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Digital Arrest Scam में उत्तराखंड पुलिस की पहली गिरफ्तारी, वाइस चेयरमैन से ठगे थे 43 लाख

Digital Arrest Scam उत्तराखंड पुलिस की एसटीएफ ने डिजिटल अरेस्ट स्कैम में पहली गिरफ्तारी की है। हरिद्वार के एक कंपनी के वाइस चेयरमैन को तीन घंटे तक डिजिटल अरेस्ट रखकर उनसे 43 लाख रुपये ठगने वाले एक साइबर ठग को भिलाई (दुर्ग) छत्तीसगढ़ से गिरफ्तार किया गया है। एसटीएफ को ठग के अन्य प्रकरणों में संलिप्तता के साक्ष्य मिले हैं।

By Soban singh Edited By: Nirmala Bohra Updated: Wed, 02 Oct 2024 01:08 PM (IST)
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Digital Arrest Scam: डिजीटल अरेस्ट में एसटीएफ ने की पहली गिरफ्तार, अब तक दर्ज हो चुके हैं 12 मुकदमे
जागरण संवाददाता, देहरादून। Digital Arrest Scam: तेजी से बढ़ रही डिजीटल अरेस्ट स्कैम में उत्तराखंड पुलिस की स्पेशल टास्क फोर्स ने पहली गिरफ्तार की है। हरिद्वार के सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र स्थित नोवेचर इलेक्ट्रिकल एंड डिजीटल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वाइस चेयरमैन को तीन घंटे डिजीटल अरेस्ट रख उनसे 43 लाख रुपये ठगने वाले एक साइबर ठग को एसटीएफ ने भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ से गिरफ्तार किया है। एसटीएफ को ठग के अन्य प्रकरणों में संलिप्ता होने के साक्ष्य मिले हैं। उसके खाते से एक करोड़ 27 लाख रुपये का संदिग्ध लेनदेन पाया गया है।

एसटीएफ के एसएसपी नवनीत भुल्लर के अनुसार जालंधर (पंजाब) निवासी सरनजीत सिंह ने साइबर थाना पुलिस को दी शिकायत में बताया कि वह वर्तमान में हरिद्वार के शिवालिक नगर में रहते हैं और सिडकुल औद्योगिक क्षेत्र स्थित नोवेचर इलेक्ट्रिकल एंड डिजीटल सिस्टम प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के वाइस चेयरमैन हैं।

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उन्हें 24 अगस्त को एक फोन काल आया और दूसरी ओर से बात कर रहे व्यक्ति ने बताया कि उनकी (सरनजीत) ओर से जो पार्सल मुंबई से ईरान के लिए भेजा गया है, उसमें दो भारतीय अवैध पासपोर्ट, पांच किलोग्राम प्रतिबंधित दवा और 50 ग्राम ड्रग्स मिली है।

पुलिस का आई कार्ड भी भेजा

काल करने वाले ने बताया कि मुंबई क्राइम ब्रांच ने उनके विरुद्ध मुकदमा दर्ज कर लिया है। इसके बाद उसने काल ट्रांसफर कर दी। दूसरे व्यक्ति ने खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी प्रदीप सावंत बताया और पार्सल के मामले में जानकारी ली। उसने सरनजीत से आधार कार्ड नंबर पूछा और बताया कि यह आधार कार्ड मनी लांड्रिंग के मामलों में उपयोग हो चुका है।

आरोपित ने उन्हें वीडियो काल से जुड़ने को कहा। इस दौरान उसने अपना पुलिस का आई कार्ड भी भेजा। पीड़ित के अनुसार ठग ने उन्हें डराया कि जांच पूरी होने तक आनलाइन रहना होगा। इसके बाद उनकी बात वीडियो काल पर एक महिला से कराई गई, जिसने खुद को क्राइम ब्रांच की डीसीपी अमनीत कोंडाल बताया।

