चुनावी चौपाल: जनजातीय क्षेत्र में हांफ रही हैं स्वास्थ्य और परिवहन सेवाएं
दैनिक जागरण ने देहरादून जिले के त्यूणी में चौपाल का आयोजन किया। जिसमें लोगों का दर्द छलक उठा। उन्होंने कहा कि क्षेत्र में स्वास्थ्य और परिवहन सेवाएं सुधरनी चाहिए।
By Raksha PanthariEdited By: Updated: Mon, 01 Apr 2019 02:45 PM (IST)
त्यूणी, जेएनएन। चुनावी समर चल रहा है। ऐसे में हर जगह चुनाव को लेकर लोगों में चर्चाएं आम हैं। जौनसार-बावर के सीमांत क्षेत्र अटाल पंचायत में दैनिक जागरण की चुनावी चौपाल में लोगों ने क्षेत्र की प्रमुख समस्याएं सामने रखी। ग्रामीणों ने स्वास्थ्य, शिक्षा, कृषि-पशुपालन, यातायात व क्षेत्र की अन्य प्रमुख समस्याएं जागरण से साझा की।
लोगों ने चर्चा में कहा कि राज्य गठन हुए 18 साल हो गए पर जौनसार-बावर की स्वास्थ्य सेवा और यातायात व्यवस्था में अपेक्षाकृत सुधार नहीं हुआ। शिक्षा व्यवस्था भी पटरी पर नहीं है। परिवहन सेवा की कमी से सैकड़ों ग्रामीणों को घर से बाजार, बैंक, डाकघर और अस्पताल आने-जाने के लिए छोटे लोडर वाहनों में जोखिम भरा सफर करना पड़ता है। रोडवेज बसों की कमी से लोगों को यूटिलिटी की छतों पर बैठकर गंतव्य तक पहुंचना पड़ता है। ओवरलोडिंग के चलते कब और कहां कोई सड़क दुर्घटना हो जाए, कहा नहीं जा सकता। लोग जान जोखिम में डालकर सफर करने को मजबूर हैं। स्वास्थ्य सेवा की बदहाली के चलते दूर-दराज के लोगों को मरहम पट्टी कराने और प्राथमिक उपचार के लिए 30 से 50 किमी दूर राजकीय अस्पताल त्यूणी जाना पड़ता है।
दूरस्थ ग्रामीण इलाकों में खोले गए दर्जनों एएनएम सेंटर व स्वास्थ्य उपकेंद्रों में कोई भी सुविधा उपलब्ध नहीं है। साठ गांवों के एकमात्र सबसे बड़े राजकीय अस्पताल त्यूणी में संसाधनों की कमी से मरीजों को समुचित स्वास्थ्य सेवा का लाभ नहीं मिल पा रहा। कृषि- बागवानी और पशुपालन पर निर्भर ग्रामीण किसान व पशुपालकों को समय पर उन्नत किस्म के बीज, खाद, कीटनाशक दवा व कृषि उपकरण नहीं मिलने से बड़ी परेशानी उठानी पड़ती है।
पशु-चिकित्सालय त्यूणी में बीमार पशुओं और मवेशी के इलाज की व्यवस्था नहीं होने से लोगों में आक्रोश है। लोगों ने कहा कि चुनाव के वक्त नेता बड़े-बड़े वायदे करते हैं। लेकिन चुनाव जीतने के बाद ग्रामीण जनता की समस्या जानने की फुर्सत किसी को नहीं है। क्षेत्र के कई राजकीय विद्यालयों में शिक्षकों की कमी से सैकड़ों छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है। करीब ढाई लाख की आबादी वाले जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर परगने में सार्वजनिक परिवहन सेवा के नाम पर सिर्फ तीन बसें चल रही हैं। जबकि यहां ग्रामीण इलाकों को सड़क सुविधा से जोड़ने के लिए सौ से अधिक मोटर मार्ग बने हैं।
लोगों ने ग्रामीण युवाओं को घर के पास रोजगारपरक शिक्षा मुहैया कराने के लिए देवघार, कंडमाण व कांडोई क्षेत्र के केंद्र बिंदु अटाल में राजकीय पॉलिटेक्निक संस्थान और आइटीआइ खोलने पर जोर दिया। लोगों ने कृषि, बागवानी और पशुपालन को बढ़ावा देने के लिए दूरस्थ इलाकों में जरूरी संसाधन उपलब्ध कराने की आवश्यकता पर बल दिया।
किसानों के हक में नहीं बनी कोई नीति
