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उत्‍तराखंड में लोगों पर डिसइंफेक्शन टनल का नहीं होगा प्रयोग

प्रदेश में किसी भी व्यक्ति पर डिसइंफेक्शन टनल के जरिये एल्कोहल क्लोरीन व लाइजॉल के छिड़काव का कार्य नहीं किया जाएगा। ऐसा किया जाना हानिकारक है।

By Sunil NegiEdited By: Updated: Mon, 13 Apr 2020 07:12 AM (IST)
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उत्‍तराखंड में लोगों पर डिसइंफेक्शन टनल का नहीं होगा प्रयोग
देहरादून, राज्य ब्यूरो। शासन ने साफ किया है कि प्रदेश में किसी भी व्यक्ति पर डिसइंफेक्शन टनल के जरिये एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल के छिड़काव का कार्य नहीं किया जाएगा। ऐसा किया जाना हानिकारक है और केंद्र की गाइडलाइन में भी इसका जिक्र नहीं है।

प्रदेश में बाहर से आने वाले वाहनों के अलावा कई जगहों पर आम लोगों में कोराना संक्रमण की रोकथाम के लिए डिसइंफेक्शन टनल बनाने का कार्य चल रहा है। राज्य में कई शहरों में इस तरह की टनल बन भी चुकी हैं और इस्तेमाल की जा रही हैं। कई अन्य राज्यों में भी ऐसी व्यवस्था हुई है। चर्चा यह भी है कि इन टनल के माध्यम से व्यक्तियों को भी संक्रमित होने से बचाया जा सकेगा। सोशल मीडिया के साथ ही विभिन्न प्रचार माध्यमों के जरिये ऐसी जानकारियां पिछले कई दिनों से सामने आ रही हैं।

इस तरह की टनल पर अब शासन ने अपना रुख स्पष्ट किया है। अपर सचिव स्वास्थ्य व निदेशक राष्ट्रीय हेल्थ मिशन युगल किशोर पंत ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों और मुख्य चिकित्साधिकारियों को पत्र भेजा है।

पत्र में कहा गया है कि विभिन्न स्थानों पर डिसइंफेक्शन टनल के जरिये लोगों पर छिड़काव करने की जानकारी मिल रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की एडवाइजरी और केंद्र सरकार की गाइडलाइन में इसका जिक्र नहीं है। एल्कोहल, क्लोरीन व लाइजॉल का छिड़काव व्यक्ति पर हानिकारक हो सकता है। ऐसे में इनका इस्तेमाल किसी व्यक्ति पर नहीं किया जाए। वाहनों व परिसर आदि को स्वच्छ रखने के लिए इनका इस्तेमाल किया जा सकता है।

44 हजार स्वयं सहायता समूह बनाएंगे मास्क

कोरोना वायरस की रोकथाम और नियंत्रण के दृष्टिगत फेस मास्क की अनिवार्यता को देखते हुए सरकार पर्याप्त संख्या में मास्क की उपलब्धता सुनिश्चित करने में जुट गई है। राज्यभर में कार्यरत महिला स्वयं सहायता समूहों को मास्क बनाने का जिम्मा सौंपा गया है, जिनकी संख्या लगभग 44 हजार है। मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के निर्देश पर शासन ने इस संबंध में आदेश भी जारी कर दिए हैं। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह ने इसकी पुष्टि की।

जैसे संकेत मिल रहे हैं, उससे साफ है कि कोरोना से निबटने के लिए उठाए जा रहे कदमों के तहत लॉकडाउन की अवधि बढ़ना तय है। साथ ही, प्रदेश सरकार ने जिलों की श्रेणी तय की हैं। हर व्यक्ति के लिए मास्क अनिवार्य किया जा रहा है। इसे देखते हुए यह आवश्यक है कि मास्क की पर्याप्त उपलब्धता बनी रहे। इसके लिए भी सरकार ने कदम उठाए हैं, ताकि आमजन को आसानी से मास्क उपलब्ध हो सकें। उच्च शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.धन सिंह रावत के अनुसार हाल में हुई बैठक में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्राम्य विकास विभाग को निर्देश दिए थे कि मास्क बनाने का कार्य महिला स्वयं सहायता समूहों को दिया जाए। इसके लिए सभी जिलों में मुख्य विकास अधिकारी को नोडल अधिकारी बनाया गया है।

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राज्य में महिला स्वयं सहायता समूहों की संख्या 44 हजार के लगभग है। इनमें आजीविका मिशन के तहत लगभग 30 हजार और उत्तराखंड ग्राम्य विकास समिति के अंतर्गत 14 हजार समूह सक्रिय हैं। यही नहीं, अधिकांश महिला स्वयं सहायता समूहों से जुड़ी महिलाएं सिलाई-कढ़ाई में पारंगत हैं। इसी के मद्देनजर उन्हें मास्क बनाने की जिम्मेदारी दी गई है। हालांकि, करीब चार महिला समूहों ने पहले ही यह कार्य प्रारंभ कर दिया था। मुख्य सचिव उत्पल कुमार सिंह के अनुसार अब महिला समूहों द्वारा मास्क बनाने के कार्य में तेजी आएगी।

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