आरोप है कि महिला ने सरनजीत को तीन घंटे तक डिजीटल अरेस्ट रखा और बैंक खातों की जानकारी हासिल की। कुछ समय उन्हें खातों से धनराशि कटने के एसएमएस आने लगे। ठगों ने उनके तीन खातों से 43 लाख रुपये ट्रांसफर कर लिए।

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प्रकरण की गंभीरता से देखते हुए ठगी में इस्तेमाल बैंक खातों व मोबाइल नंबरों की जानकारी ली गई। साक्ष्य एकत्रित करने के बाद मोनू निवासी जिला भिलाई (दुर्ग), छत्तीसगढ को गिरफ्तार कर लिया। आरोपित के कब्जे से घटना में इस्तेमाल बैंक खाते का एसएमएस अलर्ट सिम नंबर सहित एक मोबाइल हेंडसेट व मैमोरी कार्ड बरामद किया गया। आरोपित के खातों में एक करोड़ 27 लाख रुपये का लेनदेन पाया गया।

1930 पर करें आनलाइन धोखाधड़ी की शिकायत

एसएसपी भुल्लर ने बताया कि डिजीटल अरेस्ट के तेजी से बढ़ रहे मामलों पर कमी लाने के लिए लोगों को खुद ही जागरूक होना पड़ेगा। कोरियर में कोई ड्रग्स बताकर धमकाने व गिरफ्तारी की बात कहने वाले फोन को लेकर पहले ही अलर्ट होने की जरूरत है। तत्काल इसकी सूचना नजदीकी थाने को दें। आनलाइन धोखाधड़ी को रोकने के लिए संचार साथी वेबसाइट पर चाक्षु पोर्टल लांच किया है। आप इस तरह की घटना की शिकायत 1930 साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर या http://www.cybercrime.gov.in पर भी दर्ज करा सकते हैं।

पांच महीने में 12 करोड़ से अधिक की हो चुकी है ठगी

डिजीटल अरेस्ट के मामलों में साइबर थाने में अब तक 11 मुकदमे दर्ज हो चुके हैं। ठगों ने लोगों से 12 करोड़ रुपये की ठगी की। ठगी के शिकार हुए अधिकतर लोग वह हैं जोकि सेवानिवृत्त हैं या फिर उच्च पदों पर तैनात हैं। देहरादून में डिजीटल अरेस्ट का पहला मामला अप्रैल 2024 में सामने आया, जहां ठगों ने राजपुर रोड निवासी व्यवसायी राजीव कुमार को गिरफ्तारी का भय दिखाकर उनसे एक करोड़ 13 लाख रुपये ठग लिए।

इसके बाद डिजीटल अरेस्ट के मामले तेजी से बढ़े और पांच महीनों में ही 11 मामले सामने आ चुके हैं। ठगी के शिकार हुए पीड़ित कई दिन तक साइबर ठगों से वीडियो काल से जुड़े रहे, लेकिन उन्होंने किसी से इस बात की चर्चा तक नहीं की। जब उनके खाते खाली हो गए, तब उन्हें ठगी का एहसास हुआ। ठगी के शिकार यह लोग यदि समय पर जाग जाते और अपनी किसी को बताते तो ठगी होने से बच सकते थे।

ठगी से ऐसे बचें

  • किसी भी अनजान नंबर से आए हुए किसी भी लिंक पर क्लिक करने से बचें।
  • किसी भी अनजान फोन काल पर अपनी पर्सनल या बैंक संबंधी जानकारी न दें।
  • पर्सनल डेटा और किसी भी तरह के ट्रांजेक्शन प्लेटफार्म पर मजबूत पासवर्ड लगाकर रखें।
  • कोई भी थर्ड पार्टी ऐप डाउनलोड ना करें, किसी भी अनाधिकारिक प्लेटफार्म से कुछ इंस्टाल न करें।
  • अपने डिवाइस मसलन लैपटाप व मोबाइल समेत उनमें अपलोड एप को अपडेटेड रखें।
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