क्षेत्र के प्रगतिशील किसान प्रेमचंद शर्मा कहते हैं कि उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्र जौनसार-बावर में 70 फीसद लोग कृषि-बागवानी पर निर्भर हैं। सरकार और राजनेताओं को पड़ोसी राज्य हिमाचल की तर्ज पर ग्रामीण किसानों की दशा सुधारने के लिए ठोस और कल्याणकारी नीति बनानी चाहिए। किसानों के हित में कोई नीति नहीं बनने से जौनसार-बावर में खेती बाड़ी का दायरा दिन प्रतिदिन सिमट रहा है। बाजार में फैली है गंदगी, बीमारी का खतरा
व्यापार मंडल के सचिव श्रीचंद शर्मा कहते हैं कि जौनसार-बावर के कई गांवों के केंद्र बिंदु अटाल बाजार में सौ से अधिक छोटे-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठान हैं। यहां सैकड़ों लोग रोजाना सामान की खरीददारी के लिए आते-जाते रहते हैं। बाजार में कूड़ा प्रबंधन की कोई व्यवस्था नहीं होने से गंदगी चारों तरफ फैल रही है। जिससे गर्मी के दिनों में संक्रामक रोग फैलने का खतरा है। उत्तराखंड और हिमाचल दोनों राज्य को जोड़ने वाले अटाल बाजार में स्वच्छता बनाने के लिए कूड़ा प्रबंधन की व्यवस्था की जानी चाहिए। खोला जाए पशु स्वास्थ्य केंद्र
सैंज तराणू के कान चंद शर्मा ने बताया कि अटाल व सैंज-तराणू पंचायत में सौ से अधिक ग्रामीण परिवार पशु और मवेशी पालन कर रहे हैं। ग्रामीण पशुपालकों की सुविधा को अटाल में पशु स्वास्थ्य केंद्र खोला जाना चाहिए। जिससे लोग अपने बीमार पशुओं का घर के पास इलाज करा सकें। पशु केंद्र नहीं होने से लोगों को चालीस किलोमीटर दूर पशु चिकित्सालय त्यूणी जाना पड़ता है। जहां लोगों को कोई सुविधा नहीं मिलने से निराश होना पड़ता है। शिक्षकों की कमी से बच्चों का भविष्य अधर में
सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह राणा कहते हैं कि जौनसार-बावर क्षेत्र में कई स्कूल शिक्षकों की कमी के कारण बंद हो गए और जो विद्यालय चल रहे हैं वहां शिक्षकों की भारी कमी है। शिक्षकों की कमी से दूर-दराज इलाके के सैकड़ों ग्रामीण छात्र-छात्राओं का भविष्य चौपट हो रहा है। अटाल में हो मतदान केंद्र की व्यवस्था
फेडिज निवासी मोहम्मद आलम बताते हैं कि गांव में करीब सौ मतदाता हैं, लेकिन फेडिज का मतदेय स्थल 20 किमी डोर सैंज-तराणू में है। जिससे बुजुर्ग, विकलांग और नवजात शिशुओं की माताओं को वोट डालने के लिए घर से मतदेय स्थल तक आने-जाने को 40 किमी लंबा का सफर करना पड़ता है। मतदान के दिन कोई वाहन नहीं चलने से अधिकांश लोग मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित रह जाते हैं। सैंज-तराणू पंचायत के बजाय नजदीकी केंद्र अटाल में मतदान केंद्र की व्यवस्था की जानी चाहिए।मजबूरी में करना पड़ता है गाड़ी की छतों पर सफर
जसराम शर्मा का कहना है कि जौनसार-बावर क्षेत्र में परिवहन सेवा की भारी कमी है। जिससे लोगों को यूटिलिटी की छतों पर सवार होकर जान जोखिम में डालकर सफर करना पड़ता है। विषम भौगोलिक परिस्थिति वाले जौनसार-बावर के सुदूरवर्ती ग्रामीण इलाकों में यातायात व्यवस्था बनाने को रोडवेज की मिनी बसें चलाई जानी चाहिए। पहाड़ में सार्वजनिक परिवहन सेवाओं के संचालन को जौनसार-बावर के प्रवेश द्वार कालसी और सीमांत क्षेत्र त्यूणी में रोडवेज की मिनी बस डिपो बनाए जाने चाहिए।यह भी पढ़ेें: चुनावी चौपाल: डोबरा-चांठी पुल अधर में, ग्रामीणों की जिंदगी भंवर मेंयह भी पढ़ें: चुनावी चौपाल: गंगा स्वच्छता को सरकार ने किया ठोस उपाय, विपक्ष ने बनाया मुद्दायह भी पढ़ें: Lok Sabha Election: पलायन की पीड़ा सीने में समेटे सुबक रहे उत्तराखंड के पहाड़
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