प्रदेश के इस सबसे बड़े अस्पताल में 140 बेड बढ़ाना बड़ी आफत, पढ़िए खबर
दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की मौजूदा बेड संख्या मान्यता के आड़े आ रही है। वर्तमान समय में अस्पताल में 510 बेड हैं। पांचवें वर्ष की मान्यता के लिए 650 बेड की आवश्यकता है।
By BhanuEdited By: Updated: Thu, 31 Oct 2019 08:49 PM (IST)
देहरादून, जेएनएन। दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय की मौजूदा बेड संख्या मान्यता के आड़े आ रही है। वर्तमान समय में अस्पताल में 510 बेड हैं। पांचवें वर्ष की मान्यता के लिए 650 बेड की आवश्यकता है, पर अस्पताल में विस्तार की ज्यादा गुंजाइश ना के बराबर है। ऐसे में 140 बेड का जुगाड़ कर पाना अस्पताल प्रशासन के लिए भी मुश्किल हो रहा है। बशर्ते अधिकारी यह दावा कर रहे हैं कि समय रहते बेड की व्यवस्था कर ली जाएगी।
दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को चार साल पहले मेडिकल कॉलेज में तब्दील कर दिया गया था। मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की 150 सीट हैं। इसके मुताबिक पहले साल 300 बेड के अस्पताल के साथ शुरुआत की गई। पर अब पांचवें वर्ष के लिए 650 बेड की जरूरत है। कुछ दिन पहले एमसीआइ ने मेडिकल कॉलेज का निरीक्षण किया था। इसमें उसने बेड की कमी भी इंगित की थी। पर बेड बढ़ाने में जगह की कमी आड़े आ रही है। अस्पताल परिसर में जगह उस मुताबिक कम पड़ रही है। समस्या ये कि एमसीआइ के नियमों में विभागवार बेड विभाजन के साथ ही बेड के बीच की दूरी का भी मानक तय है। ऐसे में अधिकारी अब तमाम विकल्पों पर विचार कर रहे हैं।
कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आशुतोष सयाना ने बताया कि प्रशासनिक भवन में जगह बनाई जा रही है। वहां से स्टीवर्ट रूम एवं स्टोर शिफ्ट किया जा रहा है। इसके अलावा प्रथम तल से औषधि स्टोर भी शिफ्ट किया जाएगा। इसके अलावा अन्य विकल्प भी तलाशे जा रहे हैं। महिला अस्पताल में आदर्श स्थिति
दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में जहां एक तरफ बेड बढ़ाने को जगह तलाशी जा रही है, यहीं स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग (महिला अस्पताल) में एमसीआइ के अनुसार आदर्श स्थिति है। बल्कि यहां संख्या से ज्यादा बेड हैं। पांचवें वर्ष के लिए स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में 90 बेड चाहिये, पर मौजूदा समय में 130 बेड हैं। कारण ये कि यहां व्यवस्था पूर्ववत रखी गई है। क्योंकि अस्पताल में प्रदेशभर से महिलाएं डिलिवरी के लिए पहुंचती हैं। जिस कारण मरीजों का अत्याधिक दबाव रहता है।
सीटी स्कैन सात माह से खराब अस्पताल की बूढ़ी मशीनें भी अस्पताल के लिए आफत बन गई हैं। अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन तकरीबन सात माह से खराब पड़ी है। इसके अलावा ईको मशीन भी लंबे वक्त से खराब है। एमसीआइ ने इसे लेकर भी नाराजगी जाहिर की है। मान्यता पर आंच आ रही है पर ताज्जुब देखिए कि अधिकारी तब भी नहीं चेत रहे। बताया गया कि सीटी स्कैन मशीन की खरीद की मंजूरी की फाइल शासन में है। जबकि ईको मशीन के लिए भी प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
डॉ. टम्टा को महिला अस्पताल का भी चार्ज देर आए दुरुस्त आए। दून मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रशासनिक स्तर पर अब असल में एकीकृत व्यवस्था लागू हुई है। दून अस्पताल व दून महिला अस्पताल को चार साल पहले एकीकृत कर मेडिकल कॉलेज के टीचिंग अस्पताल में तब्दील कर दिया गया था। पर महिला अस्पताल में सीएमएस का पद पूर्ववत चल रहा था। इससे कई स्तर पर कठिनाई आ रही थी। पर अब सीएमएस डॉ. मीनाक्षी जोशी को जनपद का मुख्य चिकित्साधिकारी बना दिया गया है। जिसके बाद अब चिकित्सा अधीक्षक डॉ. केके टम्टा को महिला अस्पताल का चार्ज भी दे दिया गया है।
यूं बढ़ेंगे बेड विभाग-------------वर्तमान संख्या--------बढ़ोत्तरी के बाद मेडिसिन--------------116-----------------150सर्जरी-----------------107-----------------150बाल रोग---------------45-------------------90हड्डी रोग--------------45-------------------90 नेत्र रोग----------------15------------------15 ईएनटी------------------15------------------15
चर्म रोग----------------08------------------10मनोरोग-----------------08------------------10इमरजेंसी----------------12------------------25नहीं लग रहे एंटी रैबीज के इंजेक्शन, जनता परेशानराजधानी देहरादून में कुत्ते के काटने पर लगाए जाने वाला एंटी रैबीज का इंजेक्शन शहरवासियों को मुहैया नहीं हो पा रहा। करीब एक साल से सूबे के अस्पतालों में इस इंजेक्शन का टोटा बना है लेकिन पूरा सिस्टम मुंह ताकने वाली स्थिति में है। एंटी रैबीज इंजेक्शन समेत अन्य समस्याओं को लेकर पूर्व विधायक राजकुमार की अगुवाई में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय के एमएस से मुलाकात कर कार्रवाई की मांग की।
राजपुर रोड के पूर्व विधायक राजकुमार ने एमएस डॉ. केके टम्टा मुलाकात कर चिकित्सालय में एंटी रैबीज के इंजेक्शन न मिलने नाराजगी जताई। अन्य समस्याओं के समाधान की मांग भी उन्होंने की। पूर्व विधायक ने कहा कि दून चिकित्सालय में सफाई का ध्यान नहीं दिया जा रहा है और जगह जगह गंदगी फैली हुई है। यह भी पढ़ें: कोरोनेशन अस्पताल में डायलिसिस करा रहे 50 मरीजों में हेपेटाइटिस-सी पॉजीटिव Dehradun News
उन्होंने कहा कि डाक्टर मरीजों को बाहर की दवाइयां लिख रहे हैं। जिसे पूर्ण रूप से प्रतिबंधित किया जाए। उन्होंने कहा कि अस्पताल की सीटी स्कैन मशीन कई महीनों से खराब पड़ी है। मरीजों को बाहर से जांच करानी पड़ रही है।इसके अलावा आपात स्थिति में चिकित्सालय से एम्बुलेंस भी उपलब्ध नहीं हो पाती है। चिकित्सालय परिसर में मरीजों के लिए साफ पेयजल की व्यवस्था की मांग भी उन्होंने की। इस अवसर पर सोम प्रकाश वाल्मीकि, अशोक कोहली, निखिल कुमार, कपिल कुमार सहित अनेक कार्यकर्ता व पार्षद शामिल थे।
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