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अब डिजिटल प्रणाली से अचूक होगी सेना की संचार व्यवस्था, जानिए कैसे

अब सेना की संचार प्रणाली को अचूक बनाने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए एनालॉग आधारित रेडियो प्रणाली की जगह डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी की तकनीक ईजाद की गई है।

By Raksha PanthariEdited By: Updated: Tue, 14 May 2019 08:38 PM (IST)
अब डिजिटल प्रणाली से अचूक होगी सेना की संचार व्यवस्था, जानिए कैसे
देहरादून, सुमन सेमवाल। सेना की संचार प्रणाली को अचूक बनाने की तैयारी कर ली गई है। इसके लिए एनालॉग आधारित रेडियो प्रणाली की जगह डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी की तकनीक ईजाद की गई है। इसका सफल प्रयोग भी डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन (डीआरडीओ) के देहरादून स्थित डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स एप्लिकेशंस लैबोरेटरी (डील) ने पूरा कर लिया है। इस तकनीक से सेना आपस में बिना किसी व्यवधान के बात कर पाएगी और इससे ध्वनि भी पहले की अपेक्षा काफी साफ आ रही है। खराब से खराब मौसम में भी इस माध्यम से बेहतर वार्तालाप किया जा सकेगा और दुश्मन भी सेना के वार्तालाप को नहीं पकड़ पाएगी। 

सोमवार को नेशनल टेक्नोलॉजी डे पर आयोजित कार्यक्रम में यह जानकारी डील के निदेशक पीके शर्मा ने जागरण के साथ साझा की। उन्होंने बताया कि पहले चरण में नेवी के फाइटर प्लेन में डिजिटल रेडियो आधारित संचार प्रणाली का प्रयोग किया जा रहा है। इसके अलावा डिजिटल रेडियो फ्रीक्वेंसी आधारित हैंड-हेल्ड (हाथ से पकड़ने वाली डिवाइस) और मैन पैक (पीठ पर लादकर चलने वाली डिवाइस) मशीनें भी तैयार की गई हैं। जल्द सेना के लिए इनके उत्पादन का ऑर्डर दिया जाएगा।  

सेटकॉम टर्मिनल से आएगी क्रांति 

डील के निदेशक डॉ. पीके शर्मा के मुताबिक संचार व्यवस्था को उत्कृष्ट बनाने के लिए सेटेलाइट आधारित अत्याधुनिक सेटकॉम टर्मिनल भी विकसित किए गए हैं। इसमें हैंड-हेल्ड डिवाइस के साथ ही मैनपैक डिवाइस तैयार की गई है। इस डिवाइस से वार्तालाप के साथ ही विभिन्न तरह के डेटा को भेजा जा सकता है। भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लि. (बेल) को ऐसी पांच डिवाइस का ऑर्डर भी दे दिया गया है। इससे पहले सेना के पास अटैची के आकार की डिवाइस थी, जिसे विपरीत परिस्थितियों में ढो पाना मुश्किल होता था। 

समुद्र के भीतर भी बेहतर होगा संचार 

समुद्र के भीतर संचार व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए डील ने वेरी लो फ्रीक्वेंसी (वीएलएफ) तकनीक ईजाद करने में भी सफलता हासिल की है। विभिन्न सब मरीन के लिए इस डिवाइस के निर्माण का ऑर्डर पंचकूला स्थित बेल फैक्ट्री को दिया गया है। 

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