है कि पदोन्नति में विभाग दोहरी व्यवस्था अपना रहा है। अनुसूचित जाति जनजाति शिक्षक एसोसिएशन ने शिक्षा विभाग से दूरी व्यवस्था समाप्त कर एकरूपता से आदेश जारी करने की मांग की।यह भी पढ़ें: छावनी परिषद क्लेमेनटाउन: चालू वित्तीय वर्ष के लिए 165 करोड़ का बजट
एसोसिएशन के प्रांतीय महामंत्री जितेंद्र सिंह बुटोईया ने बताया कि हरिद्वार समेत दूसरे कई जिलों में पदोन्नति को लेकर विसंगतियां हैं। जितेंद्र सिंह ने शिक्षा मंत्री, सचिव और शिक्षा निदेशालय को पत्र प्रेषित कर इसका निराकरण करने की मांग की।यह भी पढ़ें: यूकेडी ने बैंक किस्तों पर वर्ष के अंत तक रोक लगाने की मांग उठाई dehradun News
आपके शहर की हर बड़ी खबर, अब आपके फोन पर। डाउनलोड करें लोकल न्यूज़ का सबसे भरोसेमंद साथी- जागरण लोकल ऐप।